यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इस आर्थिक प्रतिबंध का मकसद रूस को दुनिया से अलग-थलग करना और रूस की आय के स्रोत को कम करना है. इसके बावजूद भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है. भारत के इस कदम पर अमेरिका और फ्रांस के बाद जर्मनी ने भी प्रतिक्रिया दी है.
रूस से रियायती तेल खरीदने के कदम पर भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि भारत अगर बहुत कम कीमत पर रूस से तेल खरीदता है तो मैं इसके लिए भारत को दोष नहीं दे सकता. उन्होंने कहा कि भारत के पास कुशल और अच्छी कूटनीति है और यूक्रेन में चल रहे युद्ध का समाधान निकाल सकता है.
हाल ही में अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री ज्योफ्रे आर पाएट ने भी कहा था कि रूस से कच्चे तेल खरीद की भारतीय नीति पर अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं है. वहीं, फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि भारत का यह कदम असामान्य नहीं है. भारत का अपना गुटनिरपेक्ष रुख है.
क्या कहा जर्मनी ने
भारत में जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने बुधवार को कहा, "भारत रूस से तेल खरीदता है. अगर कम कीमत में तेल मिल जाए तो मैं इसके लिए भारत को दोष नहीं दे सकता. भारत के पास कुशल और अच्छी कूटनीति है. रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए भारत समाधान निकाल सकता है."
जर्मनी के राजदूत ने कहा, "मैंने यह बार-बार स्पष्ट किया है कि भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. यह कुछ ऐसा है जो भारत सरकार तय करती है और यदि उसे कम कीमत पर तेल मिल जाता है तो मैं इसे खरीदने के लिए भारत को दोष नहीं दे सकता."
जहां सस्ता मिलेगा वहां से खरीदेंगे
चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. कई पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर प्राइस कैप और वित्तीय प्रतिबंध लगाने के बावजूद भारत रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है.
पश्चिमी देशों ने भारत के इस कदम की आलोचना की है. वहीं, भारत का कहना है कि उसे जहां सस्ता तेल मिलेगा, वह वहां से तेल खरीदता रहेगा.
पश्चिमी देशों की ओर से की गई आलोचना का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसंबर 2022 में कहा था कि यूरोप ने फरवरी और नवंबर के बीच भारत से अधिक जीवाश्म ईंधन खरीदा है. यूरोपीय यूनियन ने भारत से छह गुणा ज्यादा तेल खरीदा है.
रूस बना भारत का शीर्ष तेल निर्यातक देश
भारत के इस फैसले का स्वागत करते हुए मॉस्को ने कहा है कि जी-7 और उनके सहयोगी देशों की ओर से लगाए गए प्राइस कैप का समर्थन नहीं करने के भारत के फैसले का रूस स्वागत करता है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस, इराक और सऊदी अरब को पछाड़ते हुए भारत का शीर्ष तेल निर्यातक देश बन गया है. भारत का रूसी तेल खरीद जनवरी में रिकॉर्ड 14 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) पहुंच गया है. दिसंबर 2022 की तुलना में यह लगभग 9 फीसदी ज्यादा है.
महंगे दामों में तेल बेच रहा भारत
भारतीय तेल रिफाइन कंपनियां जो महंगे लॉजिस्टिक के कारण शायद ही कभी रूसी तेल खरीदते थे. वही कंपनियां रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के प्रमुख तेल खरीददार के रूप में उभरे हैं.
पिछले कुछ महीनों से भारत रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों के साथ कच्चे तेल खरीद रहा है और इसे रिफाइन कर यूरोप और अमेरिका को बेच रहा है. क्योंकि भारत में रिफाइन तेल को रूसी तेल नहीं माना जाता है.