पाकिस्तान में हिंदुओं के एक समूह ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामलों के खिलाफ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मदद मांगी है. पाकिस्तान हिंदू काउंसिल (पीएचसी) ने अत्याचार खत्म करने के लिए एक बहुधर्मीय समिति के गठन का प्रस्ताव दिया है और इसमें शरीफ से मदद मांगी है.
पीएचसीने राष्ट्रीय स्तर पर शरीफ की अगुवाई में बहुधर्मी समिति के गठन का प्रस्ताव दिया है ताकि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोका जा सके और समाज में सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके. अखबार ‘डॉन’ के मुताबिक, कल कराची में पीएचसी कार्यकारिणी की बैठक हुई थी जिसमें देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के बढ़ते मामलों की समीक्षा की गई.
संगठन ने लाहौर में ईशनिंदा को लेकर एक ईसाई दंपति की निर्मम हत्या की निंदा की. इस घटना के बाद अल्पसंख्यकों के बीच भय का माहौल है. पीएचसी के प्रमुख चेला राम केवलानी की अगुवाई में हुई इस बैठक में हिंदू नाबालिग लड़कियों के अपहरण की घटनाओं भी निंदा की गई. बहुधर्मी सौहार्द और हिंदू विवाह कानून के लिए विधेयक की जरूरत पर जोर देते हुए पीएचसी ने प्रधानमंत्री शरीफ और प्रांतीय मुख्यमंत्रियों का आह्वान किया कि वे अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनों को प्रभावी रूप से लागू कराएं.
बैठक में प्रस्ताव दिया गया कि बहुधर्मी समिति में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री अमीन-उल-हसनत शाह, प्रमुख अल्पसंख्यक हस्तियों तथा जमात-ए-इस्लामी सहित हर धार्मिक पार्टी से कम से कम एक सदस्य को शामिल किया जाए. पीएमएल-एन के सांसद और पीएचसी के संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी ने कहा कि हिंदू लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण तथा जबरन शादी किए जाने की घटनाएं हिंदू अल्पसंख्यकों के सामने गंभीर मुद्दा हैं. उन्होंने कहा कि संविधान अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी देता है और यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने 1947 के अपने भाषण में कहा था कि अल्पसंख्यकों के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का पहला फर्ज है.
(इनपुट: भाषा)