काबुल में भारतीय दूतावास पर हमला करवाने वाले तालिबानी नेता हक्कानी के बेटे नसीरुद्दीन को पाकिस्तान की राजधानी में गोली मार दी गई. मोटर साइकिल पर सवार अज्ञात हमलावरों ने उस पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं जिससे उसकी मौत हो गई. पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी.
नसीरुद्दीन लगभग 30 साल का था और अपने कट्टरपंथी गिरोह के लिए पैसे जुटाता था. उसके बाप जलालुद्दीन हक्कानी ने अफगानी तालिबान के इस गुट की स्थापना की थी. नसीरूद्दन कार से घर लौट रहा था कि बंदूकधारियों ने उस पर हमला बोल दिया.
पुलिस ने उसकी मौत की पुष्टि की लेकिन यह नहीं बता पाई कि उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है. हक्कानी गिरोह के लोगों ने भी माना कि उसकी मौत हो चुकी है.
नसीरुद्दीन अफगनिस्तान के पक्तिका प्रांत में पैदा हुआ था, उस पर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंध लगा रखा था. अमेरिका के वांछित अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में भी उसका नाम था. अमेरिका पर हुए हमले में उसका भी हाथ बताया जाता है. वह सऊदी अरब और यूएई से तालिबान के लिए धन इकट्ठा करता था और उत्तरी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों से ऑपरेट करता था.
अफगानिस्तान के तालिबानियों में हक्कानी गिरोह सबसे खूंखार माना जाता था. जलालुद्दीन के तीन और बेटे पहले ही मारे जा चुके हैं.
2008 में इसी गिरोह के जरिय़े आईएसआई ने भारतीय दूतावास पर हमला करवाया था जिसमें 58 लोग मारे गए थे. यह गिरोह पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का करीबी माना जाता है. नसीरूद्दीन का बड़ा भाई सिराजुद्दीन इस गिरोह को चला रहा है.