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सूडान की महिला अमीरा ने कहा, 'मुस्लिम हूं, नहीं पहनूंगी हिजाब'

सूडान की रहने वाली एक मुस्लिम महीला का कहना है कि वह तालिबान जैसे कानून का पालन नहीं करेगी और अपने सिर पर हिजाब नहीं पहनेगी. और तो और वह इसके लिए कोड़े खाने के लिए भी तैयार है.

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अमीरा ओसमान हमीद
अमीरा ओसमान हमीद

सूडान की रहने वाली एक मुस्लिम महीला का कहना है कि वह तालिबान जैसे कानून का पालन नहीं करेगी और अपने सिर पर हिजाब नहीं पहनेगी. और तो और वह इसके लिए कोड़े खाने के लिए भी तैयार है.

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अमीरा ओसमान हमीद नाम की इस महिला पर धारा 152 (अशोभनीय कपड़े पहनना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इस मामले पर 19 सितंबर को सुनवाई होगी और अगर वह दोषी पाई गईं तो उन्‍हें कोड़े मारे जा सकते हैं.

सूडान के काननू के मुताबिक यहां की हर महिला को अपना सिर हिजाब से ढकना अनिवार्य है, लेकिन अमीरा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उन्‍हें नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले कई कार्यकर्ताओं का खूब समर्थन भी मिल रहा है.

AFP को दिए एक इंटरव्‍यू में अमीरा ने कहा, 'वे हमें तालिबानी महिलाओं की तरह देखना चाहते हैं.'

कार्यकर्ताओं का कहना कि अस्‍पष्‍ट कानूनों के चलते महिलाओं को पुलिस अत्‍याचार का सामना करना पड़ता है और पब्लिक ऑर्डर को संभालने के नाम पर पुलिस मासूमों को अपना शिकार बनाती है.

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अमीरा का कहना है कि वो 27 अगस्‍त को राजधानी खार्तूम में एक सरकारी अधिकारी से मिलने गई थी, तभी एक पुलिसवाले ने आक्रामक लहजे में उससे सिर ढकने के लिए कहा. अमीरा के मुताबिक, 'उसने कहा, 'तुम सूडानी नहीं हो. तुम्‍हारा धर्म क्‍या है?' मैंने जवाब देते हुए कहा, मैं सूडानी हूं. मैं मुस्लिम हूं और मैं अपना सिर नहीं ढकूंगी.'

इससे पहले साल 2009 में महिला पत्रकार लुबना अहमद अल-हुसैन के मामले ने सूडान में महिला अधिकारों की ओर पूरी दुनिया का ध्‍यान खींचा था.

आपको बता दें कि सार्वजनिक रूप से स्‍लैक्‍स पहनने के आरोप में लुबना पर जुर्माना लगाया गया, जिसे भरने से उन्‍होंने इनकार कर दिया. उन्‍हें एक दिन जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा. जब सूडान की पत्रकार यूनियन ने उनके बदले जुर्मान भरा, तब जाकर उन्‍हें आजाद किया गया.

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