श्रीलंका की रक्षा सेवाओं के प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) एडमिरल रवींद्र सी विजय गुणरत्ने ने मंगलवार को कहा कि हंबनटोटा पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य अड्डे के तौर पर नहीं किया जाएगा. श्रीलंका अपने बंदरगाहों और जलसीमाओं में ऐसी कोई गतिविधि नहीं होने देगा जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचे.
बता दें कि दिसंबर 2017 में श्रीलंका ने दक्षिणी क्षेत्र में स्थित हंबनटोटा पोर्ट का नियंत्रण चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया था. इससे क्षेत्र में अपना प्रभाव फैलाने के चीन के प्रयासों पर भारत में चिंता पैदा हो गई थी.
निवेश का दिया न्योता
यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए एडिमरल विजेगुणरत्ने ने भारतीय कंपनियों को हंबनटोटा पोर्ट के औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश का न्योता दिया.
नहीं होगा सैन्य अड्डे के तौर पर हंबनटोटा पोर्ट का इस्तेमाल
उन्होंने कहा, ‘बड़े दावे किए जा रहे हैं कि पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य अड्डे के तौर पर होगा. मैं आपको इस मंच से आश्वस्त कर सकता हूं मैडम (रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण) कि हमारे बंदरगाहों या हमारी जल सीमा में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जिससे भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ती हो.’
उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने स्पष्ट रूप से कहा है कि श्रीलंका किसी भी देश के साथ सैन्य गठबंधन नहीं करेगा और किसी भी देश को सैन्य अड्डे के रूप में अपने बंदरगाह का उपयोग नहीं करने देगा.
बता दें कि भारत-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद के उद्घाटन अवसर पर रक्षा मंत्री सीतारमण और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की मौजूदगी में विजय गुणरत्ने ने यह बयान दिया. उनका ये बयान तब आया जब भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने हंबनटोटा पोर्ट को लेकर भारत की सुरक्षाओं पर चिंताओं व्यक्त की थी.