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क्या से क्या हो गया... नया पाकिस्तान बनाने चले थे इमरान खान, अब जल रहा है मुल्क, फिसल गई कमान!

इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान हिंसा के उस दौर से गुजर रहा है जहां आगे सिविल वॉर की स्थिति बनती दिखती है. बहुत साल नहीं हुए 2018 में जब इमरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने नया पाकिस्तान और रियासत-ए-मदीना के सपने दिखाए थे. लेकिन 4 साल में न सिर्फ उनके सपनों ने दम तोड़ा दिया बल्कि वे खुद भी जेल पहुंच गए.

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इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (फोटो-AP)
इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (फोटो-AP)

2018 में जब इमरान खान पहली बार पाकिस्तान की सत्ता में आए तो लगा कि हमारे पड़ोसी मुल्क में अच्छे- अच्छे बदलावों की बयार आएगी. पाकिस्तान आतंकवाद, मजहबी हिंसा और करप्शन के चंगुल से निकलकर लोकतंत्र और विकास के रास्ते पर जाएगा. इमरान खान ने चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में नया पाकिस्तान, रियासत ए मदीना का तड़का देकर अपनी अवाम को फील गुड कराया. 

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इमरान नया पाकिस्तान का नारा तो 2013 में दे चुके थे, लेकिन 2013 के चुनाव में उन्हें कामयाबी नहीं मिली. पाकिस्तान को लीड करने की उनकी साध 2018 में पूरी हो गई जब जनता ने प्रचंड तो नहीं लेकिन सरकार बनाने लायक बहुमत देकर पीएम पद की कुर्सी सौंप दी. अपनी पहली जीत के बाद अपने चर्चित टेलिविजन प्रसारण में इमरान खान ने अपने सपनों के पाकिस्तान का खाका दुनिया के सामने रखते हुए कहा था, " अल्लाह ने मुझे मौका दिया है कि मैं वो मेनिफेस्टो, वो नजरिया लागू करूं जो मैं 22 साल पहले लेकर निकला था."

जीत के बाद भाषण में बताया था शासन का एजेंडा

इमरान ने जीत के बाद इस भाषण में अपने शासन का एजेंडा बताते हुए कहा था कि मैं जब बड़ा हो रहा था तो देखा कि ये मुल्क ऊपर जा रहा है, लेकिन फिर हमारा देश नीचे आने लगा गवर्नेंस सिस्टम ढह गया, करप्शन चरम आ गया. मैं ये चाहता था कि पाकिस्तान वो मुल्क बने जिसका सपना हमारे लीडर जिन्ना ने देखा था. इमरान ने 2018 के इस भाषण को जम्हूरियत क्रांति का नाम दिया.

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नया पाकिस्तान और रियासत ए मदीना का दांव

2018 में चुनाव के दौरान इमरान खान ने जिन दो चीजों पर सबसे ज्यादा जोर दिया था वो थे नया पाकिस्तान और रियासत ए मदीना. इमरान ने अपने प्रचार अभियान में कहा था कि 'नया पाकिस्तान' बनाने की ओर उनकी पार्टी कदम बढ़ाते हुए सभी को विकास के लिए उन्नति के लिए समान अवसर मुहैया कराएगी. इमरान ने पाकिस्तान के ऑल वेदर फ्रेंड चीन का हवाला देते हुए कहा कि यह देश 30 सालों में अपनी 70 करोड़ की आबादी को गरीबी रेखा से बाहर ले आया.

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इमरान ने कहा था कि सत्ता में आने के बाद पीटीआइ पिछले सात दशकों से अमीरों के छोटे तबके से दबाए गए लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए काम करेगी. उनकी पार्टी ऐसी नीतियां बनाएगी जिससे पाकिस्तान में अमीरी-गरीबी का भेद कम किया जा सके. 

पेशावर में इमरान समर्थक आगजनी कर रहे हैं. (फोटो-AP)

रियासत-ए-मदीना का जिक्र करते हुए इमरान ने कहा कि ये एक ऐसी रियासत थी जहां शासन ने अपने कमजोर तबके की जिम्मेदारी ली. पहली दफा एक रियासत ने बेवाओ, मजलूमों और गरीब गुरबों की जिम्मेदारी ली. हमारी प्रेरणा यही रियासत है. हमारी जो रियासत है वो इसका उल्टा है, ये जानवरों का निजाम है. मैं इसे बदलूंगा, हमारी सारी पॉलिसी गरीबों-किसानों के लिए बनेगी.

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इमरान के भाषणों से लगा कि वे वाकई लंबी लकीर खींचने वाले हैं. 

खजाना खाली... वादा कैसे होगा पूरा

लच्छेदार भाषण देने के बाद इमरान खान जब सत्ता संभालने अपने आवास बनीगाला से निकलकर इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान के केंद्र पर हुआ तो उनका सामना पाकिस्तान की तल्ख सच्चाइयों से हुआ. पाकिस्तान का खजाना खाली था. पाकिस्तान के युवाओं को इमरान से बड़ी उम्मीदें थी. लेकिन सतत बेलआउट पर पलने वाले पाकिस्तान के अपनी जनता को देने के वादे तो ढेरों थे लेकिन इन वादों को पूरा करने के लिए पैसे नहीं थे. 

18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान की कमान संभालने वाले इमरान ने  मुल्क का बही खाता चेक किया तो वे हैरान रह गए. पाकिस्तान का करंट अकाउंट डेफिसिट 2.7 बिलियन डॉलर (2015) से बढ़कर 18.2 बिलियन डॉलर (2018) हो चुका था. जून 2018 तक पाकिस्तान का कर्ज $179.8 बिलियन डॉलर हो चुका था और महज एक ही साल में ये बढ़कर 25.2 बिलियन डॉलर हो गया. 

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पाकिस्तान की इकोनॉमी की हालत देखकर इमरान के विश्वस्त रहे असद उमर; जिन्हें इमरान ने वित्त मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था, ने मंझधार में ही इमरान का साथ छोड़ दिया. असद उमर ने 8 महीने में ही वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. अगर इमरान के पूरे कार्यकाल की बात करें सिर्फ साढ़े तीन साल के शासन में इमरान ने पांच बार अपने वित्तमंत्री बदले. इससे जनता में संदेश गया कि सरकार को इकोनॉमी का गणित समझ में नहीं आता.

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महंगाई... कोहराम लेकर आई

एक तो देश की खराब माली हालत दूजे महंगाई का डंक, इसी दौरान कोरोना का अटैक हुआ. इन कारणों की वजह से पाकिस्तान में महंगाई ऐसी समस्या बन गई जिससे जनता सड़कों पर आ गई. दूध, आटा, चावल, चिकन, दवाइंया जैसी बुनियादी चीजों की कीमतों में बेतरह इजाफा हुआ. महंगाई हमेशा इमरान के कंट्रोल से बाहर रही.  

रावलपिंडी में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़ते सुरक्षाकर्मी (फोटो-एपी)

मार्च 2019 में पाकिस्तान में महंगाई दर 9.41% पहुंच गई थी जो नवंबर 2013 के बाद से सबसे अधिक थी. इमरान का तिलिस्म धीरे-धीरे टूटने लगा. महंगाई की मारी जनता सवाल करने लगी, क्या यही नया पाकिस्तान है?

 इमरान खान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की जीडीपी 315 अरब डॉलर से गिरकर 264 अरब डॉलर हो गई. महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 10 अप्रैल 2022 को इमरान की सत्ता से विदाई हो गई लेकिन पाकिस्तान में महंगाई की छलांग जारी रही. इस साल अप्रैल में पाकिस्तान में महंगाई दर रिकॉर्ड  36.4 फीसदी है, जो दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा है. पाकिस्तान में आटे के लिए मार काट मचा हुआ है और अनाज के लिए लूटपाट की खबरें आम है. 

सेना से टकराव लेकर इमरान ने तोड़ दी राजनीतिक बैसाखी

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जब इमरान 2018 में सत्ता में आए थे तो आलोचकों का आरोप था कि ये वे इलेक्टेड नहीं बल्कि सेलेक्टेड पीएम है. विपक्षी पार्टियां समेत कई संगठनों ने कहा कि इमरान सेना द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री हैं. आरोप लगा कि 2018 के चुनाव में जमकर धांधली हुई है और इमरान को सेना ने पीएम बनवाया है. इमरान सत्ता में आए तो सेना के साथ उनकी जोड़ी जमी नहीं. कुछ ही महीनों में सेना के साथ उनका टकराव शुरू हो गया. इमरान ने पीएम पद को सेना के प्रभाव से मुक्त करने की कोशिश की लिहाजा फौज से उनका टकराव हो गया. 

इमरान खान पर आरोप लगा कि वे पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को विस्तान नहीं देना चाहते थे और वे इसे टालने की कोशिश करते रहे. इसके अलावा उन्होंने बाजवा के चहते जनरल नदीम अंजुम को ISI के चीफ पद पर नियुक्ति में भी टालमटोल की. ये ऐसी घटनाएं थी जिससे सेना के साथ उनका टकराव लगातार होता रहा. 

पिछले साल जब विपक्ष ने अविश्वास प्रस्वाव के जरिए उन्हें हटाने की कोशिश की आर्मी ने इसे विदेशी साजिश करार दिया और इसके पीछे अमेरिका का हाथ बताया. अमेरिका पर कई चीजों के लिए निर्भर पाकिस्तानी सेना और हुक्मरानों के लिए ये बेहद ही विकट स्थिति थी. हालात ऐसे हुए कि पाकिस्तानी सेना को इसके लिए सफाई भी देनी पड़ी. सेना से टकराव लेकर इमरान ने अपनी वो बैसाखी तोड़ दी जिसके सहारे में पाकिस्तान का हुक्मरान लोकतंत्र की इमारत पर जैसे-तैसे टिका रहता है. 

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करप्शन के आरोप

नया पाकिस्तान का नारा देने वाले इमरान खान को जब कुर्सी मिली तो उन पर करप्शन के शर्मसार कर देने वाले आरोप लगे. इसमें उनकी पत्नी बुशरा बीवी और उनकी सहेलियों का भी नाम आया. इमरान खान पर बतौर पीएम मिले गिफ्ट को बेचकर पैसा कमाने का आरोप लगा. इमरान को जो महंगी घड़ी कभी प्रिंस सलमान ने दी थी वही घड़ी गल्फ के चोर बाजार में बिकी. 

लाहौर में सुरक्षाबलों पर गुलेल चलाता हुआ इमरान समर्थक (फोटो- एपी)

पीएम इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने पाकिस्तान के सरकारी कोषागार से 14.2 करोड़ रुपये के 112 उपहारों को मात्र 4 करोड़ रुपये में खरीद लिया. इसके अलावा इमरान और बुशरा पर लेडिज रोलेक्स वॉच, महंगे परफ्यूम, रूबी, सोने और हीरे के गहने, महंगे पेन, सोने की कफ लिंक जैसे कीमती सामानों को गायब करने का आरोप है. 

पाकिस्तान की सत्ताधारी नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने हाल ही में बुशरा और उनकी सहेली फराह शहजादी पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर 6 अरब रुपये की कमाई करने का आरोप लगाया था. इमरान खान का ये ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ था जिससे इमरान खान के चरित्र पर पाकिस्तान में कई तरह की बातें बनाई जाने लगी.

एकजुट विपक्ष ने ले ली इमरान की कुर्सी

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एक और इमरान अपनी करनी के जाल में फंसते जा रहे थे तो दूसरी ओर पाकिस्तान का विपक्ष एकजुट होकर इमरान को हटाने के मुहिम में जुटा था. इस समय तक इमरान ने अपने विरोधियों को चोर, डकैत, लुटेरा, गद्दार जैसा सियासी टाइटल देना शुरू कर दिया. मौलाना फजर्रूहमान को तो इमरान खान सार्वजनिक तौर पर 'डीजल' कहकर बुलाते थे.

इमरान को घेरने के लिए पाकिस्तान तत्कालीन विपक्ष के नामी-गिरामी नेता शहबाज शरीफ, मरियम नवाज, आसिफ अली जरदारी, बिलावल भुट्टो और मौलाना फजर्रूहमान ने खेमेबंदी कर ली. इन नेताओं को लंदन में बैठे पूर्व पीएम नवाज शरीफ का गाइडेंस मिल रहा था. आखिरकार विपक्ष ने पीटीआई में शामिल कुछ सदस्यों को तोड़ लिया.  अप्रैल 2022 में पाकिस्तान की नेशनल एसेंम्बली में इमरान खान विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए और उनकी सरकार गिर गई. 

कराची में प्रदर्शनकारियों ने कैदी वाहन में आग लगा दी (फोटो- एपी)

इमरान की सरकार गिरते ही उनके दुर्दिन शुरू हो गए. जैसा कि पाकिस्तान की राजनीति का दस्तूर है इमरान के खिलाफ केस खुलते गए. आखिरकार अल कादिर ट्रस्ट मामले में इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस मामले में इमरान और उनकी पत्नी के खिलाफ एक रेशिडेंशियल कॉम्प्लेक्स की जमीन गैर कानूनी तरीके से हड़पने का आरोप है. 

इमरान ने इस कार्रवाई के सेना और विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है और इसे बदला करार दिया है. इमरान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान उबल रहा है. इमरान की पार्टी पीटीआई ने अपने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतरने को कहा है और कहा है कि जब तक इमरान को रिहा नहीं किया जाता वे सड़कों पर ही रहें. इमरान की पुकार पर पीटीआई कार्यकर्ता जबरदस्त हिंसा कर रहे हैं. उन्होंने सेना के कमांडरों के घरों को कब्जे में ले लिया है और सरकारी संपत्ति को जला रहे हैं. फिलहाल पाकिस्तान के हालात काफी नाजुक दिख रहे हैं.  

 

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