वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन सरकार की ओर से संचालित मीडिया ने बताया है कि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र की प्रशासनिक राजधानी ल्हासा शहर की सरकार की ओर से 19 सितंबर को एयर रेड ड्रिल का आयोजन किया जाएगा.
चीन अपने प्रमुख शहरों में सितंबर महीने में इस तरह हवाई हमले की ड्रिल कर रहा है. ये सालाना ‘नेशनल डिफेंस एजुकेशन डे’ (राष्ट्रीय रक्षा शिक्षा दिवस) के सिलसिले में किया जा रहा है. हालांकि इस तरह की ड्रिल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि पिछली बार ल्हासा में इस तरह की कवायद 2009 में की गई थी.
भय का माहौल बनाने का हथकंडा
चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव की मौजूदा स्थिति के बीच इस तरह की ड्रिल स्थानीय तिब्बतियों के बीच भय का माहौल बनाने के लिए बीजिंग की ओर से मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक हथकंडा लगती है.
एयर डिफेंस अलार्म ड्रिल के बारे में औपचारिक बयान को सारे लोकल मीडिया और कई वीबो हैंडल्स की ओर से कवर किया गया.
3 बार बजेगा अलार्म
ल्हासा शहर की सरकार (चीन नियंत्रित) ने कहा कि सायरन 19 सितंबर को तीन अलग-अलग टाइप्स में बजाया जाएगा. पहला सायरन दोपहर 12 बजे से 12 बजकर तीन मिनट तक बजाया जाएगा. इस दौरान 36 सेकंड की आवाज को 24 सेकंड के अंतराल से सुना जा सकेगा.
दूसरा सायरन 12.06 से 12.09 बजे तक बजाया जाएगा. इसमें 6 सेकंड की आवाज 6 सेकंड के अंतराल के साथ रहेगी. तीसरे सायरन को बिना किसी अंतराल के पूर्ण अवधि के लिए 12:12 से 12:15 बजे तक तीन मिनट के लिए बजाया जाएगा.
14 सितंबर को एक विशेष घोषणा में, ल्हासा शहर सरकार ने कहा कि ये टेस्ट "राष्ट्रीय रक्षा और नागरिक वायु रक्षा जागरूकता को लेकर आम जनता की धारणा में सुधार करेगा." हालांकि, घोषणा में या मीडिया में तीन प्रकार के सायरन के लिए कोई विशेष स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.
पहला सायरन असल हमले का प्रतीक
पहले सायरन का हमले से पहले (प्री-रेड) की ड्रिल के तौर पर मूल्यांकन किया जाएगा. जिसमें लोगों के लिए बत्तियां बंद करने का संदेश होता है. दूसरा सायरन असल हमले का प्रतीक है जिसमें लोगों से एयर रेड शेल्टर में जाने के लिए कहा जाता है. तीसरा सायरन बताता है कि हमला खत्म हो गया है और लोग अपने नियमित काम की ओर सुरक्षित लौट सकते हैं.
घोषणा में सभी नागरिकों, सरकारी एजेंसियों, उद्यमों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों के कर्मियों को विभिन्न ध्वनिक संकेतों को सुनने, उनमें भेद करने और समझने पर ध्यान देने का आदेश दिया गया. घोषणा में कहा गया कि ड्रिल का आयोजन "पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पीपुल्स एयर डिफेंस लॉ" की भावना के मुताबिक किया जाएगा.
घोषणा में स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि वे एयर डिफेंस अलार्म सुनकर घबराएं नहीं और सुनिश्चित करें कि गतिविधियां सामान्य रूप से आगे बढ़ें और प्रभावित न हों. इस संदर्भ में एक पुरानी चीनी कहावत सटीक बैठती है- ‘बंदर को डराने के लिए मुर्गे को मार डालो’
(कर्नल विनायक भट (सेवानिवृत्त) इंडिया टुडे के लिए एक सलाहकार हैं, वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं, उन्होंने 33 वर्ष तक भारतीय सेना में सर्विस की)