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हिलेरी की उम्मीदवारी: जितनी मजबूत हैं उतनी ही कमजोर भी

जिंदगी में समझदार वो होता है जो वक्त के साथ चलना सीख ले . राजनीति में समझदार वो होता है जो जनता की सोच के हिसाब से खुद को भी बदल डाले. अमेरिकी पॉलिटिशियन हिलेरी रॉडम क्लिंटन इसकी ताजातरीन और बेहतरीन मिसाल हैं.

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हिलेरी रॉडम क्लिंटन
हिलेरी रॉडम क्लिंटन

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जिंदगी में समझदार वो होता है जो वक्त के साथ चलना सीख ले . राजनीति में समझदार वो होता है जो जनता की सोच के हिसाब से खुद को भी बदल डाले. अमेरिकी पॉलिटिशियन हिलेरी रॉडम क्लिंटन इसकी ताजातरीन और बेहतरीन मिसाल हैं.

साल 2008 में हिलेरी रॉडम क्लिंटन ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पेश की थी, लेकिन बराक ओबामा से पिछड़ गईं. 2012 में ओबामा दोबारा राष्ट्रपति बन गए.

आठ साल बाद हिलेरी फिर से मैदान में उतरी हैं. इन आठ सालों में दुनिया काफी बदल चुकी है - लिहाजा हिलेरी ने भी खुद को खासा बदल लिया है. तब की हिलेरी और अब की हिलेरी की सोच में काफी फर्क आ गया है.

वक्त से सीखा, खुद को बदला
हिलेरी क्लिंटन ने अपने पुराने चुनावी अनुभव से काफी कुछ सीखा है. इस बार वो ज्यादा परिपक्व नजर आ रही हैं. पिछले चुनाव अभियान के केंद्र में हिलेरी खुद खड़ी थीं, इस बार वहां आम अमेरिकी नजर आ रहे हैं.

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वो शहर से लेकर दूरदराज के इलाकों तक लगातार दौरा कर रही हैं. वो आम अमेरिकियों से सीधे संवाद कायम करने की कोशिश कर रही हैं. पिछली बार इसी बिंदु पर वो चूक गई थीं. ये उनकी शख्सियत में आए सबसे बड़े बदलाव का संकेत है.

क्या कहता है वीडियो
हिलेरी की सोच में आए बदलाव का सबसे बड़ा सबूत रविवार को जारी हुआ उनका वीडियो है. इस वीडियो में हिलेरी क्लिंटन कह रही हैं कि वो अमेरिकी लोगों को चैंपियन बनाना चाहती हैं जो अमेरिकी लोगों की रोजमर्रा की सोच है.

इस वीडियो में एक मां है जो बच्चे के पालन पोषण के बाद काम पर लौटती है, एक लड़की है जो अपनी पहली नौकरी के लिए आवेदन करती है, दो स्पेनिशभाषी भाई अपना नया कारोबार शुरू करते हैं. ये सब कैसे होता है. ये आम अमेरिकी की वही जद्दोजहद है जो अब उनके लिए अहम बन पड़ा है. यही बात उनके चुनावी अभियान को हकीकत के करीब ला रहा है, जो पिछली बार के ख्याली पुलाव से कोसों दूर है.

पहले विरोधी, अब सपोर्ट में
हिलेरी आज उसी गे-मैरेज के मसले को सपोर्ट कर रही हैं जिसकी एक दौर में वो मुखर विरोधी रही हैं. ये हिलेरी का वो परोपकारी पक्ष है जो बदलते वक्त के साथ विकसित हुआ है - और आम अमेरिकियों की तरह उनकी सोच में भी स्वाभाविक तब्दीली आई दिखती है. हिलेरी का इस बात पर जोर है कि इस मुद्दे पर उनकी सोच सकारात्मक रूप से बदली है. पिछले महीने इंडियाना ने जब धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाया तो हिलेरी ने ट्वीट कर अपना विरोध जताया था. हिलेरी कानून के उन आलोचकों के साथ खड़ी नजर आईं जिन्हें डर है कि इससे एलजीबीटी लोगों का जीना दूभर हो जाएगा.

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आज साथ खड़े हैं ओबामा
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2008 में उम्मीदवारी की दौड़ में क्लिंटन को शिकस्त दे दी थी, लेकिन आज वो भी उनके साथ खड़े हैं. हिलेरी के बारे में ओबामा ने कहा, 'वो आम चुनाव में मेरी एक महत्वपूर्ण समर्थक व सहयोगी थीं. विदेश मंत्री के रूप में उनका काम उल्लेखनीय रहा है. वे मेरी दोस्त हैं और मैं समझता हूं कि वे एक कामयाब और बेहतरीन राष्ट्रपति साबित होंगी.'

काफी मजबूत है टीम क्लिंटन
टीम हिलेरी इस बार ज्यादा प्रभावी और आक्रामक लोगों से सजी हुई है. हिलेरी के चुनाव प्रचार प्रमुख जॉन पोडेस्ट सिर्फ उन्हीं के नहीं बल्कि उनके पति पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भी करीबी हैं जो उनके शासन में व्हाइट हाउस में उनके चीफ ऑफ स्टॉफ रह चुके हैं. खास बात ये है कि 2008 के चुनाव के दौरान उन्होंने ओबामा की टीम की अगुवाई की थी - और आज भी उनके करीबी हैं. हिलेरी को इसका भरपूर फायदा मिलने वाला है. हिलेरी के कैंपेन मैनेजर रॉबिन मूक ने 2008 में हिलेरी का चुनाव अभियान संभाला था और कई इलाकों में बढत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. इनके अलावा जोएल बेनेसन, जिम मारगोलिस, और जेनिफर पालमिरी जैसे दिग्गज हिलेरी की टीम में शामिल किए गए हैं.

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बहुत मुश्किल है डगर
हिलेरी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है एंटी इंकंबेंसी फैक्टर. डेमोक्रेटिक पार्टी आठ साल से सत्ता में है - और हिलेरी को पब्लिक के सत्ता विरोधी मूड का सामना करना होगा. जानकारों की राय में हिलेरी के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी जीतना आसान है लेकिन राष्ट्रपति चुनाव जीतना थोड़ा मुश्किल है.

वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में हवा डेमोक्रेट के पक्ष में है, लेकिन क्या अमेरिकी जनता को हिलेरी भी उतना ही पसंद आएंगी, जिनके पास सीनेटर से लेकर विदेश मंत्री तक का लंबा अनुभव है? फिलहाल ये बड़ा सवाल है.

प्रथम नागरिक रह चुकीं हिलेरी अगर चुनाव जीत जाती हैं तो अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. शर्त ये है कि अमेरिकी जनता हिलेरी की सोच में आए बड़े बदलाव को दिल से स्वीकार ले.

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