अमेरिकी समाचार पत्र 'वाशिंगटन पोस्ट' ने भारत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानून की मांग के कुछ ही समय बाद केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तन की मांग पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकती है.
समाचार पत्र ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को आम तौर पर ऐसे देश के रूप में जाना जाता है, जहां सरकार बहुत धीमे कार्रवाई करती है. इसके लिए देश के लोकतंत्र को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिसे चीन या रूस की अधिकारवादी सत्ता से कम प्रभावी माना जाता है.
लेकिन भारत के राष्ट्रपति ने दिल्ली में चलती बस में 23 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद दो महीने से भी कम समय में यौन उत्पीड़न के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जो बेहद महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक है.
समाचार पत्र ने अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था की इस क्षमता पर सवाल उठाते हुए जानना चाहा कि क्या वह स्कूलों में मासूम बच्चों के साथ हो रहे अपराध के खिलाफ भी इसी तरह कार्रवाई कर पाएगी? समाचार पत्र ने लिखा, 'सैंडी हुक इलेमेंट्री स्कूल में गोलीबारी की घटना में दिल्ली में दुष्कर्म से दो दिन पहले हुई. क्या हमारी राजनीतिक व्यवस्था इस पर उभरे जनाक्रोश को दूर कर पाएगी?'