दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट पर बढ़ती भीड़ के कारण यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. हालात खराब होते देख इंडिगो एयरलाइन तो यात्रियों से 3.5 घंटे पहले पहुंचने की अपील तक कर चुकी है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या फ्लाइट के समय से काफी पहले एयरपोर्ट पहुंचना समस्या का समाधान हो सकता है?
फ्लाइट से सफर करने वाले ज्यादातर यात्रियों के पास समय की कमी होती है. ऐसे में लंबी-लंबी लाइन के कारण उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. इन लंबी लाइन का कारण हवाईअड्डों पर चेक-इन, सुरक्षा जांच और पासपोर्ट कंट्रोल एरिया में पीक समय के दौरान होने वाली भीड़ है. इससे न सिर्फ यात्रियों को झुंझलाहट होती है, बल्कि एयरपोर्ट की रैकिंग पर भी बुरा असर पड़ता है. एयरपोर्ट की सुरक्षा बेहद सख्त होती है क्योंकि एयरपोर्ट्स हमेशा से आतंकियों का सॉफ्ट टारगेट रहे हैं.
हाल ही में 12 दिसंबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर अचानक 4 लाख से ज्यादा यात्रियों की आवाजाही देखी गई. इतनी ज्यादा भीड़ के बाद एयरपोर्ट का क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम ही बिगड़ गया. एयरपोर्ट पर लोग घंटों तक परेशान होते रहे.
एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ने के 5 कारण
1. लोगों की शिकायत है कि IGI एयरपोर्ट की एक्स रे मशीन बहुत धीरे काम करती हैं. इसके कारण सामान की जांच करने में काफी समय लगता है. 14 दिसंबर को ही 4 अतिरिक्त एक्सरे मशीन लगवाई गई हैं.
2. देश की राजधानी का एयरपोर्ट होने के चलते यहां सख्ती के साथ यात्रियों के सामान की तालीशी ली जाती है. लोगों का कहना है कि सुरक्षाबलों की कमी के चलते भी जांच में देरी होती है. हालांकि, मंत्रालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों की तैनाती बढ़ाने की बात कही है.
3. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली एयरपोर्ट की क्षमता हर महीने 5.8 मिलियन यानी 58 लाख लोग यात्रा कर सकते हैं. फिलहाल एयरपोर्ट की क्षमता के मुकाबले 95% लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. हर महीने 5.5 मिलियन यानी 55 लाख यात्री दिल्ली एयरपोर्ट से यात्रा करते हैं. 12 दिसंबर को तो सभी रिकॉर्ड्स तोड़ते हुए यहां से 4.12 लाख यात्रियों की आवाजाही हुई थी. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोई भी एयरपोर्ट अगर 80 फीसदी से ज्यादा क्षमता का इस्तेमाल करता है तो वहां भीड़ बढ़ना तय है.
4. कोरोना महामारी के समय एयरपोर्ट पर तैनात कई सुरक्षाकर्मी, साफ-सफाई, खानपान और ग्राउंड स्टाफ में लगे कर्मचारियों को हटा दिया गया था. तब एयरपोर्ट्स पर भीड़ काफी कम थी, लेकिन अब ज्यादातर देशों से कोविड प्रोटोकॉल हट जाने के कारण भीड़ बढ़ गई है. जबकि ज्यादातर कर्मचारियों की बहाली अब तक नहीं की गई है.
5. स्पेनिश एयरलाइन इबेरिया ने बताया था कि एयरपोर्ट पर लंबी लाइनों के कारण मार्च से अब तक उनके 15,000 यात्रियों की फ्लाइट छूट गई. इसके बाद मैड्रिड के बाराजस हवाईअड्डे पर नए कर्मचारियों की ताबड़तोड़ भर्ती की गई.
दुनिया के बड़े एयरपोर्ट्स पर कैसे मैनेज किया जाता है क्राउड
ब्रिटेन: हीथ्रो एयरपोर्ट
लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट को यूरोप का गेट कहा जाता है. इसकी कैपेसिटी 1 लाख यात्री प्रतिदिन डिपार्चर करने की है. यहां क्राउड मैनेजमेंट के लिए कई उपाय अपनाए गए हैं. जैसे एयरपोर्ट पहु्ंचने से पहले ही पार्किंग बुक करने पर लोगों को 3 गुना छूट दी जाती है. हीथ्रो एयरपोर्ट पर यात्रियों को लंबी-लंबी लाइन बाइपास करने की सुविधा दी जाती है. इसके लिए उन्हें फास्ट ट्रैक टिकट लेना होता है. सबसे खास बात यह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी इसके लिए किसी तरह का चार्ज नहीं लेती है.
तुर्की: इस्तांबुल एयरपोर्ट
इस्तानबुल एयरपोर्ट पर यात्रियों की भीड़ को कम करने और बेहतरीन अनुभव देने के लिए अलग-अलग लाउंज बनाए गए हैं. इसमें लोग खेल के साथ-साथ दूसरे कई इंटरटेनमेंट के अनुभव ले सकते हैं. हवाईअड्डे में कैफे और रेस्टोरेंट को भी आकर्षक तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकी यात्री खाली समय वहां बैठकर गुजारें. इसके अलावा यात्रियों को स्लीप पॉड्स और टीवी या मनोरंजन केबिन भी विकल्प के तौर पर दी जाती है.
सऊदी अरब: किंग फहद एयरपोर्ट
किंग फहद इंटरनेशनल इयरपोर्ट पर क्राउड मैनेजमेंट का खास खयाल रखा जाता है. यहां ज्यादातर चेकिंग के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इस एयरपोर्ट पर भीड़ कम रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है. जिनका काम क्राउड बढ़ने पर उसे तेजी से मैनेज करना है. इसके अलावा समय के साथ-साथ इस एयरपोर्ट को अपग्रेड किया जाता है. फिलहाल एयरपोर्ट में हर 12.6 मिलियन यात्री आवाजाही करते हैं. अगले 10 से 15 साल तक इसकी क्षमता 25 से 30 मिलियन कर दी जाएगी.