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पाकिस्तान: रैली से पहले इमरान खान को लगा झटका, कैबिनेट मंत्री शहनाज बुग्ती ने दिया इस्तीफा

बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि सरकार बहुमत खो चुकी है और उनके पास जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा, "हम अन्य विपक्षी दलों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं." 

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इमरान खान. -फाइल फोटो
इमरान खान. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार में सहयोगी जम्हूरी वतन पार्टी (JWP) के चीफ हैं बुग्ती
  • बिलावल भुट्टो बिलावल भुट्टो ने कहा- इमरान के पास अब कोई और रास्ता नहींने कहा- इमरान के पास जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं

 इमरान खान को इस्लामाबाद में होने वाली रैली से पहले ही झटका लग गया है. उनकी सरकार के कैबिनेट मंत्री शाहजान बुग्ती ने इस्तीफा दे दिया है. बुग्ती बलूचिस्तान की जम्हूरी वतन पार्टी के नेता थे. जम्हूरी वतन पार्टी (JWP) के प्रमुख और MNA शाहज़ान बुग्ती ने रविवार को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी से मिलने के बाद इमरान सरकार से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया.

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बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अन्य विपक्षी नेताओं के साथ जम्हूरी वतन पार्टी (जेडब्ल्यूपी) के प्रमुख बुग्ती से प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए समर्थन मांगा था. मीटिंग के बारे में बताया गया कि बिलावल भुट्टो और शहनाज बुग्ती ने देश में राजनीतिक विकास पर चर्चा की. 

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए बुग्ती ने कहा कि मौजूदा सरकार ने बलूचिस्तान के लोगों के विश्वास को आहत किया है, इसलिए उन्होंने इमरान सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है और कैबिनेट से इस्तीफा भी दिया है. उन्हें बलूचिस्तान मामलों पर एसएपीएम के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा, 'मैं अब से पीडीएम के साथ खड़ा रहूंगा.

पंजाब के मुख्यमंत्री का पद देने से इनकार
वहीं इमरान सरकार ने केंद्र और पंजाब में अपने प्रमुख सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) को दो टूक कह दिया है कि वह प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के बदले में पार्टी को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री का पद नहीं दे सकती है.

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सरकार के सूत्रों ने कहा कि पीएमएल-क्यू को बता दिया गया है कि हम मुख्यमंत्री के पद के अलावा उन्हें कोई और रियायत देने को तैयार हैं.' वहीं, पीएमएल-क्यू ने अफसोस जताया कि गठबंधन में शामिल होने के पहले दिन किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और केंद्र में दो मंत्रालयों का वादा किए जाने के बाद तीन साल से अधिक समय के बाद भी इस वादे को भी पूरा नहीं किया गया. 

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