यूक्रेन को लेकर अमेरिका की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी गई है. इसका प्रमुख कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की के बीच हालिया विवाद बताया जा रहा है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वॉशिंगटन की गैरमौजूदगी में यूरोपीय सहयोगी यूक्रेन की मदद करने में सक्षम होंगे? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले यह समझना जरूरी है कि अब तक अमेरिका ने यूक्रेन को कितना और क्या-क्या समर्थन दिया है.
यूक्रेन को अमेरिका और यूरोप से कितनी सहायता मिली?
एक जर्मन थिंक टैंक के अनुसार, अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को 123 अरब डॉलर की सहायता प्रदान की है, जबकि यूरोपीय देशों ने मिलकर कुल 142 अरब डॉलर की सहायता दी है.
यूरोप में सबसे बड़ा दानदाता:
जर्मनी: लगभग 30 अरब डॉलर
ब्रिटेन: 15.5 अरब डॉलर
फ्रांस: 15 अरब डॉलर (जिसमें यूरोपीय संघ की सहायता भी शामिल है)
अमेरिकी सैन्य सहायता
अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वाला सबसे बड़ा देश रहा है. 31 दिसंबर 2024 तक अमेरिका ने यूक्रेन को कुल 67.2 अरब डॉलर की सैन्य मदद दी थी. यह सहायता मिसाइलें, वायु रक्षा प्रणाली, तोपें, बुलेट, रेडियो, इंफैंट्री वाहन और अन्य उपकरणों के रूप में आई.
अमेरिकी वायु रक्षा प्रणाली: अमेरिका ने यूक्रेन को पेट्रियट, NASAMS, HAWK, और एवेंजर जैसी वायु रक्षा प्रणालियां प्रदान की हैं. इसके अलावा, कंधे से दागी जाने वाली स्टिंगर एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल और जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल भी यूक्रेन की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रही हैं.
अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइलें: अमेरिका द्वारा भेजी गई HIMARS और ATACMS मिसाइलों ने यूक्रेन को लंबी दूरी की हमलों की क्षमता दी है. हालांकि, इनका रूस के अंदर इस्तेमाल प्रतिबंधित है, लेकिन यूक्रेनी सेना ने इनका इस्तेमाल रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए किया है.
अमेरिकी टैंक और ड्रोन: अमेरिका ने यूक्रेन को उन्नत टैंकों और आधुनिक ड्रोन की भी आपूर्ति की है, जिससे उसकी सैन्य क्षमताएं बढ़ी हैं.
कुल मिलाकर, यूरोपीय देशों ने अमेरिका की तुलना में अधिक सहायता प्रदान की है, जिसमें सैन्य और मानवीय सहायता शामिल है. हालांकि, ट्रंप द्वारा यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के बाद यूरोपीय देशों ने अपनी सहायता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है.
यूरोपीय वायु रक्षा प्रणाली: ब्रिटेन ने 2 अरब डॉलर की वायु रक्षा मिसाइलों का ऑर्डर दिया है, जबकि जर्मनी के नवनिर्वाचित चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने भी यूक्रेन को अधिक सैन्य सहायता देने के संकेत दिए हैं. हालांकि, यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को सोवियत-युग की 2K12 KUB और रूसी मूल की S-300 जैसी वायु रक्षा प्रणालियां दी हैं, लेकिन ये तत्काल अमेरिका के पेट्रियट सिस्टम का विकल्प नहीं बन सकतीं.
यूरोपीय टैंक और लंबी दूरी की मिसाइलें: जर्मनी और ब्रिटेन ने यूक्रेन को टैंक प्रदान किए हैं, लेकिन अब तक कील इंस्टीट्यूट के अनुसार, यूरोप ने सिर्फ एक NASAMS और एक पेट्रियट सिस्टम ही दिया है. यह ध्यान देने वाली बात है कि पेट्रियट सिस्टम ही रूस की किंझाल मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकता है.
यूक्रेन पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी सैन्य सहायता की कमी का असर धीरे-धीरे युद्ध के मैदान पर दिखेगा. जब 2024 में अमेरिकी कांग्रेस में सहायता रुकी थी, तब शुरुआती प्रभाव वायु रक्षा प्रणालियों की कमी के रूप में दिखा था. बाद में, पूर्वी यूक्रेन में तैनात सैनिकों ने गोला-बारूद की कमी की शिकायत की थी.
खुफिया जानकारी और संचार पर प्रभाव: अमेरिका के साथ होने से यूक्रेन को दुनिया की सबसे उन्नत अंतरिक्ष-आधारित निगरानी, खुफिया जानकारी और संचार सहायता मिल रही थी. अमेरिकी सहायता की अनुपस्थिति में, यूक्रेन की जासूसी और निगरानी क्षमताएं कमजोर हो सकती हैं. फ्रंटलाइन पर संचार व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भी अब समस्या खड़ी कर सकती है. यूक्रेनी सेना का स्टारलिंक उपयोग पेंटागन द्वारा वित्तपोषित था, लेकिन अब जब अमेरिकी सहायता कट चुकी है, तो मस्क इस सेवा का खर्च उठाने से इनकार कर सकते हैं.
क्या यूरोप यूक्रेन को बचा सकता है?
यूरोपीय देशों ने सैन्य सहायता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप अमेरिकी सैन्य सहायता की जगह पूरी तरह नहीं ले सकता. अमेरिका के पेट्रियट सिस्टम का विकल्प यूरोपीय देशों के पास नहीं है. HIMARS और ATACMS जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें यूरोप के पास सीमित मात्रा में हैं. अमेरिका के उन्नत ड्रोन और टैंक के बराबर यूरोपीय विकल्प नहीं हैं. अमेरिकी खुफिया नेटवर्क का विकल्प यूरोप नहीं दे सकता.
यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता पर निर्भर रहना पड़ा है, और इसकी अनुपस्थिति से जमीनी युद्ध में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. यूरोप सहायता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी क्षमताएं सीमित हैं.अगर अमेरिका से सैन्य सहायता जल्द बहाल नहीं होती है, तो यूक्रेन को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.