चीन में उइगर मुस्लिमों की बदहाली और उन पर हो रहे अत्याचार किसी से छिपे नहीं है. इसे लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने चीन को घेरते हुए संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पेश किया. लेकिन इससे पहले ही भारत और यूक्रेन सहित 11 देशों ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को झटका दे दिया. भारत सहित ये देश यूएन में इस प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान नदारद रहे.
47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में चीन में उइगर मुस्लिमों की दशा को लेकर लाए इस प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत के गैरहाजिर रहने को पूरी पश्चिमी लॉबी के लिए झटका माना जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का प्रस्ताव खारिज
यह यूएनएचआरसी के 16 साल के इतिहास में दूसरी बार हुआ है कि अमेरिका के किसी प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है. इससे वैश्विक स्तर पर तेजी से बदल रहे घटनाक्रमों का भी पता चलता है. यूएनएचआसी में वोटिंग के बाद सबसे अधिक चर्चा भारत के रुख को लेकर है. चीन के साथ भारत के मौजूदा संबंधों को देखते हुए अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत उनके साथ खड़ा होगा. लेकिन भारत ने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह यूएनएचआरसी जैसे संस्थानों में किसी भी देश के खिलाफ वोट नहीं करने की अपनी नीति पर कायम है.
हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि भारत ने यह कदम भविष्य में जम्मू कश्मीर को लेकर यूएन में होने वाली वोटिंग को संभावनाओं को लेकर उठाया है.
भारत ने बैकडॉर से चीन की मदद की
यूएनएचआरसी में उइगर मुस्लिमों को लेकर गुरुवार को हुई वोटिंग के दौरान नदारद रहने से भारत ने एक तरह से चीन की मदद की है. भारत पहले भी कहता आया है कि यूएनएचआरसी जैसे संगठन में किसी भी देश को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.
यूएनएचआरसी में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव के समर्थन में 17 जबकि विरोध में 19 वोट पड़े जबकि 11 देश इस दौरान गैरहाजिर रहे. गुरुवार को हुई इस वोटिंग से ग्लोबल डिप्लोमेसी में बदलाव के भी संकेत मिलते हैं. अमेरिका का करीबी साझेदार माना जाने वाला भारत ने न सिर्फ वोटिंग से दूरी बनाए रखी बल्कि यूक्रेन भी नदारद रहा.
रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा उसकी (यूक्रेन) मदद कर रहे हैं. यह प्रस्ताव चीन में मुस्लिमों की स्थिति की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए लाया गया था लेकिन पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, यूएई, उज्बेकिस्तान, सूडान और सेनेगल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया.
कौन हैं उइगर
उइगर मध्य एशियाई क्षेत्र के अल्पसंख्यक मुस्लिम हैं, जो तुर्की से मिलती-जुलती भाषा बोलते हैं. उइगर मुस्लिमों की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजिंयाग क्षेत्र में रहती है. शिनजियांग में लगभग 1.2 करोड़ उइगर मुस्लिम रहते हैं. इसके अलावा चीन में और भी कई प्रताड़ित मुस्लिम हैं, जिनमें कजाख, उज्बेक, ताजिक और किर्गिस हैं.
चीन पर आरोप
चीन पर उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित करने और उनकी प्रताड़ना के आरोप हैं. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि चीन ने बीते कुछ सालों में 10 लाख उइगर मुस्लिमों को जबरन डिटेन किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों की इबादत पर भी बैन लगा रखा है. इसके साथ ही वह उनकी मस्जिदों को भी नष्ट करता रहा है.
इस साल अगस्त में यूएन राइट्स प्रमुख मिशेल बैशलेट की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जिसमें उन्होंने चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के हालात पर चिंता जाहिर की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन सरकार की तरफ से किए जा रहे उत्पीड़न मानवता के खिलाफ अपराध के बराबर हो सकते हैं. रिपोर्ट में उइगर मुस्लिमों को जबरन हिरासत में रखने, बलात्कार, यातना, जबरन मजदूरी समेत कई बातों का जिक्र था. चीन पर उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी और उइगर बच्चों को उनके परिवारों से अलग रखने के आरोप हैं. UNSC में इन्हीं प्रस्तावों पर बहस होनी थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि चीन उइगर मुस्लिमों का नहीं बल्कि मानवता का नरसंहार कर रहा है. अप्रैल 2021 में ब्रिटेन की संसद में भी उइगर मुस्लिमों पर चीन के अत्याचार का मामला उठा था. 2018 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति ने कहा था कि उनके पास पुख्ता रिपोर्ट हैं कि चीन शिनजियांग में एक लाख उइगर मुस्लिमों को कैद किए हुए है.