अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने देश की सभी महिला टीवी एंकरों को ऑन-एयर होने के दौरान अपना चेहरा ढंकने का आदेश दिया था जो की लागू भी हो गया है. भारत ने इस फैसले को बदलने की अपील की है. UNSC ने भी इसे मानव अधिकारों और देश में महिलाओं और लड़कियों के मौलिक स्वतंत्रता का हनन बताया है. कई मानवाधिकार आयोग के कार्यकर्ताओं ने तालिबान के इस आदेश की निंदा की है. तालिबान ने ये भी कहा है कि बाहर जाते समय महिलाओं को खुद को पूरा ढंकना होगा.
महिला एंकर चेहरा ढंककर खबर पढ़ें
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तालिबान ने आदेश दिया था कि महिला एंकर चेहरा ढंककर खबर पढ़ें. इस आदेश के बाद कुछ महिला टीवी एंकर चेहरा ढंककर खबर पढ़ती नजर आईं थीं. शुरुआत में तो इस आदेश को कुछ नाम मात्र के मीडिया संस्थानों ने माना था, लेकिन, सख्ती के बाद इसे सब पर लागू कर दिया गया. अब मीडिया संस्थानों में महिला टीवी एंकर्स अपने चेहरे को ढंककर खबर पढ़ रही हैं.
बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है
TOLOnews की एक टीवी एंकर सोनिया नियाजी के मुताबिक यह सिर्फ एक बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है, जो हमें चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करती है. उन्होंने कहा कि इससे प्रोग्राम के दौरान हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
जबरदस्ती लागू करवाया जा रहा
स्थानीय मीडिया का कहना है कि इसे जबरदस्ती लागू करवाया जा रहा है. मालूम हो कि इससे पहले भी तालिबानी शासकों ने महिलाओं को लेकर कई प्रतिबंध लगाए हैं. 1996-2001 की बात करें तो अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार ने महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए थे जिनमें बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. साथ ही उन्हें सार्वजनिक जीवन से प्रतिबंधित कर दिया गया था. अफगानिस्तान में तालिबान की तरफ से महिला एंकरों पर प्रतिबंध का पुरुष पत्रकार खुलकर विरोध कर रहे हैं.
अगस्त में अफगानिस्तान की सत्ता पर फिर से कब्जा करने के बाद तालिबान ने शुरू में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड की घोषणा करते हुए प्रतिबंधों में कुछ ढ़ील दी थी. लेकिन हाल के हफ्तों में उन्होंने एक बार फिर महिलाओं के प्रति अलग अलग फरमान जारी कर दिया है.