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क्या इंटरनेशनल ट्रीटी में शामिल होने के बाद कोई देश इससे पीछे हट सकता है, क्या होता है जबरन संधि तोड़ने वाले देश के साथ?

दुनिया में शांति बनी रहे, और देश एक-दूसरे की मदद करें, इसके लिए इंटरनेशनल ट्रीटी यानी संधियों की शुरुआत हुई. ये एक तरह का करार होता है, जिसमें दो से लेकर लगभग सभी देश शामिल हो सकते हैं. लेकिन बीच-बीच में संधियां टूटने की खबरें भी आती रहती हैं. तब क्या होता है? क्या संधि तोड़ना शहर या देश के नियम तोड़ने जितना संगीन होता है, या उससे भी कहीं ज्यादा?

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दुनिया में शांति बनी रहे, इसके लिए इंटरनेशनल ट्रीटी की शुरुआत हुई. सांकेतिक फोटो (Pexels)
दुनिया में शांति बनी रहे, इसके लिए इंटरनेशनल ट्रीटी की शुरुआत हुई. सांकेतिक फोटो (Pexels)

अमेरिकी जर्नल प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (PNAS) ने पिछले साल एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि दुनिया में ढाई लाख से भी ज्यादा संधियां हैं, जो देशों ने आपस में कर रखी हैं. इनमें से कुछ पर्यावरण पर हैं, कुछ इकनॉमिक संधियां हैं, तो कुछ ऐसी हैं, जिसमें पक्का किया गया कि देश एक-दूसरे के फैसलों में दखल न दें.

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कुल मिलाकर, सारी ही संधियां इसलिए हैं ताकि दुनिया में अमन-चैन बना रहे. हालांकि ऐसा नहीं है कि एक बार संधि पर राजीनामे के बाद देश उसपर टिके रहते हैं. बहुत बार देश संधियां रद्द कर देते हैं. बहुत बार वे इसका हिस्सा बने रहकर भी इसकी अनदेखी करते हैं. जैसे पर्यावरण को लेकर सैकड़ों संधियां हैं, लेकिन तब भी कार्बन उत्सर्जन पर काबू नहीं हो रहा. क्या ऐसे में कोई कार्रवाई हो सकती है, ये समझने से पहले एक बार संधि क्या है, ये जानते चलें. 

ट्रीटी के लिए बने बेसिक नियम

जनवरी 1980 में विएना कन्वेंशन ऑन लॉ ऑफ ट्रीटीज में तय किया गया कि किसी भी संधि के दौरान किन बेसिक बातों का ध्यान रखा जाएगा. यूनाइटेड नेशनन्स के इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने इस पर्चे को ड्राफ्ट किया. इसमें पक्का हुआ कि अगर कोई देश संधि पर दस्तखत करता है तो उसे नियम मानने होंगे. हां, अगर कोई देश इसमें शामिल न हो तो उसपर कोई दबाव नहीं होगा. हालांकि ज्यादातर देश इंटरनेशनल संधियों का हिस्सा बन जाते हैं क्योंकि इससे वे एक ग्रुप में शामिल हो जाते हैं, जिससे दोस्ती बढ़ती है और आपस में मदद मिलती है. 

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history and benefits of international treaties and what happens if a nation suspends the treaty
सांकेतिक फोटो (Getty Images)

कितनी तरह की होती है संधि?

मुद्दे  के आधार पर ट्रीटी सैकड़ों, हजारों तरह की हो सकती है, जैसे देशों के बीच मेडिकल वेस्ट को लेकर करार, या फिर बॉर्डर को लेकर संधिनामा. हालांकि मोटे तौर पर ये दो तरह की है. एक है बाईलैटरल संधि, जिसमें दो पार्टियां यानी दो देश शामिल होते हैं. दूसरी है, मल्टीलैटरल ट्रीटी, जो तीन या ज्यादा देशों के बीच होती है. इसमें कई बार लगभग सारे देश शामिल होते हैं. 

क्या ट्रीटी रद्द भी हो सकती है?

इंटरनेशनल लॉ बनाते हुए इस बात को भी ध्यान में रखा गया. कुछ खास हालातों में संधि अपने-आप रद्द भी हो सकती है. जैसे दो पार्टियों के बीच संधि में अगर एक पार्टी बेईमानी करे, और संधि को तोड़ती रहे तो दूसरा देश संधि को रद्द कर सकता है. इसके अलावा अगर किसी संधि में डेढ़ सौ या ज्यादा देश शामिल हो जाएं, फिर एक-एक करके वे इससे बाहर होते जाएं तब भी कोई ट्रीटी रद्द मानी जा सकती है. 

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सांकेतिक फोटो (Unsplash)

क्या संधि आराम से सस्पेंड की जा सकती है?

कई बार ऐसा भी होता है कि कोई देश किसी ट्रीटी में शामिल तो हो जाए, लेकिन फिर उसे छोड़ना चाहे, ऐसे में दो बातें होती हैं. कई बार संधि में शामिल बाकी देश इसके लिए हामी भर देते हैं. ऐसे में देश आराम से ट्रीटी से बाहर निकल सकता है. लेकिन कई मौकों पर इससे बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है. जैसे ICCPR नाम की मल्टीलैटरल ट्रीटी, ये तय करती है कि सबको सिविल और पॉलिटिकल अधिकार मिलें. उत्तर कोरिया इसमें शामिल तो हो गया, लेकिन फिर कई बार इससे बाहर निकलने की कोशिश कर डाली. हालांकि हर बार इसपर रोक लग जाती है. 

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क्या होगा अगर कोई देश जबरन संधि से बाहर निकल जाए?

इस साल मार्च में रूस ने अमेरिका के साथ अपनी परमाणु संधि सस्पेंड कर दी. ये वो करार था, जिसने दोनों देशों को अपने न्यूक्लियर वेपन भंडार को बढ़ाने पर रोक लगा रखी थी. हालांकि पुतिन ने ये भी कहा कि वो संधि को पूरी तरह तोड़ नहीं रहा, लेकिन अगर अमेरिका नए टेस्ट करता है, तो वो भी पीछे नहीं हटेगा. इसके बाद काफी हो-हल्ला तो हुआ, लेकिन अमेरिका या रूस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान या कार्रवाई जैसी बात नहीं आई. 

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सांकेतिक फोटो (Getty Images)

ये हो सकता है एक्शन

इंटरनेशनल संधि एक तरह का इंटरनेशनल लॉ होती है. हो सकता है कि इससे जबरन बाहर आने पर एक्शन लिया जाए. ऐसा बाईलैटरल संधि में होने की ज्यादा संभावना रहती है. यानी दो देशों के बीच अगर समुद्र को साफ रखने को लेकर कोई समझौता हो और दूसरा देश उसे तोड़ता रहे, तो अगली पार्टी इसपर एक्शन ले सकती है. हालांकि ये एक्शन हमला नहीं है, बल्कि मामला इंटरनेशनल कोर्ट में जाएगा. फिर जुर्माना भी हो सकता है. समुद्र में बिखरी गंदगी को हटाने को भी कहा जा सकता है. 

इकनॉमिक पाबंदियां लगने की संभावना ज्यादा

मल्टीलैटरल ट्रीटी में संभावना होती है कि संधि तोड़ने वाले देश पर आर्थिक पाबंदियां लग जाएं. जैसे यूक्रेन से युद्ध छेड़ने के बाद रूस पर कई सेंक्शन्स लगे. फरवरी 2022 से लेकर इस साल 10 फरवरी तक रूस पर कुल 10,608 प्रतिबंध लग गए. ज्यादातर देशों ने जंग शुरू होने पर दबाव बनाने के लिए रूस पर पाबंदी लगाई. जैसे कई देशों ने उससे तेल या हथियारों के व्यापार पर अनिश्चित समय के लिए रोक लगा दी. कई देशों ने अपने यहां रूस की प्रॉपर्टी फ्रीज कर दी. वहीं बहुत से देशों ने मिलकर तय किया कि वे रूस के राष्ट्रपति या दूसरे नेताओं को अपने यहां आने नहीं देंगे, यानी ट्रैवल बैन.

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