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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. हाईकोर्ट ने तोशाखाना मामले में मंगलवार को उनकी सजा पर रोक लगा दी. इस फैसले के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल पर निशाना साधा है.
शहबाज ने बांदियाल पर इमरान खान की तरफदारी का आरोप लगाते हुए कहा कि इमरान की सजा निलंबित करने का फैसला देश के इतिहास का काला अध्याय है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को तोशाखाना मामले में इमरान खान की तीन साल की सजा को निलंबित कर दिया था और जेल से उनकी रिहाई के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में पीठ ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख दिया था.
इमरान खान के तरफदार हैं जस्टिस बांदियाल
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से इमरान खान की वकालत करता है और इस्लामाबाद हाईकोर्ट उससे पूरी तरह से प्रभावित है. उन्होंने इमरान पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लाडले की सजा निलंबित की गई है, खत्म नहीं की गई है. चीफ जस्टिस का संदेश 'आपसे मिलकर अच्छा लगा' और 'आपको शुभकामनाएं' इस्लामाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. अगर फैसला आने से पहले सभी को फैसले के बारे में पता है तो यह न्याय प्रणाली के लिए चिंताजनक है.
उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट संदेश मिल गया है तो हाईकोर्ट किसी भी कीमत पर उसका पालन करेगा.
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क्या बंदियाल के 'लाडले' हैं इमरान खान!
उमर अता बंदियाल ने दो फरवरी 2022 को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी. पाकिस्तानी मीडिया में आम धारणा यही है कि जस्टिस बंदियाल पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी हैं. ऐसे कई मौके भी आए हैं, जब इमरान खान के कई मांगों पर सुप्रीम कोर्ट ने फुर्ती दिखाई है. ऐसा ही एक मामला पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव कराए जाने को लेकर था.
दरअसल पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में इस साल 14 और 18 जनवरी को विधानसभा भंग कर दी गई थी, जिसके बाद इमरान खान शहबाज सरकार पर इन प्रांतों में जल्द चुनाव कराए जाने पर जोर दे रहे थे. लेकिन शहबाज सरकार उनकी इस मांग के आगे झुकी नहीं. ऐसे में बंदियाल ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया.
हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तोशाखाना मामले में जैसे ही रिहाई का आदेश दिया, उसके तुरंत बाद उन्हें एफआईए ने गिरफ्तार कर लिया. उनकी यह गिरफ्तारी Ciphur मामले में हुई है. इस मामले में उन्हें कल अदालत में पेश किया जाएगा.
इमरान खान को तोशाखाना मामले में तीन साल की सजा हुई थी. इसके अलावा चुनाव आयोग ने उन पर पांच साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. इमरान ने तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद निचली अदालत के फैसले को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
उन्होंने निचली अदालत के फैसले पर कहा था कि ट्रायल कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें सजा दिया जाना न्यायाधीश का पक्षपाती फैसला था. यह पूरी तरह निष्पक्ष सुनवाई के चेहरे पर तमाचा है. इसके साथ ही यह न्याय व उचित प्रक्रिया का मजाक उड़ाने जैसा है.
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क्या है तोशाखाना मामला?
तोशाखाना कैबिनेट का एक विभाग है, जहां अन्य देशों की सरकारों, राष्ट्रप्रमुखों और विदेशी मेहमानों द्वारा दिए गए बेशकीमती उपहारों को रखा जाता है. नियमों के तहत किसी दूसरे देशों के प्रमुखों या गणमान्य लोगों से मिले उपहारों को तोशाखाना में रखा जाना जरूरी है.
इमरान खान साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. उन्हें अरब देशों की यात्राओं के दौरान वहां के शासकों से महंगे गिफ्ट मिले थे. उन्हें कई यूरोपीय देशों के राष्ट्रप्रमुखों से भी
बेशकीमती गिफ्ट मिले थे, जिन्हें इमरान ने तोशाखाना में जमा करा दिया था, लेकिन इमरान खान ने बाद में तोशाखाना से इन्हें सस्ते दामों पर खरीदा और बड़े मुनाफे में बेच दिया. इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने बाकायदा कानूनी अनुमति दी थी.
इमरान को मिला था करीब 6 करोड़ का फायदा
पूर्व प्रधानमंत्री ने चुनाव आयोग को बताया था कि राज्य के खजाने से इन गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा गया था और इन्हें बेचकर उन्हें करीब 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. इन गिफ्ट्स में एक Graff घड़ी, कफलिंक का एक जोड़ा, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियां सहित कई अन्य उपहार भी थे.