अमेरिका में भारतीय समुदाय का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में हिंदुओं के हितों की रक्षा करने और संसद में उनसे जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए एक नए कांग्रेसनल हिंदू कॉकस (Congressional Hindu Caucus) का गठन किया गया है. रिपब्लिकन सांसद पीटर सेशंस और एलिस स्टेफैनिक ने अमेरिकी संसद में इसकी घोषणा की.
इस हिंदू कॉकस का उद्देश्य अमेरिका में हिंदुओं के खिलाफ नफरत और भेदभाव को खत्म करना भी है. 115वीं कांग्रेस के दौरान स्थापित यह नया हिंदू कॉकस दरअसल हिंदू अमेरिकी समुदाय और पॉलिसी मेकर्स के बीच संबंधों को और गहरा करने में अहम भूमिका निभाएगा.
पीटर ने बताया कि इस नए कांग्रेसनल हिंदू कॉकस के अस्तित्व में आने से संसद में हिंदू अमेरिकी समुदाय की आवाज और मुखर होगी. हम इस समुदाय से जुड़े मुद्दों को संसद में रखने, उनकी समस्याओं के समाधान और उनके योगदान को अहमियत देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सांसद पीटर और स्टेफैनिक की अध्यक्षता में कांग्रेसनल हिंदू कॉकस उन मूल्यों की पैरवी करने के लिए समर्पित हैं, जो हिंदू अमेरिकी समुदाय के लिए मायने रखते हैं.
क्या है इस कॉकस की खास बात?
इस कॉकस की खास बात ये है कि इसमें भारत से लेकर नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ब्रिटेन और नीदरलैंड्स के हिंदू भी शामिल होंगे. इस कॉकस में भारतीय मूल के अन्य धर्मों सिख, जैन और बौद्ध से जुडे़ प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
हिंदू कॉकस से पहले बना था समोसा कॉकस
अमेरिकी संसद में कॉकस नेताओं के उन समूहों को कहा जाता है, जिनका एक समान उद्देश्य होता है. इन कॉकस का एडमिनिस्ट्रेशन चैंबर के नियमों के मुताबिक होता है. अमेरिका में समोसा कॉकस भारतीय मूल के सांसदों का एक समूह है, जो भारत से जुड़े मुद्दे संसद में उठाता है.
मौजूदा वक्त में समोसा कॉकस में एक सीनेटर और चार हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव के सदस्य शामिल हैं. इनमें राजा कृष्णमूर्ति, एमी बेरा, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और खुद कमला हैरिस शामिल हैं. मौजूदा ट्रेंड और ताजा पोल के मुताबिक, ये सभी दोबारा चुनकर आ सकते हैं.
इनके अलावा अन्य कुछ भारतीय मूल के उम्मीदवार भी चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं, ऐसे में ये कयास लग रहे हैं कि भारतीय मूल के प्रतिनिधियों और सीनेटर की स्थिति अमेरिका में मजबूत होगी.
बता दें कि अमेरिका में करीब चालीस लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं, इनमें से 15 लाख से अधिक अमेरिकी वोटर हैं. ऐसे में ये संख्या किसी भी पार्टी को चुनाव जीता या हरा सकती है.