प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शव पर पुष्पचक्र रखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर ने 1984 में कहा था, ‘मैं श्रीमती इंदिरा गांधी को बहुत मिस करूंगी.’ थैचर का 08 अप्रैल 2013 को निधन हो गया.
इंदिरा गांधी की अंत्येष्टि में हिस्सा लेने लंदन से आई थैचर तब तीन मूर्ति भवन गई थीं जहां दिवंगत प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर रखा हुआ था. इंदिरा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद थैचर ने पत्रकारों से कहा, ‘मैं श्रीमती इंदिरा गांधी को बहुत मिस करूंगी.’
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की आंखें डबडबाई हुईं थी. उन्होंने कहा, ‘वह सचमुच एक महान नेता थीं.’ उन्होंने अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों इंदिरा गांधी की हत्या और उसपर ब्रिटेन में कुछ लोगों की खुशी मनाने पर तीखी प्रतिक्रिया की थी.
उन्होंने पत्रकारों से कहा था, ‘मुझे पता चला कि ब्रिटेन में गैर जिम्मेदार लोगों के एक बहुत ही छोटी संख्या के घृणित व्यवहार पर भारत सरकार और भारत के अवाम में दुख और गुस्सा है जिन्होंने श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या पर खुशियां मनाई और उन्हें जो प्रचार मिला.’ थचर ने अपनी आपबीती में भी 1976 में अपने सफदरजंग रोड निवास पर उन्हें दिए गए भोज का जिक्र किया. तब थैचर प्रधानमंत्री नहीं बनी थीं.
थैचर सियासत में बेहद कंजरवेटिव थीं जबकि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इंदिरा गांधी खुद को फाबियान तर्ज का समाजवाद से जुड़ा मानती थीं. दोनों के बीच विचारधारात्मक गठबंधन की कोई गुंजाइश नहीं थी. विचारधारा के मामले में इस अंतराल के बावजूद दोनों दोस्त बनी. दोनों की कठोर प्रबंधनशैली में समान प्रतीत होती थीं. साथ ही दोनों राजनीतिक असंतोष के प्रति अधीर थीं.
भारत महोत्सव के शुभारंभ पर 22 मार्च 1982 को लंदन में इंदिरा गांधी का स्वागत करते हुए थैचर ने जो भाषण दिया था उसमें उन्होंने दिवंगत भारतीय नेता को एक महान देश की ‘एक प्रतिष्ठित नेता’ और ‘महानतम लोकतंत्र’ की प्रधानमंत्री बताया था.
थैचर इसके एक साल पहले दिल्ली आईं थी और तभी उन्होंने भारत महोत्सव के उद्घाटन समारोह के लिए इंदिरा गांधी को आमंत्रित किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें भारत में जो गर्मजोशी और आतिथ्य मिला उसका कोई जवाब नहीं था.