प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन के चिंगदाओ पहुंचे. वहां एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की.
पिछले चार साल में यह दोनों नेताओं की 14वीं मुलाकात है. दोनों देशों ने आज दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. इनमें से एक बाढ़ के मौसम में ब्रह्मपुत्र नदी में जल-प्रवाह के स्तर से जुड़़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान का करार है.
दूसरा समझौता भारत से गैर - बासमती चावल खरीद पर सहमति का है. चीन के भारत से गैर-बासमती चावल का आयात करने से व्यापार को संतुलित करने में कुछ सीमा तक मदद मिल सकती है. अभी दोनों देशो के बीच व्यापार में चीन का निर्यात बहुत अधिक है. प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग से अलग से द्विपक्षीय वार्ता के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह की जानकारी भारत को देगा चीन
भारत के जल संसाधन , नदी विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय और चीन के जल संसाधन मंत्रालय के बीच हुए समझौते के तहत चीन हर साल बाढ़ के मौसम यानी 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच ब्रह्मपुत्र नदी में जल-प्रवाह से जुड़ी सूचनाएं भारत को देगा. साथ ही बरसात के बाद मौसम में अगर इस नदी में जलस्तर परस्पर सहमति से तय सीमा से ऊपर जाता है तो उसकी भी जानकारी चीन भारत को देगा.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल डोकलाम विवाद के चलते चीन ने भारत के साथ ब्रह्मपुत्र के प्रवाह से जुड़े आंकड़े साझा करने बंद कर दिए थे.
गैर-बासमती चावल पर समझौता
चीन द्वारा आयात किए जाने वाले गैर बासमती चावल की स्वच्छता और उसके स्वस्थ होने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के नए करार पर चीन के सीमाशुल्क प्रशासन और भारत के पादप सुरक्षा से संबंधी प्रमाणन पर कृषि , सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की ओर से हस्ताक्षर किए गए.
इसके तहत भारत प्रमाणित गैर - बासमती चावल का चीन को निर्यात कर सकेगा. चीन दुनिया के सबसे बड़े चावल बाजारों में से एक है. अभी तक चीन भारत से केवल बासमती चावल का आयात करता है. इसके लिए पादप उत्पाद स्चच्छा संबंधी प्रोटोकोल पर 2006 में सहमति बनी थी. दोनों देशों के बीच अब इस प्रोटोकॉल में संशोधन किया है जिसके तहत भारत अब गैर - बासमती चावल भी चीन को निर्यात कर सकेगा.