इजरायली हमले में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे के लगभग एक हफ्ते बाद आज उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. कहा जा रहा है कि कर्बला में उन्हें दफनाया जा सकता है. उनके सम्मान में सांकेतिक जनाजा निकलेगा. सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ईरान में जुमे की नमाज में शामिल होंगे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नसरल्लाह के जनाजे पर इजरायली हमले के डर से उनकी अंतिम यात्रा बड़े स्तर पर नहीं निकाली जाएगी. नसरल्लाह के सम्मान में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची लेबनान के बेरूत में जुमे की नमाज में शामिल होंगे. लेकिन वह सुरक्षा कारणों से जनाजे में शामिल नहीं हो पाएंगे.
इजरायली हमले के डर की वजह से नसरल्लाह की अंतिम यात्रा सांकेतिक रहेगी. कहा जा रहा है कि एक बार स्थिति सामान्य होने पर नसरल्लाह के सम्मान में धार्मिक आयोजन किया जाएगा.
लेकिन सांकेतिक क्यों?
इस्लाम में मान्यता है कि मौत के बाद जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी शव को दफना दिया जाए. मुस्लिम 24 घंटों के भीतर ही शव को दफना देते हैं. हालांकि, यह किसी तरह का नियम नहीं है. शवों को तीन दिनों से अधिक समय तक नहीं रखा जाता लेकिन मेडिकल जांच या किसी अन्य स्थिति की वजह से शवों को तीन से ज्यादा दिनों तक रखा जा सकता है. उदाहरण के लिए लीबिया के तानाशाह गद्दाफी की मौत का पता लगाने के लिए उनके शव को कई दिनों तक रखा गया था.
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इजरायली हमलों की वजह से नसरल्लाह का जनाजा व्यापक स्तर पर नहीं निकलेगी, इसे सामान्य स्तर पर ही किया जाएगा. उनके शव को लेबनान, इराक के कर्बला या फिर इराक के नजफ में दफनाने की अटकलें हैं.
क्या कर्बला में दफनाया जाएगा नसरल्लाह का शव?
हिज्बुल्लाह ने अभी तक नसरल्लाह के जनाजे को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी है. इराक के प्रधानमंत्री के सलाहकार मोहम्मद शिया अल सुडानी ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि नसरल्लाह को कर्बला में इमाम हुसैन के बगल में दफनाया जाएगा.
दक्षिण बगदाद के कर्बला में इमाम हुसैन की कब्र है. इसी जगह पर नसरल्लाह को भी दफनाया जा सकता है. नसरल्लाह की ख्याति और उनके कद को देखते हुए उन्हें कर्बला में दफनाने की खबर है. बता दें कि कर्बला ही वह जगह है, जहां पैगबंर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन को दफनाया गया था. नसरल्लाह को आधुनिक समय का शहीद माना जाता है.
पैगंबर मोहम्मद ने कर्बला को धरती पर स्वर्ग बताया था. शिया मुस्लिमों के लिए इस पवित्र जमीन पर दफन होने से बेहतर सम्मान कोई नहीं माना जाता. बता दें कि 80 के शुरुआती दशक में इराक के नजफ में नसरल्लाह की पढ़ाई हुई थी. उनकी मौत को फिलिस्तीन के लिए सबसे बड़ा बलिदान माना जा रहा है.
दम घुटने से हुई थी नसरल्लाह की मौत
हसन नसरल्लाह की मौत जहरीले धुएं की वजह से दम घुटने से हुई थी. वह बेरूत में हिज्बुल्लाह के सीक्रेट बंकर में छिपे हुए थे, जहां 27 सितंबर को इजरायल के हमले में उनकी मौत हो गई. इजरायल के चैनल 12 ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इजरायली हमले में नसरल्लाह का सीक्रेट बंकर तबाह हो गया था, जिससे 64 साल के नसरल्लाह की जहरीले धुएं में दम घुटने से मौत हो गई.
रिपोर्ट में बताया गया था कि भारी विस्फोट की वजह से जहरीले धुएं के कारण बंकर के भीतर सांस लेना मुश्किल था. बता दें कि हसन नसरल्लाह जिस इमारत में था. उसके आसपास के ब्लॉक में इजरायल ने 80-85 बंकर बस्टर बम गिराए थे. बंकर बस्टर यानी जमीन की गहराई में बने अड्डों को खत्म करने वाले बम. ये सतह के काफी नीचे जाकर भी तबाही मचाते हैं.
नसरल्लाह जिस इमारत में था, वहां पर बम गिरने से 30 फीट गहरा गड्ढा हो गया था. जीबीयू-72 परिवार के बंकर बस्टर बम की खासियत यही होती है, कि ये स्टील, कॉन्क्रीट की मोटी दीवारों को तोड़कर 30 से 60 फीट की गहराई तक हमला कर सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटनास्थल से जब नसरल्लाह का शव बरामद किया गया तो उनके शव पर किसी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं थे. हिज्बुल्लाह ने अभी तक नसरल्लाह की मौत के कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.