प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दोपहर 3 बजे ईरान की दो दिन की यात्रा पर रवाना हो गए. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों में कई अहम समझौते हो सकते हैं. इनमें से सबसे खास चाबहार पोर्ट को लेकर होने वाला समझौता है. यात्रा पर जाने से पहले मोदी ने ट्वीट करके कहा कि उन्हें चाबहार पोर्ट डील होने का भरोसा है. इससे दोनों देशों के बीच कारोबार करना आसान हो जाएगा.
I also look forward to the conclusion of the Chahbahar Agreement during my visit.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 22, 2016
ईरान चाबहार पोर्ट को डेवलप करना चाहता है और भारत इसमें मदद को तैयार है. इसके फर्स्ट फेज के डेवलपमेंट के लिए दोनों देशों मे डील होने जा रही है. इसके अलावा ईरान को ऑयल सेक्टर में भी भारत मदद करेगा. चाबहार पोर्ट के तैयार हो जाने के बाद भारत और ईरान सीधे व्यापार कर सकेंगे. भारतीय या ईरानी जहाजों को पाकिस्तान के रूट से नहीं जाना पड़ेगा. इस समझौते में अफगानिस्तान का भी अहम रोल होगा. रविवार की शाम तेहरान पहुंचने के बाद मोदी ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्लाह अली खमेनी और प्रेसिडेंट रूहानी से मिलेंगे.
Enhancing connectivity, trade, investments, energy partnership, culture and people to people contacts would be our priority.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 22, 2016
ईरान पर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भारत की कोशिश है कि वो इस मौके का फायदा उठाए और ईरान से ट्रेड तेजी से बढ़ाया जाए. मोदी की ईरान यात्रा बेहद कामयाब हो सकती है. इसके फायदे आने वाले दिनों में नजर आएंगे. भारत की कई बड़ी कंपनियां ईरान में आईटी और दूसरे सेक्टर में काम करना चाहती हैं. इस यात्रा से इन कंपनियों को फायदा होगा.
भारत को चाबहार पोर्ट से क्या फायदा होगा?
चाबहार पोर्ट बनने के बाद सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे. इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है.
पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन का 'कब्जा'
यह जरूरी इसलिए भी है कि पाकिस्तान ने आज तक भारत के प्रोडक्ट्स को सीधे अफगानिस्तान और उससे आगे जाने की इजाजत नहीं दी है. इतना ही नहीं यह पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर तो एक तरह से चीन ने कब्जा ही कर लिया है. ग्वादर बंदरगाह के जरिए चीन ने अपनी सामरिक पकड़ भारतीय समंदर तक बना ली है. ऐसे में चाबहार पोर्ट समझौता पाकिस्तान और चीन को भारत का करारा जवाब होगा. वैसे तो यह सौदा 2015 में ही फाइनल हो गया था लेकिन बाद में कुछ दिक्कतें आ गईं थीं.