डोकलाम मामले में चीन की बेचैनी बढ़ती जा रही है. चीन की एक के बाद एक कई धमकियों के बाद भी भारत ने तो अपने रुख में कोई बदलाव नहीं ही किया वहीं अब वैश्विक जगत से भी भारत को समर्थन मिलने लगा है.
भारत में जापान के राजदूत ने आजतक से बात करते हुए कहा, 'डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है. हमारा मानना है कि इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हो सकता है, ऐसे में हम इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है और दोनों ही देश इसे विवादित क्षेत्र ही मानते हैं.
जापानी राजदूत के इस बयान के बाद चीन एक बौखलाहट भरा बयान दिया है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन बयानों से, समर्थनों से भारत-चीन सीमा पर भी तनाव बढ़ेगा. हालांकि भारत की ओर से अभी भी बातचीत के जरिये हल तलाशने की कोशिश की जा रही है. आज विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बयान जारी कर कहा कि डोकलाम मुद्दे को लेकर बातचीत की कोशिश की जा रही है.
इस सवाल का जवाब समझने के लिए हम उन दृश्यों और खबरों को याद कर सकते हैं जिसमें भारतीय और चीनी सेना के जवान एक दूसरे को धक्का देते दिखे हैं. कहने का तात्पर्य है कि देनों देशों की सीमा पर तनाव पहले से ही है और अगर इस स्थिति को कूटनीति और आपसी बातचीत के जरिए जल्द से जल्द नहीं सुलझाया गया तो सीमा पर स्थिति किसी भी पल बिगड़ सकती है.
हालांकि भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संसद में दिए अपने बयान में यह साफ कर चुकी हैं कि दोनों देशों के बीच लड़ाई की कोई गुंजाइश नहीं है लेकिन सीमा पर जो हालात हैं वो सहज नहीं हैं. दूसरी तरफ विवाद को लेकर एक के बाद एक जो बयान दिए जा रहे हैं उससे हालात और खराब होने की ही उम्मीद है.