यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अमेरिका ने कहा है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद भारत के लिए रूस से हथियार खरीदना अब कठिन हो जाएगा. अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं जिसके बाद भारत सहित उन सभी देशों के लिए रूस से रक्षा खरीद करना मुश्किल हो जाएगा जो हथियारों के लिए रूस पर निर्भर हैं. अमेरिकी राजनयिक ने ये भी कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में देखा गया है कि भारत ने रूस से मिग-29, हेलिकॉप्टर और एंटी टैंक हथियारों की खरीददारी रद्द की है.
अमेरिका के असिस्टेंट स्टेट सेक्रेटरी डोनल्ड लू ने विदेश संबंध समिति के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि रूस से रक्षा खरीद करने वाले देशों को अब अपने रक्षा खरीद के लिए दूसरे देशों का रुख भी करना चाहिए. अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के लिए ये एक मौका है कि वो उच्च तकनीक के रक्षा उत्पादों का निर्माण करें और इन देशों को एक नया बाजार दें.
इस बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूसी हमले को लेकर एक निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग हुई थी जिससे भारत ने दूरी बना ली थी.
भारत-अमेरिका रिश्तों पर हुई मीटिंग में दोनों देशों के रिश्तों के हर पहलू पर बात की गई. रूस-यूक्रेन मुद्दे के अलावा चीन-भारत तनाव, भारत में लोकतंत्र और आजादी, पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों पर भी प्रमुखता से चर्चा की गई.
लू ने कहा, 'मेरा मानना है कि आने वाले महीनों और वर्षों में रूस से प्रमुख हथियार प्रणालियों को खरीदना किसी के लिए भी बहुत कठिन होगा. अमेरिका ने रूस की बैंकिंग प्रणाली और रूस पर कई वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं, इस कारण देशों को रूस से हथियार खरीदने में कठिनाई होने वाली है.
उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए आगे कहा, 'यदि आपके पास बैंकिंग सिस्टम नहीं है, तो दूसरे देशों के लिए रूस से रक्षा प्रणालियों की खरीद के भुगतान के लिए रूबल, येन या यूरो में लाखों डॉलर का भुगतान करना बहुत कठिन हो जाएगा. इसलिए मुझे लगता है कि जो देश रूस से रक्षा खरीद करते हैं. वो इस स्थिति को लेकर चिंतित होंगे. उनकी ये चिंता न केवल S-400 जैसे नए फैंसी मिसाइल सिस्टम खरीद को लेकर होगी बल्कि गोला-बारूद आदि की खरीद को लेकर भी देशों में चिंता होगी. मुझे लगता है कि भारत भी उन चिंतित देशों में से एक है.'
क्या भारत पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका?
भारत ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की है जिसकी लागत 5 अरब डॉलर है. भारत को मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी भी शुरू हो गई है. भारत को डर रहा है कि अमेरिका अपने कानून CAATSA के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाएगा लेकिन अब तक अमेरिका ने ऐसा कुछ नहीं किया है. लू ने भी स्पष्ट किया कि अब तक अमेरिका ने भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है.
लू से जब ये पूछा गया कि भारत संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ हुई अब तक की वोटिंग में अनुपस्थित रहा है तो क्या अमेरिका CAATSA के तहत उस पर प्रतिबंध लगाएगा तो उन्होंने जवाब दिया, 'मैं बस ये कह सकता हूं कि भारत वास्तव में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार है. और ये कि हम भारत के साथ साझेदारी में आगे बढ़ने को महत्व देते हैं. मुझे उम्मीद है कि रूस को जिस कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है, उसे देखते हुए भारत अब उससे दूरी बनाएगा.'
अमेरिकी राजनयिक ने साथ ही ये भी कहा कि ये अमेरिका और यूरोपीय देशों के लिए एक मौका है कि वो अपने हथियारों को और अधिक विकसित करें और देशों को एक नया बाजार उपलब्ध कराएं. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि अगर मैं अभी रूसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा होता, तो मैं यह सुनिश्चित करता कि मेरे पास और देशों से भी तकनीक आए क्योंकि रूस अब अपने उपभोक्ताओं को पर्याप्त मात्रा में तकनीक और हथियार उपलब्ध नहीं करा पाएगा.'
रूस पर भारत के रुख पर बोले अमेरिकी राजनयिक
डोनल्ड लू ने कहा कि अमेरिका भारत को मना रहा है कि वो रूस के खिलाफ वोटिंग करे और यूक्रेन का समर्थन करे लेकिन अभी तक अमेरिका को कामयाबी नहीं मिली है क्योंकि भारत हर बार वोटिंग से दूर ही रहता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के नेतृत्व में भारतीय अधिकारियों से लगातार बात कर रहा है और यूक्रेन के मुद्दे पर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'विदेश मंत्री ब्लिंकन इस लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं. राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन को लेकर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बहुत गंभीर उच्च स्तरीय बातचीत कर रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि हम सभी भारत से रूस की कार्रवाई के खिलाफ एक स्पष्ट रुख अपनाने के लिए आग्रह कर रहे हैं.'