पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा शुरू की, जहां वे 22 जुलाई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को दोबारा पटरी पर लाने का प्रयास करेंगे.
इमरान खान 2018 में पदभार ग्रहण करने के बाद ऐसे समय में पहली अमेरिका यात्रा कर रहे हैं जब पाकिस्तान व्यापार घाटे, विदेशी मुद्रा की कमी और विदेशी निवेश की जरूरत के कारण कठिन स्थिति में है. खान ने करदाताओं के पैसे बचाने के लिए खास संदेश देते हुए वाणिज्यिक कतर एयरवेज से वाशिंगटन के लिए उड़ान भरी.
उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही, जब पाकिस्तान ने अमेरिका की जताई गई चिंताओं के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से छह अरब डॉलर का बेलआउट प्राप्त किया है. व्हाइट हाउस के अनुसार, खान की यात्रा वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि लाने पर केंद्रित होगी.
खबरों के अनुसार, दोनों नेता अपनी बैठक के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें आतंकवाद, रक्षा, ऊर्जा और व्यापार शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यह बैठक दक्षिण एशिया के माहौल को शांतिपूर्ण बनाने के साथ ही दोनों देशों के बीच स्थायी साझेदारी को भी मजबूत करेगी.
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, खान के साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक भी गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि यह पहली बार है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपने शीर्ष पदाधिकारियों के साथ व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बैठक करेंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि खान और ट्रंप के बीच दो अलग-अलग बैठकें होंगी. पहली बैठक ओवल जबकि दूसरी बैठक कैबिनेट कक्ष में आयोजित होगी.
गौरतलब है कि पिछले साल, ट्रंप ने ओसामा बिन लादेन को अपने क्षेत्र में छिपाने में मदद करने के लिए इस्लामाबाद पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि भले ही पाकिस्तान को वाशिंगटन से प्रति वर्ष 1.3 अरब डॉलर मिले, मगर वह इसके बदले अमेरिका के लिए कुछ भी करने में विफल रहा है.
उस समय खान ने जवाब देते हुए कहा था कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी विफलताओं के लिए उनके देश को 'बलि का बकरा' के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.