चीन और भारत के बीच भले ही सीमा विवाद को लेकर संघर्ष चल रहा हो लेकिन कई मोर्चों पर चीन और भारत साथ भी खडे़ दिखाई दिए हैं. हाल ही में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी-26 में भारत और चीन ने एकजुटता दिखाई थी जिसके चलते कई पश्चिमी देश काफी नाराज भी हुए थे. वहीं, अब भारत चीन को एक और मुद्दे पर समर्थन करता हुआ दिखाई दे रहा है. भारत, रूस और चीन के विदेशी मंत्रियों की 18वीं बैठक पिछले हफ्ते वीडियो लिंक के जरिए हुई है और इस मीटिंग में भारत और रूस ने चीन को सपोर्ट किया है.
दरअसल, पिछले कुछ सालों में भारत अमेरिका के भू-राजनीतिक संबंधों में बेहतरी देखने को मिली है और अमेरिका अपने दोस्त देशों मसलन यूके और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन में होने जा रहे बीजिंग विंटर ओलंपिक गेम्स का राजनयिक बॉयकॉट करने के बारे में सोच-विचार कर रहा है. लेकिन चीन के साथ तनाव के बावजूद भारत ने चीन का सपोर्ट करते हुए आगामी बीजिंग विंटर ओलंपिक गेम्स में समर्थन दिया है जिससे कई विशेषज्ञ हैरान हैं. हालांकि, भारत के इस कदम से चीनी मीडिया जरूर खुश है.
'भारत अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी नहीं'
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों के प्रति भारत का व्यवहार इस बात का प्रतीक है कि भारत अपनी मजबूत कूटनीतिक और रणनीतिक स्वायत्तता बरकरार रखे हुए है. अमेरिका के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के बावजूद ऐसा नहीं है कि भारत सभी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अमेरिका के प्रति ही झुकाव रखता है. ऐसे में साफ है कि भारत अमेरिका का 'स्वाभाविक सहयोगी' नहीं है. भारत, जापान या ऑस्ट्रेलिया की तरह अमेरिका का छोटा भाई बनने के लिए बेकरार नहीं है बल्कि वो खुद एक सुपरपावर बनने का सपना पाले हुए है. ऐसे में भारत के अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी बनने के चांस कम ही हैं.
चीन, रूस और भारत के बीच कई मुद्दों पर आम सहमति
बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों के अलावा, रूस, चीन और भारत के तीनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद जारी किए गए साझा बयान में अन्य क्षेत्रों में आम सहमति का भी उल्लेख है. मसलन, COVID-19 महामारी के संबंध में वैक्सीन की खुराक को साझा करने, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, स्थानीय उत्पादन क्षमताओं के विकास, चिकित्सा के लिए आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के माध्यम से निरंतर सहयोग की आवश्यकता. इसके अलावा तीनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि चीन, रूस और भारत के बीच सहयोग ना केवल अपने विकास बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता और विकास में भी योगदान देगा. वहीं, अफगानिस्तान को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की बात भी दोहराई गई.
नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, 'भारत बाहरी दुनिया को एक सकारात्मक संकेत देना चाहता है कि भारत चीन के साथ संघर्ष को सुलझाने की कोशिश कर रहा है और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध खराब होने के बाद स्थिर भी हो सकते हैं. सिंघुआ विश्वविद्यालय ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि 'लेकिन पहले जैसे हालातों के लिए दोनों देशों को अधिक प्रयासों और धैर्य की आवश्यकता है. दोनों पक्षों को अधिक संवाद और परामर्श के माध्यम से अपनी चुनौतियों का समाधान करना होगा.'