पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने बुधवार को कहा कि अमेरिका चाहता है पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे के बारे में बात न करे ताकि भारत मजबूत हो. उन्होंने कहा कि अमेरिका ऐसा इसलिए चाहता है ताकि भारत को मजबूत बनाकर चीन को कमजोर किया जा सके जो कि उसका विरोधी और प्रतिद्वंद्वी है. उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान की सरकार अमेरिका के दबाव में इजरायल और भारत से अपने संबंधों को सुधारना चाहती है.
एक सेमिनार में बोलते हुए इमरान खान ने कहा, 'मैं अमेरिका विरोधी नहीं हूं, मैं अमेरिका के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता हूं, लेकिन मैं उन्हें 'टिशू पेपर' की तरह देश का इस्तेमाल करने नहीं दे सकता. अमेरिका चाहता है कि हम इजरायल को मान्यता दें और कश्मीर के बारे में बात न करें ताकि भारत मजबूत हो और वो चीन को कमजोर कर सके.'
इमरान खान सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहे फवाद चौधरी ने इसी दौरान दावा किया कि पहले तो अमेरिका ने इमरान खान की सरकार गिराने के लिए साजिश रची और अब पाकिस्तान की सरकार एक नई कहानी रच रही है कि अगर इमरान खान की सरकार नहीं जाती तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और खराब होती.
उन्होंने आरोप लगाया कि शहबाज शरीफ की मौजूदा सरकार भारत और इजरायल के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहती है और पाकिस्तान के सैन्य अड्डों को अमेरिका को सौंपने का माहौल बनाया जा रहा है.
'कभी नहीं चाहा कि अपनी पसंद का अगला आर्मी चीफ नियुक्त करूं'
इमरान खान ने सेमिनार के दौरान कहा कि उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि वो अपनी पसंद के आर्मी चीफ को नियुक्त करें क्योंकि योग्यता को परे रखकर की गई इस तरह की नियुक्तियां संस्थानों को बर्बाद कर देती हैं.
सत्ताधारी पीएमएल-एन के सर्वोच्च नेता नवाज शरीफ पर निशाना साधते हुए खान ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने इस तरह के प्रतिष्ठित पदों के लिए अपने पसंदीदा व्यक्ति को चुनने की कोशिश की. उन्होंने आरोप लगाया कि नवाज शरीफ अपनी भ्रष्टाचार की कमाई की रक्षा करने और पाकिस्तान का धन लूटने के लिए ऐसा करते थे.
'अमेरिका किसी देश की बेहतरी नहीं चाहता'
अमेरिका द्वारा उनकी सरकार गिराए जाने के अपने सिद्धांत पर बात करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका किसी भी देश की बेहतरी नहीं चाहता बल्कि केवल अपने हितों की रक्षा करना चाहता है. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका को सैन्य ठिकाना सौंपना पाकिस्तान के हित में नहीं है, इसलिए उन्होंने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था.
इमरान खान ने ये भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाली लड़ाई में पाकिस्तान को बहुत नुकसान हुआ और अमेरिका ने उनके देश का शोषण किया. उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका के साथ मिलकर आतंकवाद की लड़ाई में पाकिस्तान को क्या मिला क्योंकि इस दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को केवल 20 अरब डॉलर की सहायता दी और पाकिस्तान को 150 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.
पाकिस्तान के पूर्व आदिवासी इलाकों में सैन्य अभियानों का आलोचना करते हुए इमरान खान ने कहा कि इन क्षेत्रों में सरकार ने सेना को भेजकर एक बड़ी गलती की है. इस गलती का नुकसान पूरे देश को उठाना पड़ रहा है. उन्होंने अफसोस जताया कि अगर कोई व्यक्ति इस सैन्य अभियान का विरोध करता है तो उसे तुरंत आतंकवादी करार दिया जाता है.