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तनाव के बीच बोले चीनी विशेषज्ञ- भारत दिखाए सकारात्मक रुख, नहीं तो होगा नुकसान

चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा के पास ठंड बढ़ने वाली है. उससे पहले दिल्ली को सकारात्मक रुख दिखाना होगा वरना सर्दियों में भारतीय सैनिकों की तैनाती करनी पड़ सकती है. जिससे उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बरकरार (फोटो- पीटीआई)
दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बरकरार (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ठंड में बिना लड़ाई के ही सैनिक मारे जाएंगेः चीनी विशेषज्ञ
  • 'भारत को घरेलू दबाव का सामना करना पड़ रहा'
  • दोनों देशों के रक्षा मंत्री मास्को में शुक्रवार को मिले

भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच शुक्रवार को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान मुलाकात की, जिसमें चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीन के दृढ़ संकल्प को व्यक्त किया. इस बीच चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली को सकारात्मक रुख दिखाना होगा वरना सर्दियों में भारतीय सैनिकों की तैनाती करनी पड़ सकती है, जिससे उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, चीन के कई विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन की अस्थिर इच्छाशक्ति और सैन्य फायदे भारत को सीमा क्षेत्र में सीधे टकराव से बचने के लिए मजबूर कर सकते हैं.

चीन का रवैया द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन

मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण (एलएसी) के पास तनाव के बाद दोनों देशों के नेताओं के बीच यह पहली शीर्ष स्तर की मुलाकात थी. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि चीनी सेना की कार्रवाई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना, आक्रामक रवैया और यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास शामिल है, द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है.

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है, लेकिन भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए उनके दृढ़ संकल्प में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

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बातचीत के जरिए हल

बैठक के दौरान, चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने कहा कि दोनों पक्षों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहुंची सहमति को गहराई से लागू करना चाहिए और बातचीत और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को हल करना जारी रखना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने माना कि विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का सख्ती से पालन करना चाहिए. सीमावर्ती सैनिकों के विनियमन को मजबूत करना चाहिए और ऐसी कोई भी उत्तेजक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे स्थिति खराब हो.

शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के फैलो रिसर्च हू झाइयोंग ने शनिवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि यह बैठक सकारात्मक संकेत थी क्योंकि दोनों पक्ष गंभीर तनावों को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भारत ने शांति से समस्या के समाधान करने की इच्छा भी व्यक्त की है और भारतीय रक्षा मंत्री द्वारा दिखाए गए उचित और सकारात्मक रवैये का मतलब यह हो सकता है कि नई दिल्ली ने महसूस किया होगा कि सीमा क्षेत्र में भारतीय सैनिकों के आक्रामक कदम की वजह से चीन से कोई समझौता नहीं करा सकता.

भारत को होगा नुकसान

उन्होंने कहा कि सितंबर के अंत तक लद्दाख क्षेत्र में सर्दियां शुरू हो जाएगी. जहां तापमान शून्य से 25 डिग्री नीचे तक गिर सकता है और भारत ने क्षेत्र में लगभग 40,000 सैनिकों को तैनात रखा है. यह उसकी क्षमता से बहुत परे है और अगर तनाव अनसुलझा रहा तो भारतीय सेना को खासा नुकसान हो सकता है.

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इस बीच भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वह 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान मास्को में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मिल सकते हैं. जयशंकर ने कहा था कि जब मैं उनसे मिलने जाऊंगा तो मैं अपने चीनी सहयोगी के साथ बात करूंगा. मेरा मतलब है कि हम एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं, इसलिए आप उचित अनुमान लगा सकते हैं.

फुडन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के उप निदेशक लिन मिनवांग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि भारत के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री दोनों ने बातचीत के लिए सकारात्मक रुख दिखाया और मई में संकट शुरू होने के बाद से इसे भारत के रवैये में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा सकता है क्योंकि वे अब जानते हैं कि वे चीन से कोई समझौता नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री वास्तव में देश के राजनीतिक सिस्टम में सैन्य नेताओं की तुलना में ज्यादा वरिष्ठ हैं, इसलिए सेना और विदेश मंत्रालय के बीच कोई मतभेद नहीं है. अब, भारत का विदेश मंत्रालय और सेना वास्तव में पुराना खेल, खेल रहे हैं- अच्छे पुलिस वाले, बुरे पुलिस वाले, लेकिन वे वास्तव में सर्दियों से पहले संकट को समाप्त करना चाहते हैं.

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भारत में घरेलू दबाव

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को घरेलू दबाव का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह कोरोना महामारी पर नियंत्रण खो रहा है और एक भयानक आर्थिक मंदी का सामना भी कर रहा है और ये दोनों चुनौतियां भारत की क्षमता को और कमजोर करती हैं. अब 'गेंद' भारत के पाले में है.

ग्लोबस टाइम्स कहता है कि जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर द्वारा शनिवार को जारी किए गए नए आंकड़ों के अनुसार भारत में 4,023,179 मामले दर्ज हुए जबकि 69,561 मरीजों की मौत हो चुकी है. भारत अमेरिका के बाद कोरोना संक्रमण के मामले दूसरा सर्वाधिक संक्रमित देश है.

हू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को चीन की सरकार के मुकाबले ज्यादा घरेलू दबाव का सामना करना पड़ रहा है, यहां तक ​​कि अमेरिका ने चीन के खिलाफ पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में अपना आक्रामक तेवर दिखाया है. भारत में ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार पर घरेलू और विदेश नीति में नाकामी के लिए लगातार हमला किया जा रहा है.

 

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