भारत के एयर स्ट्राइक के बाद शांति का राग अलाप रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब इस दिशा में एक कदम और बढ़ाया है. उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर के निर्माण का कार्य तेजी से निपटाने का आदेश दिया है. इस्लामाबाद में गुरुवार को जारी एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान ने फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) को निर्देश दिया है कि सीमा के अंदर पाकिस्तान की तरफ कॉरिडोर का निर्माण कार्य समय से पूरा करना सुनिश्चित करें.
गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद भारत के एयर स्ट्राइक और उसके बाद पाकिस्तानी विमानों की भारत में घुसपैठ से दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है. लेकिन भारत में विमानों की घुसपैठ और भारतीय पायलट अभिनंदन की रिहाई के बाद से ही इमरान खान शांति और वार्ता की बात करने लगे हैं. भारत ने यह साफ किया है कि जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बंद नहीं होता, उसके साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती.
पाकिस्तानी मीडिया ने सूत्रों के हवाले से खबर चलाई है कि 2 फरवरी, 2019 तक करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के पहले चरण का सिर्फ 45 फीसदी काम पूरा हुआ है. मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद फैजल ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर की प्रगति पर बातचीत करने के लिए पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल 14 मार्च को भारत दौरे पर आएगा. उन्होंने इसके बारे में पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायुक्त को इसकी जानकारी दे दी है.
भारतीय पंजाब के डेरा बाबा नानक से लेकर पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर कॉरिडोर पर भी काम शुरू हो चुका है. ये कॉरिडोर दोनों देशों के बीच शांति का नया सेतु बन सकता है. इससे पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी. यह वही जगह है जहां गुरु नानक देव ने 18 बरस गुजारे थे. इस कॉरिडोर की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें हेरिटेज सिटी और यूनिवर्सिटी भी होगी. सुल्तानपुर लोधी को हेरिटेज सिटी बनाया जाएगा. जिसका नाम 'पिंड बाबे नानक दा' रखा जाएगा.
करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखने के एक महीने बाद पाकिस्तान सरकार ने इस कॉरिडोर के संचालन को लेकर दोनों देशों की बैठक से पहले भारत को भेजने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया. पाकिस्तान की ओर से तैयार किए गए इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि गलियारे का मुख्य उद्देश्य करतारपुर में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करना है और इसके लिए दोनों पक्षों (भारत और पाकिस्तान) को सक्रिय होना चाहिए ताकि वे अपने-अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचा तैयार कर सके. ड्राफ्ट में यह भी दर्ज है कि भारतीय तीर्थयात्रियों का डेटाबेस दोनों देश तैयार करेंगे. इस डेटाबेस में उनकी मौजूदा जानकारी होगी. साथ ही पाकिस्तान तीर्थयात्रियों को इन शर्तों के तहत कॉरिडोर तक आने की अनुमति देगा.