पाकिस्तानी किशोरी और सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई का कहना है कि वह अपनी आदर्श बेनजीर भुट्टो के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए प्रधानमंत्री बनना चाहती है और इस पद का इस्तेमाल अपने देश की सेवा करने के लिए करना चाहती हैं.
16 वर्षीय मलाला ने सीएनएन को दिए साक्षात्कार में यहां कहा, ‘मैं पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनना चाहती हूं.’ मलाला ने उस दिन के बारे में बात की जब तालिबान के बंदूकधारी उसकी स्कूल बस में चढ़ गए थे और उसके सिर पर गोली मारी थी.
मलाला ने बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने के अपने सपने, देशों और संगठनों से मिली वैश्विक पहचान, नोबल के लिए शीर्ष दावेदार होने संबंधी विचारों और पॉप स्टार जस्टिन बीबर एवं सेलेन गोमेज के गानों की अपनी पसंद के बारे में भी बात की.
मलाला पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर को अपने आदर्शों में से एक मानती हैं और उसका कहना है कि वह उन्हें सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. मलाला ने कहा कि वह भविष्य में अपने देश का नेतृत्व करना चाहती हैं और राजनीति उसे अपने देश की सेवा करने का मंच मुहैया कराएगी.
उसने कहा कि वह पहले चिकित्सक बनने का सपना देखा करती थी लेकिन अब वह राजनीति में आना चाहती है.
मलाला ने कहा, ‘ मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा होगा क्योंकि राजनीति के जरिए मैं अपने पूरे देश की सेवा कर सकती हूं, पूरे देश की चिकित्सक बन सकती हूं, बच्चों को शिक्षित करने में मदद कर सकती हूं, स्कूल जाने में उनकी मदद कर सकती हूं, शिक्षा का स्तर सुधार सकती हूं.’
उसने कहा, ‘ मैं देश की प्रधानमंत्री के तौर पर बजट से शिक्षा पर अधिक फंड खर्च कर सकती हूं और विदेशी मामलों को भी देख सकती हूं.’
मलाला ने कहा कि तालिबान के हमले का शिकार बनने और मौत का सामना करने के बावजूद उसने सपने देखना बंद नहीं किया है और वह शिक्षा के लिए काम करना चाहती है.
मलाला ने कहा, ‘ तालिबान मेरे शरीर को गोली मार सकता है लेकिन वह मेरे सपनों को नहीं मार सकता.’ उसने कहा कि तालिबान ने उसे मारने और चुप कराने की कोशिश करके अपनी सबसे बड़ी गलती की है.
मलाला ने कहा, ‘ यह अभियान कभी समाप्त नहीं होने वाला. एक दिन ऐसा आयेगा जब हर बच्चा, लड़की और लड़का, काला और गोरा, इसाई और मुस्लिम स्कूल जाएगा.’
मलाला ने कहा, ‘ उन्होंने मुझे गोली मारी, उन्होंने सबसे बड़ी गलती की, उन्होंने सुनिश्चित कर दिया कि मौत भी मेरा समर्थन कर रही है. मौत भी मुझे नहीं मारना चाहती और अब मुझे मरने से डर नहीं लगता.पहले मुझे मौत से डर जरूर लगता होगा लेकिन अब मुझे मौत का भय कतई नहीं है.’
उसने कहा,‘ सबसे कीमती लक्ष्य जो मैं हासिल करना चाहती हूं वह हर बच्चे को स्कूल जाते देखना है. यह शांति, शिक्षा और सद्भाव का पुरस्कार होगा.’