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भारतीय फिल्मों पर बैन लगा तो बर्बाद हो जाएगी पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री

इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगा दिया है. पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्मों की स्क्रीनिंग भी रोकने की धमकी दी गई है. इसके जवाब में पाकिस्तान में सिनेमाघरों ने भी बॉलीवुड की फिल्में नहीं दिखाने का फैसला किया है.

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पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड में भी काम करते रहे हैं
पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड में भी काम करते रहे हैं

शुक्रवार से पाकिस्तान में सभी तरह के भारतीय कंटेंट के प्रसारण पर रोक लग जाएगी. इसमें डीटीएच सेवाएं और रेडियो कंटेंट भी शामिल हैं. पाकिस्तान की इलेक्ट्रानिक मीडिया रेगुलेशन अथॉरिटी (PEMRA) ने यह फैसला लिया है. यह बैन 21 अक्टूबर दोपहर तीन बजे से प्रभावी हो जाएगा. यह आदेश नहीं मानने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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उरी हमले में भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगा दिया है. पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्मों की स्क्रीनिंग भी रोकने की धमकी दी गई है. इसके जवाब में पाकिस्तान में सिनेमाघरों ने भी बॉलीवुड की फिल्में नहीं दिखाने का फैसला किया है.

यानी उरी हमले और उसके बाद पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सरहद पर बढ़ते तनाव का असर कला और संस्कृति के क्षेत्र में साफ दिखने लगा है. फवाद खान, माहिरा खान और अली जफर जैसे तमाम पाकिस्तानी कलाकार भारत आते हैं और बॉलीवुड की फिल्मों में काम करते हैं. दूसरी तरफ बॉलीवुड की फिल्मों के पाकिस्तान में भी बड़ी तादाद में दीवाने हैं. ऐसे में पाकिस्तान में भारतीय कंटेंट बैन किए जाने और बॉलीवुड की फिल्में पाकिस्तान में नहीं दिखाए जाने से सरहद के दोनों तरफ ही नुकसान होगा. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान पड़ोसी मुल्क को होगा.

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सुल्तान ने तोड़ा रिकॉर्ड
बॉलीवुड की फिल्में पाकिस्तान में खूब देखी जाती हैं. खासकर सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान की फिल्में. पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों के अलावा राजधानी इस्लामाबाद में सबसे ज्यादा बॉलीवुड की फिल्में देखी जाती हैं. पेशावर और क्वेटा में बॉलीवुड की फिल्मों के दीवाने हैं. इस साल ईद के मौके पर रिलीज हुई सलमान की फिल्म 'सुल्तान' ने पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बिजनेस करने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 6 जुलाई 2016 को रिलीज हुई इस फिल्म ने 17 जुलाई तक 28 करोड़ रुपये कमा लिए थे.

70 फीसदी बिजनेस कम
अगर भारत-पाकिस्तान सरहद पर तनाव बरकरार रहता है तो बॉलीवुड की फिल्मों के राजस्व में कमी आएगी ही, पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री पर भी बुरा असर पड़ेगा. पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्में नहीं दिखाए जाने से पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री का बिजनेस 70 फीसदी कम हो जाएगा. क्योंकि पाकिस्तानी फिल्म इं‍डस्ट्री में 70 फीसदी बिजनेस बॉलीवुड और हॉलीवुड से आता है.

हर साल 100 करोड़ का नुकसान
पाकिस्तान में हर साल बॉलीवुड की करीब 50 फिल्में रिलीज होती हैं और औसतन हर फिल्म डेढ़ से दो करोड़ रुपये कमाई करती है. इस तरह हर साल दोनों तरफ 100 करोड़ का नुकसान होगा. यही नहीं, बॉलीवुड की फिल्में पाकिस्तान में रिलीज होती हैं तो वहां की फिल्मों की तुलना में बहुत ज्यादा बिजनेस करती हैं. पाकिस्तान में वहां की किसी फिल्म की एक दिन की सबसे ज्यादा कमाई दो करोड़ रुपये या इसके आसपास रही है. जबकि 'सुल्तान' ने पहले दिन साढ़े तीन करोड़ की कमाई की थी.

वजूद पर संकट
एक सिनेमा इंडस्ट्री को सर्वाइव करने के लिए हर साल कम से कम 50 से 60 फिल्में प्रोड्यूस करनी होती है. लेकिन पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री अपने बूते इतनी फिल्में नहीं प्रोड्यूस कर पा रही है. ऐसे में पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री को अपना वजूद बचाए रखने के लिए बॉलीवुड की फिल्में दिखाना जरूरी है. आज हालत यह है कि पाकिस्तान बॉलीवुड के टॉप 5 विदेशी बाजारों में एक हो गया है.

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हर साल महज 20 फिल्में
हालांकि, इस तथ्य पर यकीन करना भी मुश्किल है कि 70 के दशक तक पाकिस्तान सबसे ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस करने वाले दुनिया के टॉप 10 देशों में शुमार था. हर साल 100 से ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस होती थीं और पाकिस्तान में 1300 से 1400 सिनेमाघर हुआ करते थे. लेकिन होम वीडियो, सैटेलाइट डिश और इंटरनेट के आने से इसमें गिरावट आई. घर-घर में टीवी सेट लगे और जनरल जिया की फिल्म विरोधी नीतियों के चलते तो फिल्म इंडस्ट्री का सत्यानाश ही हो चला. हालत यह हो गई कि पाकिस्तान में हर साल महज 20 फिल्में प्रोड्यूस हो पाती हैं और इनमें भी अधि‍कतर पश्तो में होती हैं. पाकिस्तान भर में अब 70 से भी कम सिनेमाघर बचे हैं.

हर 100 रुपये में 60-75 रुपये भारत के
बीते तीन सालों के दौर पर नजर डालें तो पाते हैं कि पाकिस्तान में बॉक्स ऑफिस को होने वाली कुल कमाई का 60 से 75 फीसदी भारतीय फिल्मों से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा है. यानी पाकिस्तान के सिनेमाघर मालिक को होने वाली हर 100 रुपये की कमाई में 60 से 75 रुपये भारतीय फिल्मों से हुई आमदनी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री में बॉलीवुड का क्या योगदान है.

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मुशर्रफ के शासन पर हटा था बैन
PEMRA के ताजा फरमान के बाद पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की ओर से 2006 में जारी किया गया वो आदेश भी निरस्त हो गया है जो उन्होंने भारतीय टीवी चैनलों को पाकिस्तान में दिखाए जाने की इजाजत के बारे में लिया था. मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान 2007 में भारतीय फिल्मों पर बैन पूरी तरह खत्म कर दिया गया था. उस वक्त सिनेमाघर के मालिकों ने सरकार पर यह बैन हटाने के लिए दबाव बनाया था. बैन हटाने का पूरा लॉजिक ही अर्थशास्त्र पर आधारित था.

बैन हटते ही 300 फीसदी बढ़ा बिजनेस

1965 की जंग के दौरान पाकिस्तान ने बॉलीवुड की फिल्में दिखाने पर पाबंदी लगा दी थी. पाकिस्तानी सिनेमा को वजूद में रहने के लिए फिल्मों और ऑडियंस की जरूरत थी. चूंकि पाकिस्तानी ऑडियंस की जरूरत के मुताबिक वहां फिल्में नहीं बन रही थी और इस वजह से पाकिस्तान ऑडियंस सिनेमाघर जाने के बजाय बॉलीवुड की फिल्मों के लिए केबल, सैटेलाइट डिश और डीवीडी पर आश्र‍ि‍त था. बैन हटने के चार वर्षों के भीतर ही पाकिस्तान में मनोरंजन का बिजनेस बॉक्स ऑफिस पर 300 फीसदी बढ़ गया.

करीब 10 साल पहले पाकिस्तानी सिनेमाघरों के मालिक 45 साल पुराने एक बुरे फैसले को किसी तरह पलटवाने में कामयाब रहे थे. अब इस इंडस्ट्री पर वैसा ही काला साया एक बार फिर मंडरा रहा है. ऐसे में दोनों मुल्कों के सियासतदानों की लड़ाई में सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान की सिनेमा इंडस्ट्री पर पड़ेगा.

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ऐसे में दोनों मुल्कों के सियासतदानों की लड़ाई में सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान की सिनेमा इंडस्ट्री पर पड़ेगा.

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