पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर शहवाज शरीफ सरकार पर हमला बोला है. इमरान ने भारत की विदेश नीति की तारीफ की है और आईएसआई को खुले तौर पर चेतावनी दी. इमरान ने कहा कि मैं आईएसआई की पोल खोल दूंगा. मैं कोई कानून को नहीं तोड़ रहा हूं. इमरान ने सेना प्रमुख बाजवा को मीर जाफर और गद्दार बताकर संबोधित किया. इमरान का कहना था कि मैं नवाज शरीफ की तरह भागा नहीं हूं. देश में ही हूं और कानून का सामना करूंगा.
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान और पार्टी कार्यकर्ताओं ने लाहौर के लिबर्टी चौक से इस्लामाबाद तक 'हकीकी आजादी लॉन्ग मार्च' शुरू किया है. इस दौरान इमरान ने जनता को संबोधित किया. इमरान ने कहा- डीजी आईएसआई अपने कान खोलो और सुनो, मैं बहुत कुछ जानता हूं लेकिन मैं सिर्फ इसलिए चुप हूं क्योंकि मैं अपने देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. मैं बेहतरी के लिए रचनात्मक आलोचना करता हूं, अन्यथा मैं बहुत कुछ कह सकता हूं.
पाकिस्तान में इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम के बीच खुलकर तकरार चल रही है. इमरान लगातार बजावा को मीर जाफर और गद्दार कह रहे हैं. इमरान खान के हमलों का जवाब देने के लिए डायरेक्टर जनरल आईएसआई लेफ्टिनेंट नदीम अंजुम को मीडिया के सामने आना पड़ा. उन्होंने इमरान के आरोपों का खंडन किया है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी आईएसआई चीफ को सामने आना पड़ा है. कहा जाता है कि आईएसआई चीफ कैमरे से दूर रहते हैं.
दरअसल, आज से पहले कभी भी किसी भी आईएसआई चीफ का चेहरा यूं सार्वजनिक होते किसी ने नहीं देखा. किसी आईएसआई चीफ ने कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की. कभी कैमरे पर नहीं आए. लेकिन नदीम अंजूम ना सिर्फ सामने आए, बल्कि इमरान को झूठा और मक्कार भी कहा. आईएसआई के डीजी के यूं सामने आने पर सबको हैरत हो रही. वहां की मीडिया भी हैरान है.
सेना को पहली बार खुलकर देनी पड़ रही है सफाई
बताते चलें कि पाकिस्तान की राजनीति इस समय 360 डिग्री से घूम गई है. कभी कमर बाजवा के करीबी रहे इमरान का अब छत्तीस का आंकड़ा हो गया है और शाहबाज अब सेना चीफ के साथ खडे़ हो गए हैं. शाहबाज सरकार के गृह और रक्षा मंत्री इमरान पर आगबबूला हो रहे हैं. ये भी दिलचस्प है कि पाकिस्तान की सेना को पहली बार ये खुलकर कहना पड़ रहा है कि सियासत से उसका कोई लेना-देना नहीं.
केन्या में पत्रकार की हत्या के बाद सरकार पर निशाना
उसे ये सब इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि पाकिस्तान के एक पत्रकार अरशद शरीफ की केन्या में हत्या हो गई और इसके पीछे सेना की भूमिका को लेकर इमरान ने सवाल खडे़ कर दिए. अरशद शरीफ की इमेज इमरान समर्थक पत्रकार की रही है. और उनकी हत्या पर इस वक्त पाकिस्तान में बड़ा घमासान है. वैसे भी ऐसे घमासान पाकिस्तान के लिए नई बात नहीं है.
4 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा मार्च
70 वर्षीय इमरान खान की 4 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचने की योजना है. उन्होंने अपनी पार्टी को विरोध रैली करने की अनुमति देने के लिए सरकार से औपचारिक अनुमति मांगी है. उनकी पार्टी ने विरोध को 'हकीकी आजादी मार्च' नाम दिया है. हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि इमरान रैली को इस्लामाबाद में खत्म करेंगे या इसे अपने 2014 के विरोध की तर्ज पर धरना में बदल देंगे. बता दें कि तब उनके समर्थकों ने संसद भवन के सामने 126 दिन तक धरना दिया था.
कानून व्यवस्था बिगड़ी तो सख्त एक्शन लेंगे: सरकार
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने पीटीआई को चेतावनी दी और शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि कानून व्यवस्था को ना बिगड़ने दिया जा सके. मंत्री राणा सनाउल्लाह ने चेतावनी दी कि अगर कानून को तोड़ा गया और राजधानी में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. अगर प्रदर्शनकारी कानून का पालन करते हैं तो हम उन्हें सुविधा प्रदान करेंगे.
पीटीआई ने पत्रकार को समर्पित किया मार्च
जवाब में पीटीआई के महासचिव असद उमर ने कहा कि विरोध शांतिपूर्ण होगा. अब से सभी निर्णय लोगों द्वारा लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी ने मारे गए पत्रकार अरशद शरीफ को मार्च समर्पित करने का फैसला किया है. पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने जनता से विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा- अगर आप पीटीआई से ताल्लुक नहीं रखते हैं तो भी आपको इस मार्च में हिस्सा लेना चाहिए. देश को बंद दरवाजों के पीछे लिए गए फैसलों को खारिज करना चाहिए.