अमेरिका के ओहियो यूनिवर्सिटी के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि डायनासोर अपनी नाक का इस्तेमाल न केवल सूंघने और सांस लेने के लिए करते थे, बल्कि दिमाग को ठंडा रखने के लिए भी करते थे.
अध्ययन के मुख्य लेखक जेसन बॉर्क ने कहा, 'डायनासोर की नाक काफी बड़ी होती थी. उनकी थूथनी के बारे में पूरी जानकारी का पता लगाना बेहद मुश्किल काम था, क्योंकि उनकी नाक विभिन्न कार्यो को अंजाम देती है.'
आधुनिक दौर के डायनासोर के संबंधियों जैसे ऑस्ट्रिच और एलिगेटर के नाक से हवा किस तरह प्रवाहित होती है, इसका पता लगाने के लिए कंप्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स का सहारा लिया गया. लूसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी की सह-लेखक एम्मा स्काकनेर ने कहा, 'जब हमने स्फेरोथोलस (डायनासोर की एक प्रजाति) की खोपड़ी के अवशेष को साफ किया, तो उसके अंदर हमें नाजुक हड्डियों का एक ढांचा मिला, जो निश्चित तौर पर नासिका टर्बिनेट था.'
निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि टर्बिनेट मस्तिष्क को ठंडा करने का भी काम करता है. ओहियो विश्वविद्यालय में अध्ययन के सह लेखक रगर पोर्टर ने कहा, 'शरीर से गर्म रक्त टर्बिनेट में पहुंचता था, जहां वह ठंडा होने के बाद सिरा के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता था.' यह अध्ययन पत्रिका 'एनाटोमिकल रिकॉर्ड' में प्रकाशित हुआ है.
(इनपुट: IANS)