दक्षिण एशियाई मामलों पर एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत द्वारा चीन के विद्रोही नेता डोल्कन ईसा का वीजा रद्द किए जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और यह फैसला आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों देशों के साझे विचारों को दर्शाता है.
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ फु शियाओक्आिंग ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा, ‘भारत ने सोच समझकर एक निर्णय लिया है और यह आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में चीन और भारत दोनों के साझे विचारों और आगे भी आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता को दिखाता है.’ फु ने कहा कि इससे भारत और चीन के बीच संबंधों के स्वस्थ विकास में योगदान मिलेगा.
‘वर्ल्ड उइघुर कांग्रेस’ (डब्ल्यूयूसी) के नेता डोल्कन ईसा का वीजा रद्द किए जाने के भारत सरकार के फैसले पर चीन के विदेश मंत्रालय ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.
चीन डब्ल्यूसी नेताओं को अपने मुस्लिम-बहुल अशांत प्रांत शिंजियांग में आतंकवाद का समर्थक मानता है और भारत ने पिछले हफ्ते डब्ल्यूयूसी नेताओं को अनुमति देने का फैसला ऐसे समय में किया जब कुछ ही दिन पहले चीन ने पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में अड़ंगा लगा दिया था.
बीजिंग ने ईसा को वीजा दिए जाने की खबरों पर नाराजगी जताई थी. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘मैं रेखांकित करना चाहती हूं कि डोल्कन इंटरपोल और चीनी पुलिस के रेड कार्नर नोटिस में एक आतंकवादी है. उसे इंसाफ के कठघरे में लाना संबद्ध देशों का दायित्व है.’