मिस्र के रहने वाले एक पुरातत्वविद ने इस्लाम धर्म के आखिरी नबी कहे जाने वाले पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक ऐसा दावा कर दिया है, जो शायद सऊदी अरब समेत कई देशों के मुस्लिमों को न पसंद आए. मिस्र के पुरातत्वविद वसीम अल सिसि का दावा है कि पैगंबर मोहम्मद मूल रूप से सऊदी अरब के मक्का नहीं बल्कि मिस्र के रहने वाले थे.
एक टीवी पर बयान देते हुए प्राचीन मिस्र की जानकारी रखने वाले पुरातत्वविद वसीम अल सिसि ने दावा करते हुए कहा कि पैगंबर मोहम्मद अब्द मनाफ के वंशज हैं, जो मिस्र से ताल्लुक रखते हैं, इसका मतलब साफ है कि आखिरी पैगंबर मिस्र से जुडे़ हुए हैं.
पुरातत्वविद के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. हालांकि, जब अल- मॉनिटर न्यूज ने इस दावे को लेकर कुछ अन्य पुरातत्वविदों से बात की तो उन्होंने इसे पूरी तरह गलत बताया और कहा कि पैगंबर मोहम्मद अरब से ही ताल्लुकात रखते हैं.
पाक ग्रंथ कुरान में कहीं नहीं है, ऐसी जानकारी
रिपोर्ट्स के अनुसार, मिस्र के ही एक पुरातत्वविद अहमद अमर ने इस बारे में कहा कि यह दावा तथ्यों से बाहर है. उन्होंने आगे कहा कि इस बारे में पाक ग्रंथ कुरान में किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है.
अहमद अमर ने आगे कहा कि अगर सच में ही पैगंबर मोहम्मद मिस्र के रहने वाले होते तो वे वहां जरूर लौटते, जैसे वे अपने घर मक्का लौटे थे. अहमद अमर ने आगे बताया कि पैगंबर की किसी बात में कभी मिस्र से जुड़े होने का कोई जिक्र ही नहीं है.
बानू किनाना से ताल्लुक रखते थे पैगंबर मोहम्मद
मिस्र के एंटीक्विटीज एक्सपर्ट और इजिप्टियन सुप्रीम काउंसिल ऑफ कल्चर के सदस्य अब्दल रहीम रिहान ने इस बारे में न्यूज वेबसाइट अल-मॉनिटर से बताया कि इस्लामी हदीस के अनुसार, बिना किसी शक पैंगबर मोहम्मद की वंशावली अरब से ही जुड़ी हुई है.
अब्दल रहीम रिहान ने सिसि के दावे को गलत ठहराते हुए बताया कि हदीस में जिस अल-किनाना कबीले का जिक्र किया गया है, वह बानू किनाना जनजाति से संबंध रखता है और उसी बानू किनाना जनजाति से पैंगबर मोहम्मद ताल्लुक रखते हैं. रिहान ने आगे बताया कि उस समय भी यह कबीला अरब प्रायद्वीप में स्थित था.
पुरातत्वविद ने आगे बताया कि इस कबीले के कुछ लोग आज भी इराक, जॉर्डन, मिस्र, सूडान और फिलीस्तीन में रहते हैं. वहीं कबीले से जुड़े कुछ लोग सीरिया और यमन समेत एक दो जगहों पर और भी रहते हैं. अब्दल रहीम रिहान ने आगे कहा कि कुरैश वंश भी किनाना कबीले का ही एक हिस्सा है, जो बानू किनाना से स्वतंत्र है.
हालांकि, अल-अजहर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर फातिहा अल हनाफी का इस बारे में कहना है कि हो सकता है कि पैगंबर मोहम्मद मिस्र से ताल्लुक रखते हों. इसके पीछे उन्होंने हजरत इस्माइल की रिश्तेदारी का हवाला दिया.
प्रोफेसर फातिहा ने बताया कि मिस्र की रहने वाली लेडी हगर हजरत इब्राहिम की पत्नी और हजरत इस्माइल की मां थीं. और हजरत इब्राहिम और लेडी हगर अपने बेटे इस्माइल के साथ मिस्र से मक्का आकर रहने लगे थे, जिस जगह को अब मस्जिद अल हरम भी कहते हैं.