हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि बगावत करने वाले वैगनर समूह को ना तो कोई कानूनी मान्यता मिली हुई है और ना ही उसका कोई अस्तित्व है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भाड़े के समूह (वैगनर ग्रुप) के मालिक येवगेनी प्रिगोझिन को जहर दिए जाने की संभावना का मजाक उड़ाया है. बाइडेन ने कहा कि वह जो भी खाते हैं, उसके प्रति सावधान रहेंगे. दरअसल एक अखबार ने कहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बैठक के दौरान वैगनर के भाड़े के सैनिकों को लड़ते रहने को कहा और सुझाव दिया कि वह येवगेनी प्रिगोझिन को अपना कमांडर ना मानें.
बाइडेन का बयान
प्रिगोझिन को 24 जून को दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव छोड़ने के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका को भी नहीं पता है कि कि प्रिगोझिन कहां है. बाइडेन ने कहा, "अगर मैं उनकी जगह होता, तो मैं सावधान रहता कि मैंने क्या खाया. मैं अपने मेनू पर नज़र रखता...लेकिन सब मजाक कर रहे हैं...मुझे नहीं लगता कि हममें से कोई भी निश्चित रूप से जानता है कि रूस में प्रिगोझिन का भविष्य क्या है."
नया कमांडर?
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों और रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैगनर कमांडर आंद्रेई ट्रोशेव उर्फ "सेडोई" को वैगनर ग्रुप की कमान दिए जाने की संभावना है. सेडोई को अफगानिस्तान और चेचन्या में युद्ध का अनुभव है. ट्रोशेव पुतिन के गृह नगर सेंट पीटर्सबर्ग से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें राष्ट्रपति का करीबी भी बताया जा रहा है. अखबार ने पुतिन के हवाले से कहा, 'वे सभी एक जगह इकट्ठा हो सकते थे और सेवा करना जारी रख सकते थे और उनके लिए कुछ भी नहीं बदला होगा. उनका नेतृत्व वही व्यक्ति कर रहा होगा जो उस समय उनका असली कमांडर रहा होगा.' पुतिन ने कहा कि कई कमांडरों ने उनके सुझाव पर अपना सिर हिलाया था, लेकिन प्रिगोझिन, जो सामने बैठे थे, ने यह नहीं देखा.'
वैगनर ने 2014 में रूस को क्रीमिया पर कब्जा करने में मदद की, सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध करने के अलावा मध्य अफ्रीकी गणराज्य और माली में अभियान चलाया. इस साल की शुरुआत में दोनों पक्षों के काफी नुकसान के साथ यूक्रेनी शहर बखमुत को रूस के लिए ले लिया.
वैगनर ने कब और क्यों की बगावत?
दरअसल, वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे खास होते थे. लेकिन अब प्रिगोझिन और रूसी सेना के बीच टकराव चल रहा है. प्रिगोझिन ने 23 जून को रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्री ने यूक्रेन में वैगनर आर्मी पर रॉकेट से हमले का आदेश दिया. प्रिगोझिन ने कहा कि वे इस हमले का बदला रूसी रक्षा मंत्री से लेंगे और इसमें रूसी सेना हस्तक्षेप न करे. इसके बाद प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों के साथ यूक्रेन से लौटकर रूस की सीमा में मार्च शुरू कर दिया. 24 जून को प्रिगोझिन ने दावा किया कि उन्होंने रूस के दक्षिणी शहर रोस्तोव में कब्जा कर लिया. इसके बाद प्रिगोझिन मॉस्को की तरफ बढ़ने लगे. हालांकि, वैगनर ने पुतिन का नाम नहीं लिया.
- इससे पहले रूस ने जब यूक्रेन के डोनेट्स्क पर कब्जा किया था, तो प्रिगोझिन ने इसका पूरा श्रेय वैगनर आर्मी को दिया और रूसी रक्षा मंत्रालय पर वैगनर की भूमिका दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
- इतना ही नहीं रूसी रक्षा मंत्रालय ने 11 जून को आदेश दिया था कि वैगनर ग्रुप समेत अन्य सभी प्राइवेट सेनाओं के सैनिकों को रूसी सेना में शामिल किया जाएगा. इसके लिए सभी को जून के आखिर तक समझौता करना ही होगा. रक्षा मंत्रालय के इस आदेश को यूक्रेन युद्ध पर पूर्ण नियंत्रण पाने की कोशिश की तरह देखा गया. ऐसे में प्रिगोझिन ने विरोध में कहा, हम ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे. हम इसका बहिष्कार करेंगे.
पुतिन बोले- हमारी पीठ पर छुरा घोंपा गया
उधर, प्रिगोझिन की बगावत देख पुतिन ने रूस की जनता को संबोधित किया. इस दौरान पुतिन ने कहा, 'हमारी पीठ में छुरा घोंपा गया और उन्हें इसकी सजा मिलेगी. हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं. हथियारबंद बागियों को हम करारा जवाब देंगे और विद्रोह को कुचल देंगे.' हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में वैगनर और येवगेनी प्रिगोझिन का नाम नहीं लिया था. विद्रोह की तुलना 1917 की क्रांति के बाद हुई युद्धकालीन उथल-पुथल से की.
कौन हैं प्रिगोझिन?
येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते हैं. प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ. प्रिगोझिन 20 साल की उम्र में ही मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित हो गए. इसके बाद उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया.
प्रिगोझिन ने जेल से रिहा होने के बाद हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उन्होंने महंगा रेस्तरां खोला. येवगेनी का रेस्तरां इस कदर फेमस हो गया कि लोग इसके बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे. यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. इसके बाद येवगेनी को सरकारी अनुबंध दिए जाने लगे. प्रिगोझिन की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है, और उन्होंने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक भूमिका से इनकार किया है, लेकिन उनका प्रभाव खाने की मेज से कहीं आगे तक पहुंच गया था.
पुतिन का राइट हैंड था प्रिगोझिन
प्रिगोझिन धीरे धीरे पुतिन का राइट हैंड बन गया. येवगेनी ने रूसी सेना के साथ मिलकर प्राइवेट आर्मी वैगनर की अगुवाई की. चाहें अमेरिका में चुनाव में दखल हो या फिर अफ्रीका और मध्य पूर्व में युद्ध में लड़ाके भेजना...पुतिन पर वैगनर का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता रहा है. 2017 के बाद से येवगेनी की वैगनर आर्मी ने माली, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और मोजाम्बिक में सैन्य दखल के लिए सैनिकों को तैनात किया.
येवगेनी को "मीटग्राइंडर" भी कहा गया. उन्होंने इस साल की शुरुआत में कहा था कि उन्हें इसके बजाय मुझे 'पुतिन का कसाई' कहना चाहिए था. लेकिन जैसे-जैसे वैगनर को उसकी सफलताओं का श्रेय मिलना शुरू हुआ तो येवगेनी ने रूसी सेना की आलोचना करना शुरू कर दिया और युद्ध प्रयासों में उनके योगदान को अधिक मान्यता देने की मांग की. हालांकि, पुतिन और रूसी सेना को ये पसंद नहीं आया. हालांकि वह और येवगेनी अब तक एक-दूसरे के खिलाफ सीधे हमलों से बचते रहे हैं. लेकिन पुतिन ने वैगनर समूह को रूसी सेना के नियंत्रण में लाने के कदम का समर्थन किया है. यूक्रेन से युद्ध के समय प्रिगोझिन लगातार रूसी सेना पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं.