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'एक दोस्त के नाते दर्दनाक', कनाडा-भारत में जारी राजनयिक विवाद को लेकर बोला ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया भी उस 'फाइव आइज' ग्रुप का हिस्सा है, जिसके इनपुट के आधार पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कनाडा ने भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया था. कनाडा के इस कदम के बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते तनावपूर्ण हैं.

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 ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो-@AusHCIndia)
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो-@AusHCIndia)

कनाडा और भारत में जारी राजनयिक तनाव के बीच ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि दोनों देशों के बीच जारी विवाद ऑस्ट्रेलिया के लिए दर्दनाक है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर लगाए गए गंभीर आरोप के बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते बहुत ही तनावपूर्ण हैं. 

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भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने एक इंटरव्यू में कहा कि ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद और भरोसा है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में कुछ नए आधार ढूंढ सकते हैं. इससे पहले भारत ने जब 41 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करते हुए भारत से भेज दिया था तो ऑस्ट्रेलिया ने गहरी चिंता जाहिर की थी. 

एक दोस्त के लिए यह दर्दनाकः ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने आगे कहा, "भारत और कनाडा दोनों देशों से ऑस्ट्रेलिया के अच्छे संबंध हैं. दोनों देशों के बीच दरार ऑस्ट्रेलिया के लिए दर्दनाक है. हालांकि, इससे द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस मुद्दे पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों के बीच राजनयिकों के माध्यम से बातचीत जारी रहेगी."

उन्होंने आगे कहा, "कनाडा ऑस्ट्रेलिया का पुराना दोस्त है और भारत भी ऑस्ट्रेलिया का अच्छा दोस्त है. भारत हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण देश है. दो मित्र देशों के बीच राजनयिकों का निष्कासन दर्दनाक और कठिन है. हमें उम्मीद है और भरोसा है कि द्विपक्षीय संबंधों में कुछ नए आधार बनाए जा सकते हैं. और दोनों देश इन विवादों को जल्द से जल्द दूर कर सकते हैं."

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हाल ही में जब भारत सरकार ने 41 कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था तो ऑस्ट्रेलिया ने बयान जारी करते हुए गहरी चिंता व्यक्त की थी. ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सीनियर अधिकारियों को इससे अवगत भी कराया था. इस पर टिप्पणी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने कहा है कि ये बातचीत बेहद संवेदनशील है. राजनयिकों के बीच जो बात होती है, वह राजनयिकों के बीच ही रहेगी. 

ऑस्ट्रेलिया भी फाइव आइज ग्रुप का हिस्सा

ऑस्ट्रेलिया भी उस 'फाइव आइज' ग्रुप का हिस्सा है, जिसके इनपुट के आधार पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

'फाइव आइज' कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्टेलिया और न्यूजीलैंड देशों की खुफिया एजेंसियों का एक समूह है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा सर्विलांस नेटवर्क ग्रुप कहा जाता है. फाइव आइज के गठन का मकसद ही यही है कि अगर कभी इन पांच देशों के अंदर ऐसा कुछ भी गलत हो, तो ये पांचों देश अपनी-अपनी खुफिया एजेंसियों के जरिए एक दूसरे की मदद करेंगे, उन्हें जरूरी सूचना और सबूत देंगे.

भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों को वापस भेजा

देश के आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और संख्या की अधिकता का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने ट्रूडो सरकार को 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था. तीन अक्टूबर को भारत सरकार की ओर से कनाडा को चेतावनी दी गई थी कि अगर राजनयिकों की संख्या कम नहीं की जाती है तो उनकी सभी राजनयिक छूट खत्म कर दी जाएगी.

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जिसके बाद 19 अक्टूबर को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा था, "भारत की धमकी के बाद राजनयिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने भारत से उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है. भारत में रह रहे हमारे 41 राजनयिक और उनका परिवार भारत छोड़ चुके हैं." मेलानी जॉली ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है. 

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