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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान चर्चा में हैं. उनकी गिरफ्तारी को लेकर कई दिनों से बवाल हो रहा है. आखिरकार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय घर में ही नजरबंद करने का फैसला लिया है. इमरान खान के घर के बाहर पुलिस लगा दी गई है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का दावा है कि जब से शहबाज शरीफ सत्ता में आए हैं, तब से इमरान खान के खिलाफ 80 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं.
इस सब बवाल के बीच इमरान खान के 'नियाजी' सरनेम की भी चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर यूजर्स पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात होने की बात कह रहे हैं और इसके लिए वो इमरान खान का पूरा नाम 'इमरान अहमद खान नियाजी' का इस्तेमाल कर रहे हैं.
दरअसल, इमरान खान के लिए उनके सरनेम 'नियाजी' का इस्तेमाल उन्हें चिढ़ाने के लिए किया जाता है. पिछले साल अप्रैल में जब इमरान खान की कुर्सी संकट में थी, तब भी 'गो नियाजी गो' जैसे नारे लगाकर उन्हें चिढ़ाया गया था. असल में नियाजी अब पाकिस्तान में 'गाली' बन चुका है. और यही वजह है कि अब नियाजी सरनेम का इस्तेमाल नहीं करते.
इमरान खान क्यों नहीं लिखते 'नियाजी'?
- अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद जब संयुक्त राष्ट्र की महासभा हुई थी, तब इमरान खान को उनके असली नाम इमरान नियाजी कहकर पुकारा गया था.
- नियाजी असल में अफगानिस्तान से सटे सीमांत इलाकों में रहने वाले पश्तो कबीले के लोग हैं. इमरान खान भी 'नियाजी' हैं. पाकिस्तानी क्रिकेटर मिस्बाह उल-हक भी नियाजी हैं.
- हालांकि, 1971 के बाद से ही पाकिस्तान में लोगों ने नियाजी शब्द को अपने नाम से हटा लिया था. इस युद्ध के बाद नियाजी शब्द 'गाली' के तौर पर इस्तेमाल होने लगा, जिस कारण लोगों ने इसे अपने नाम से हटा दिया.
- जब-जब इमरान खान पर कोई बवाल होता है तो उनके विरोधी उन्हें चिढ़ाने के लिए उनके असली नाम 'नियाजी' नाम से संबोधित करने लगते हैं.
पर 'नियाजी' सरनेम से दिक्कत क्या है?
- ये समझने के लिए 1971 में जाना होगा. तब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की आजादी के लिए शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में जबरदस्त आंदोलन चल रहा था.
- शेख मुजीबर रहमान बागी हो चुके थे. उन्हें दबाने के लिए उनपर मुकदमे ठोके गए, लेकिन इसने उन्हें हीरो बना दिया. 1970 में जब चुनाव हुए तो मुजीबुर्रहमान की पार्टी ने पूर्वी पाकिस्तान की 169 में से 167 सीटें जीत लीं.
- 167 सीटों के सहारे 313 सीटों वाली पाकिस्तानी संसद में मुजीबुर्रहमान सरकार बनाने की स्थिति में आ गए थे. ये बात पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं और सैन्य शासन को हजम नहीं हुई.
- इसके चलते पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह भड़क उठा. इसे दबाने के लिए सेना को 'फ्री हैंड' कर दिया गया. इसकी कमान संभाली पाकिस्तान के जनरल आमिर अब्दुल खान नियाजी ने.
- नियाजी की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में जमकर अत्याचार किए. सेना पर कत्लेआम मचाने और बलात्कार के आरोप भी लगे. अक्टूबर-नवंबर 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान में हालात खराब हो चुके थे. वहां से लगभग एक करोड़ शरणार्थी भारत आ गए.
- नियाजी को पाकिस्तान की सरकार ने भरोसा दिलाया कि अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देश उनके साथ हैं. इसने नियाजी का उत्साह बढ़ा दिया. अतिउत्साह में आकर जनरल नियाजी ने भारत को भी ललकारना शुरू कर दिया.
- 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारत पर हवाई हमला कर दिया. भारतीय सेना ने इसका ऐसा जवाब दिया कि मात्र 13 दिन में ही ये जंग खत्म हो गई. इतना ही नहीं, पाकिस्तान के भी दो टुकड़े कर डाले. उस समय भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा थे.
- आखिरकार जनरल नियाजी को घुटने टेकने पड़ गए. आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर दस्तखत करने के दौरान जनरल नियाजी फफक-फफककर रोने लगे. इसके बाद से ही पाकिस्तान में नियाजी को एक गाली के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा.
बांग्लादेश बनने की कहानी...
- 1947 में जब पाकिस्तान बना तो इसके दो हिस्से थे. एक था- पश्चिमी पाकिस्तान और दूसरा- पूर्वी पाकिस्तान. आजादी के कुछ ही सालों बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोग पाकिस्तान से आजादी मांगने लगे. इसके लिए शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में आंदोलन चला.
- 1970 के चुनाव के बाद जब पाकिस्तानी सेना को पूर्वी पाकिस्तान में फ्री हैंड मिला तो मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया. वहां के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे थे.
- 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारत पर हवाई हमला कर दिया. इसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. इससे बना- बांग्लादेश.
- 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के 93,000 सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था. हालांकि, बाद में शिमला समझौता होने पर उन्हें छोड़ दिया गया.
जब गिरफ्तार हुए जनरल नियाजी
- 1971 की जंग में हार के बाद पाकिस्तान की सत्ता ही पलट गई. याह्या खान ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. तब जुल्फिकार अली भुट्टो ने काम संभाला.
- 1973 में पाकिस्तान का नया संविधान बना. इसके बाद भुट्टो प्रधानमंत्री बने. लेकिन 1977 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल जिया उल-हक ने भुट्टो को जेल में डाल दिया और मार्शल लॉ लागू कर दिया.
- मार्शल लॉ लागू करने से कुछ घंटे पहले ही रिटायर हो चुके नियाजी को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें आपत्तिजनक भाषण देने के जुर्म में नरजबंद कर दिया गया था.
- 1 फरवरी 2004 को जनरल नियाजी का निधन हो गया. 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की हार के कारणों की जांच के लिए जो हमूदुर्रहमान आयोग बना था, जिसने अपनी रिपोर्ट में जनरल नियाजी को ही काफी हद तक जिम्मेदार करार दिया था.