पाकिस्तान की सरकार इन दिनों सियासी संकट का सामना कर रही है. प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए कुर्सी बचाना आसान नहीं है. लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने इस संकट का एक नया तोड़ निकाला है. कुर्सी बचाने की जद्दोजहद के क्रम में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने अविश्वास प्रस्ताव से निपटने के लिए नई रणनीति बनाई है.
बता दें कि इस योजना के तहत अब प्रधानमंत्री इमरान खान और सभी एमएनए कल (रविवार) नेशनल असेंबली की कार्यवाही में भाग लेंगे. इसके लिए पीएम इमरान खान ने PTI के एमएनए (मेंबर ऑफ नेशनल असेंबली) को निर्देश जारी कर दिए हैं.
ये लिया गया था फैसला
इससे पहले निर्णय लिया गया था कि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन सभी एमएनए अनुपस्थित रहेंगे. इसके लिए बाकयदा इमरान खान ने PTI के एमएनए को निर्देश दिया था कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन सभी नेशनल असेंबली (NA) के सत्र में भाग नहीं लेंगे.
निर्देश न मानने पर होगी कार्रवाई
यह निर्देश दिया गया था कि मतदान के दिन कोई भी एमएनए संसद भवन में नहीं रहेगा. अगर कोई भी पार्टी अध्यक्ष के निर्देशों का उल्लंघन करता है तो अनुच्छेद-63 (ए) के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. निर्देशों की प्रति बायकदा सभी पीटीआई सांसदों को व्यक्तिगत रूप से भेजी गई थी.
ये है नंबरों का आंकड़ा\
69 वर्षीय क्रिकेटर से राजनेता बने अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं. 28 मार्च को नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ अविश्वास प्रस्ताव ने पेश किया था. नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर कल (रविवार) मतदान होना है. इमरान खान को सत्ता बचाने के लिए 172 के जादुई नंबर को साबित करने की जरूरत है. हालांकि, विपक्ष का दावा है कि उसे 175 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. लिहाजा प्रधानमंत्री को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
'आखिरी गेंद' तक करेंगे सामना
वहीं इमरान खान ने कहा है कि वह बहुमत खोने के बावजूद इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह 'आखिरी गेंद तक लड़ेंगे'. नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे. वहीं सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विद्रोही सांसदों को इमरान खान ने देशद्रोही करार दिया. साथ ही कहा कि जीवन भर ये लोग ऐसे ही पहचाने जाएंगे.
ये रहा है पाक का इतिहास
गौरतलब है कि किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अभी तक अपने कार्यकाल में 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. साथ ही, पाकिस्तान के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री को कभी भी अविश्वास प्रस्ताव से हटाया नहीं गया है. ऐसे में इमरान खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं.