चीन की राजधानी बीजिंग में चल रहे ओलंपिक खेलों (Beijing Winter Olympics 2022) का भारत ने राजनयिक बहिष्कार किया है. चीन ने गलवान घाटी झड़प में शामिल चीनी सेना के एक कमांडर को ओलंपिक का मशालवाहक बनाया जिसे लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई और खेलों का राजनयिक बहिष्कार कर दिया. सोमवार को चीन ने भारत की नाराजगी का जवाब देते हुए कहा कि इसे राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले को तर्कसंगत रूप से देखा जाना चाहिए न कि इसमें राजनीति तलाशनी चाहिए.
भारत ने चीन के साथ सीमा पर तनाव के बावजूद बीजिंग ओलंपिक को लेकर समर्थन दिया था. अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने चीन में मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देकर ओलंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्कार किया था जबकि भारत ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था.
लेकिन चीनी कमांडर को मशालवाहक बनाकर चीन ने भारत की पीठ में छुरा भोंक दिया. चीन ने कहा था कि शीतकालीन ओलंपिक को दोस्ती और संबंधों के एक पुल के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन क्यूयी को मशालवाहक बनाकर चीन ने अपनी इस बात को खुद ही गलत साबित कर दिया है. चीन के इस कदम के बाद भारत को खेलों के राजनयिक बहिष्कार के लिए मजबूर होना पड़ा.
भारत ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि चीन में उसके वर्तमान शीर्ष राजनयिक बीजिंग में दूतावास के प्रभारी, एक्विनो विमल खेलों के उद्घाटन और समापन दोनों समारोहों में भाग नहीं लेंगे क्योंकि चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रेजिमेंट कमांडर क्यूयी फबाओ को ओलंपिक का मशालवाहक बनाया है.
बीते बुधवार को क्यूयी बीजिंग के मशाल रिले में 1,200 टॉर्च बियरर में शामिल थे. क्यूयी फबाओ 15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में शामिल थे. इस हिंसक झड़प के दौरान उन्हें सिर में गंभीर चोट लगी थी. भारत की तरफ से इस संघर्ष में 20 सैनिक मारे गए थे.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन के इस कदम पर कहा कि ये खेदजनक है कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण करना चुना है.
'फैसले को भारत तर्कसंगत तरीके से देखे'
यह पूछे जाने पर कि क्या यह निर्णय असंवेदनशील था, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने इसे खारिज कर दिया.
उन्होंने सोमवार को कहा, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के मशाल वाहक व्यापक रूप से एक प्रतिनिधि हैं और वे सभी प्रासंगिक मानकों को पूरा करते हैं. हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष (भारत) इस निर्णय को तर्कसंगत तरीके से देखेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि हम आशा करते हैं कि संबंधित पक्ष मशालवाहकों की हमारे पसंद को एक उद्देश्य और तर्कसंगत रूप में देखेंगे. और इस फैसले को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखेंगे.'
2020 की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद ने भारत और चीन के रिश्तों को खराब स्थिति में पहुंचा दिया है.