पाकिस्तान गुरुवार को आजादी का जश्न मना रहा है और वहां के दो बड़े नेता प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे और नए सिरे से चुनाव की मांग कर रहे हैं. क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान और कनाडा निवासी धार्मिक नेता ताहरि-उल-कादरी दोनों ही विशाल रैली का आयोजन कर रहे हैं.
इमरान और कादरी के नेतृत्व वाले दो समूहों की योजना पूर्वी शहर लाहौर से राजधानी इस्लामाबाद की ओर जाने की है ताकि जल्दी चुनाव करवाने के लिए शरीफ पर दबाव बनाया जा सके. उन्होंने सरकार के इस्तीफे तक इस प्रदर्शन को जारी रखने की घोषणा की है. सुबह लाहौर के जर्मन पार्क से इमरान की ‘आजादी मार्च’ इस्लामाबाद के लिए रवाना हुई. इस दौरान इमरान खान ने कहा, ‘आजादी केवल संघर्ष से मिलती है. आजादी हमें खाने की प्लेट में सजा कर नहीं मिलेगी, इसे छीनना पड़ता है.’ इमरान के बाद कादरी की ‘क्रांति मार्च’ भी मॉडल टाउन से शुरू हुई.
नवाज शरीफ को चुनावों में जीत हासिल किए हुए अभी एक साल से कुछ ही समय ज्यादा हुआ है.
इमरान खान खान पिछले साल हुए चुनावों में कथित हेरफेर को ले कर सरकार को बेदखल करना चाहते हैं. इन चुनावों में उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ हार गई थी. कादरी देश में एक क्रांति लाना चाहते हैं.
इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने की तैयारी करते हुए शरीफ की सरकार ने राजधानी को एक किले के रूप में बदल दिया है. राजधानी को बड़े-बड़े शिपिंग कंटेनरों, कंटीली तारों और गहरे गड्ढों की मदद से सील कर दिया गया है. इस्लामाबाद में लगभग हर प्रवेश स्थल को पुलिसबल और अर्धसैन्य बलों के करीब 25 हजार जवानों ने रोक कर रखा है ताकि सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों को राजधानी में प्रवेश से रोका जा सके.
राजधानी में सेना तैनात
‘रेड जोन’ को भारी सुरक्षा से लैस किया गया है. यह वह इलाका है, जहां संसद, राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के आवास और विदेशी दूतावास हैं. सरकार ने इस्लामाबाद के कई हिस्सों में मोबाइल फोन सेवाओं और वायरलेस इंटरनेट सेवाओं को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है. इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र में लगभग 5 हजार पुलिस के साथ ही अर्धसैन्य बलों के हजारों जवान तैनात किए गए हैं.
संविधान के अनुच्छेद 245 का इस्तेमाल करते हुए विवादास्पद आदेश जारी करके सेना को पहले ही इस्लामाबाद में बुला लिया गया है. यह अनुच्छेद नागरिक सरकार को अधिकार देता है कि वह प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों को समन कर सकती है. प्रदर्शनकारियों को विमुख करने के अंतिम प्रयास के तहत शरीफ ने मंगलवार रात को यह घोषणा की थी चुनावों में हुई धोखाधड़ी की जांच के सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया जाएगा लेकिन इमरान खान ने पीछे हटने से इंकार कर दिया था.
विश्लेषकों का मानना है कि इस टकराव में सरकार बच जाएगी क्योंकि सरकार की जगह लेने के लिए बहुत कम ही विकल्प हैं और इसलिए सेना उसे गिराने के लिए तैयार नहीं है.
अगले चुनावों से पहले सुधार करने के लिए इमरान ने तकनीकविदों की एक सरकार को नियुक्त करने के लिए कहा था. उनके इस सुझाव का विरोध उन्हीं के साथियों ने किया और पार्टी के एक वरिष्ठ नेता जावेद हाशमी ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से इंकार कर दिया.
बाद में खान ने उनके पास एक प्रतिनिधिमंडल इस प्रतिबद्धता के साथ भेजा कि वह नहीं चाहते कि सत्ता की कमान सेना के पास जाए.
बहरहाल, ऐसी आशंकाएं हैं कि यदि हजारों समर्थकों ने अवरोधक तोड़ने और राजधानी में जबरन घुसने की कोशिश की तो झड़पें हो सकती हैं. मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ, गृहमंत्री निसार अली खान और सेना प्रमुख राहील शरीफ ने कल रावलपिंडी में राजनैतिक हालात पर चर्चा की.
इसी बीच स्वतंत्रता दिवस समारोहों के दौरान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सलामी ली और परेड में भाग लेने वालों को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘आइए एकसाथ मिलकर संकल्प लें कि हम किसी को भी संविधान की सर्वोच्चता, कानून के शासन और लोकतंत्र की निरंतरता को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे.’