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पाकिस्तान जेल के इस 'C कैटेगरी' बैरक में सजा काट रहे इमरान! महज पंखे के सहारे कट रहे हैं दिन

पंजाब के 42 जिलों में से सिर्फ दो जेल अदियाला और बहावलपुर ही ऐसी जेलें हैं, जहां कैदियों को ए क्लास की सुविधाएं दी जाती हैं. इसी अदियाला जेल में इमरान खान को रखा जाना था, जहां उन्हें भी एसी, टीवी, फ्रिज, स्पेशल शेफ जैसी सुविधाएं मिलती लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें अदियाला जेल के बजाए अटक जेल ले भेज दिया गया. 

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पाकिस्तान की अटक जेल
पाकिस्तान की अटक जेल

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) पंजाब प्रांत की अटक जेल (Attock Jail) में बंद हैं. तोशाखाना मामले में शनिवार को तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. खबर तो थी कि इमरान खान को रावलपिंडी की अत्यधिक सुविधाओं से युक्त अदियाला जेल में रखा जाएगा. लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें अटक जेल भेज दिया गया. चर्चा हेलीकॉप्टर की मदद से उन्हें इस्लामाबाद लाने की भी हो रही थी लेकिन सड़क के रास्ते लाकर अटक जेल में बंद कर दिया गया. लेकिन अटक जेल ही क्यों? 

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अटक जेल की पॉलिटिक्स को समझने के लिए पंजाब की जेलों में कैदियों के डाइवर्सिफिकेशन को समझना पड़ेगा. यूं तो अटक और अदियाला जेल दोनों पंजाब प्रांत में है. पंजाब प्रांत की जेलों में कैदियों को तीन श्रेणियों में रखा जाता है. ये श्रेणियां ए, बी और सी हैं. जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि ए श्रेणी के बैरकों में ऐसे अपराधियों को रखा जाता है, जो मंत्री, पूर्व मंत्री, कारोबारी या कोई वरिष्ठ अधिकारी हो. ए श्रेणी की बैरकों में हर तरह की खास सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. सुविधाओं की बात करें तो इस कैटेगरी के हर कैदी को दो कमरों वाली एक बड़ी बैरक दी जाती है. एसी से लेकर फ्रिज, टीवी और गद्देदार बिस्तर सब कुछ मिलता है. यहां रहने वाले कैदी जेल का खाना नहीं बल्कि अपनी पसंद का खाना बनवा सकते हैं.

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वहीं, बी श्रेणी के बैरकों में ऐसे कैदियों को रखा जाता है, जो लड़ाई झगड़े या फसाद के दोषी होते हैं. यहां सुविधाएं अधिक नहीं होती. लेकिन कैदियों को अलग से एक कमरा मिलता है जबकि सी कैटेगरी में हत्या और चोरी से लेकर छोटे-मोटे अपराध करने वाले कैदियों को रखा जाता है. ये बैरकें आम कैदियों की होती हैं, जिस वजह से उन्हें किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी जाती.

लेकिन पेंच फंसा कहां...

पंजाब के 42 जिलों में से सिर्फ दो जेल अदियाला और बहावलपुर ही ऐसी जेलें हैं, जहां कैदियों को ए क्लास की सुविधाएं दी जाती हैं. इसी अदियाला जेल में इमरान खान को रखा जाना था, जहां उन्हें भी एसी, टीवी, फ्रिज, स्पेशल शेफ जैसी सुविधाएं मिलती लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें अदियाला जेल के बजाए अटक जेल ले भेज दिया गया. 

अटक जेल में ए और बी श्रेणी की सुविधाएं नहीं है. यहां सिर्फ सी श्रेणी की बैरेक्स ही हैं. इस तरह इमरान खान को आम कैदियों की तरह जेल में रहना पड़ेगा. लेकिन डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां इमरान खान के लिए एक वीवीआईपी सेल तैयार किया गया है. लेकिन इस वीवीआईपी सेल में एसी नहीं है सिर्फ एक बिस्तर और पंखा दिया गया है.

इतिहास के झरोखे से अटक जेल

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अटक जेल का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में 1905-06 के दौरान कराया गया था. यह जेल 67 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है. ब्रिटिश शासकों के दौर में इस जेल में विद्रोह में शामिल लोगों को बंदी बनाकर रखा जाता था. यह जेल सिंधु नदी के किनारे पर है. इससे थोड़ी ही दूरी पर अटक खुर्द है. 

16वीं शताब्दी में जब मुगल बादशाह अकबर ने सिंधु नदीं के किनारे पर किला बनाया था तो उसका नाम अटक किला रखा था. अटक जेल और किला अलग-अलग परिसर हैं, जो लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जेल में 539 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन यहां 804 कैदियों को रखा गया है. 

कौन-कौन थे अटक जेल के कैदी

इस जेल में समय-समय पर कई नेताओं और नामचीन शख्सियतों को कैद किया गया है. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 1999 में इसी जेल में रखा गया था. पूर्व राष्ट्रपति जनरल जिया उल हर के खिलाफ बगावत करने वालों को भी इसी जेल में रखा गया था. पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी भी इसी जेल में रहे थे. मुस्लिम लीग नवाज के नेता हनीफ अब्बासी भी कुछ समय तक इस जेल में बंद रह चुके हैं. 

पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ के बेटे हुसैन नवाज, खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार महताब खान, पूर्व मंत्री डॉ. फारूक सत्तार और आजम खान को भी अटक जेल में रखा गया था. इस साल की शुरुआत में पीटीआई नेता शाह महमूद कुरैशी भी इसी जेल में रखे गए थे.

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इमरान के पास क्या हैं विकल्प?

तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के साथ ही वह अब अगले पांच साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. लेकिन वह और उनकी पार्टी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम अदालत में चुनौती देने का उन्हें पूरा पूरा अधिकार है.
 

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