अफगानिस्तान में एक बड़े पॉलिटिकल शिफ्ट की खबर तब आई जब दुनिया को ये खबर लगी कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हमशत गनी तालिबान में शामिल हो गए हैं. ये खबर अशरफ गनी के देश छोड़ने के दो तीन दिन बाद आई थी. अब हशमत गनी ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में अपना पक्ष रखा है. उन्होंने अपने भाई की तरह ही कहा है कि उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान को स्वीकार कर लिया है क्योंकि वे देश में खून खराबा नहीं चाहते थे.
तालिबान को स्वीकार जरूर किया है, शामिल नहीं होंगे
हालांकि हशमत गनी ने यह भी कहा है कि उन्होंने तालिबान को स्वीकार जरूर कर लिया है लेकिन उनके साथ शामिल नहीं होंगे. हशमत गनी ने तालिबान से अपील की है कि वे अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाएं और सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दें.
इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश में नई सरकार के गठन में हम एक सकारात्मक रोल निभा सकते हैं. अफगानिस्तान की हालत का चित्रण करते हुए उन्होंने कहा कि यहां की स्थिति असहनीय हो गई है. इस समय सभी पक्षों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है.
करजई और हिकमतयार मंजूर नहीं
हशमत गनी ने कहा है कि उन्होंने तालिबान से अपील की है कि नई सरकार में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और गुलबुद्दीन हिकमतयार जैसे लोग शामिल नहीं किए जाने चाहिए. बता दें कि 2014 में हशमत गनी के भाई अशरफ गनी को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति चुना गया था.
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हशमत गनी ने कहा, "मैंने तालिबान से अपील की है कि हिकमतयार और करजई जैसे लोगों को सरकार में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, पश्चिमी दुनिया इन्हें अफगानिस्तान में देखना चाहती है लेकिन ये स्वीकार्य नहीं है. इन्हीं लोगों ने देश को बर्बाद किया है.
अहमद मसूद से वार्ता जारी है
राष्ट्रपति गनी के भाई ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए जोर-शोर से वार्ता चल रही है. उन्होंने कहा कि उनके पास तालिबान का पत्र है जिसके आधार पर वह अहमद मसूद से बात कर रहे हैं. अहमद मसूद का पंजशीर प्रांत में बोलबाला है, तालिबान अबतक पंजशीर पर कब्जा नहीं कर सका है और इस पर विजय के लिए युद्ध के नौबत बन गए हैं.
हशमत गनी ने कहा कि उन्होंने तालिबान के न्यौते को अहमद मसूद तक भेज दिया है. इस पर विचार किया जा रहा है.
पैसे लेकर नहीं भागे राष्ट्रपति गनी
राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा बड़ी मात्रा में पैसे लेकर देश छोड़ने की खबरों को हशमत गनी ने झूठ करार दिया है. हशमत ने कहा है कि ये पूरी तरह से बनावटी है. वो विमान उजबेकिस्तान में उतरा और उसकी जांच हुई थी, विमान में कोई पैसा नहीं था, अगर वो काबुल से नहीं भागते तो उनकी हत्या करने की साजिश रची जा रही थी. वो इस पर भी बयान देते लेकिन UAE ने उन्हें किसी तरह के बयान देने से मना किया था.
पाकिस्तान को भी नसीहत
हशमत गनी ने कहा कि उनके भाई की सरकार के पतन पर भले ही अभी पाकिस्तान में जश्न हो रहा हो, लेकिन अगर अफगानिस्तान बिखर गया तो लाखों लोग डूरंड रेखा पार कर पाकिस्तान में घुसेंगे और तब पाकिस्तान के लिए हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है तो लगभग 70 लाख लोग सीमार पार करेंगे.