फरवरी 2023 में यूरोपिय यूनियन की ओर से लाए गए 'कार्बन टैक्स' प्रस्ताव पर पलटवार करने के लिए भारत भी अपनी तैयारी पुख्ता करने में लग गया है. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत भी यूरोपीय यूनियन को उसी की भाषा में जवाब देते हुए 'कार्बन टैक्स' लगाने की तैयारी कर रहा है. भारत का वित्त एवं वाणिज्य मंत्रालय इसकी (कार्बन टैक्स) रूपरेखा तैयार कर रहा है.
यूरोपीय यूनियन ने फरवरी 2023 में दुनिया का पहला कार्बन टैक्स मैकेनिज्म कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस मैकेनिज्म के तहत जनवरी 2026 से ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाले सामानों के आयात पर टैक्स लगाने की योजना है. इसे अक्टूबर से चरणबद्ध लागू किया जाएगा.
CBAM के लागू होने के बाद अगर कोई भी देश ईयू के 27 सदस्य देशों में से किसी भी देश को ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वाले सामान का निर्यात करता है, तो उससे 20 से 25 प्रतिशत कार्बन टैक्स वसूला जाएगा. इस मैकेनिज्म के तहत ग्रीनहाउस गैसों के जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को 2050 तक पूरा करना है. जबकि भारत ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए साल 2070 की डेडलाइन तय की है.
ईयू का CBAM मैकेनिज्म को भारत पर सख्ती से इसलिए जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि भारत ईयू के सदस्य देशों को ज्यादातर उच्च कार्बन वाली वस्तुओं का ही निर्यात करता है. उच्च कार्बन वाली वस्तुओं में स्टील, सीमेंट, एल्यूमिनियम, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन से संबंधित प्रोडक्ट शामिल हैं.
फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय के मुताबिक, वर्तमान में भारत लगभग 8 अरब डॉलर का स्टील, लौह अयस्क और एल्यूमीनियम यूरोपियन यूनियन को निर्यात करता है.
भारत भी लगाएगा कार्बन टैक्स
अंग्रेजी अखबार 'मिंट' के अनुसार, इस चर्चा से वाकिफ दो लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पर्यावरण के मुद्दे को व्यापार से जोड़ने के यूरोपीय संघ के इस कदम पर भारत सरकार ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यूरोप के औद्योगिकीकरण के दौरान तो उन्होंने ऐसे कदम नहीं उठाए थे.
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की ओर से मंजूर किए गए कार्बन टैक्स के खिलाफ भारत भी कार्बन टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है. वित्त और वाणिज्य मंत्रालय इस पर चर्चा कर रहा है और यूरोप से आयातित उत्पादों में से कार्बन उत्सर्जित प्रोडक्ट की अलग सूची बनाई जा रही है.
सूत्रों में से एक ने नाम न बताने की शर्त पर मिंट से कहा, "हम इस चीज को लेकर काम कर रहे हैं कि कार्बन टैक्स कैसे काम करेगा. ईयू पर पलटवार दो तरह से हो सकता है. पहला यह कि ईयू की तरह ही हम भी कार्बन टैक्स मैकेनिज्म को अमल में ले लाएं. दूसरा विकल्प है हम किसी और माध्यम से पलटवार करें. हमने पहला विकल्प चुना है. हमें इसके लिए बहुत काम करना है और हम इस पर काम कर रहे हैं."
रिपोर्ट में दूसरे सूत्र के हवाले से कहा गया है कि यूरोपीय यूनियन का यह मैकेनिज्म एक तरह से सीमा शुल्क है. इस मैकेनिज्म के तहत ईयू ने जो तर्क दिया है, उस तर्क के हिसाब से हम भी कार्बन टैक्स लगाने के लिए स्वतंत्र हैं.
जवाबी कार्रवाई करने के मूड में भारत
सरकार के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यूरोपीय संघ के इस कदम से भारत परेशान है और जवाबी कार्रवाई करने के मूड में है. CBAM को अक्टूबर से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. जनवरी 2026 में यह मैकेनिज्म पूरी तरह से अमल में आ जाएगी. यह अंदेशा जताया जा रहा है कि भविष्य में इस सूची का और विस्तार होगा. सूची के विस्तार होने से भारत जैसे विकासशील देश प्रभावित होंगे.
CBAM मैकेनिज्म लागू होने के बाद ईयू के सदस्य देशों में से कोई भी फर्म अगर किसी वस्तु का आयात करती है तो उसे वस्तु में कार्बन की मात्रा से जुड़ा एक प्रमाणपत्र देना होगा. यूरोपीय संघ के दस्तावेजों के अनुसार, कार्बन टैक्स की गणना यूरो प्रति टन कार्बन के रूप में की जाती है.
CBAM मैकेनिज्म का एक तात्पर्य यह बताना भी है कि मानकों और कानून के आधार पर भारत जैसे विकासशील देश प्रदूषण के गढ़ हैं. पर्यावरण और व्यापार को एक साथ जोड़ने से वैश्विक व्यापार प्रभावित हो सकता है. जबकि विश्व व्यापार संगठन वैश्विक व्यापार और पर्यावरण को नहीं जोड़ता है.
अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विशेषज्ञ विश्वजीत धर का कहना है, "CBAM को 'नॉन-टैरिफ बैरियर' के रूप में देखा जा सकता है. डब्ल्यूटीओ के अनुसार, यह मैकेनिज्म अवैध है. डब्लयूटीओ डंपिंग रोधी कार्रवाई जैसे नॉन-टैरिफ बैरियर उपायों को लागू करने की अनुमित दे देती है. लेकिन यह टैरिफ इसके एकदम विपरीत है.
CBAM का भारत पर कितना असर?
यूरोपीय यूनियन का CBAM मैकेनिज्म भारत के लिए इसलिए चिंताजनक है क्योंकि उच्च कार्बन वाली वस्तुओं में स्टील, सीमेंट, एल्यूमीनियम, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन से संबंधित प्रोडक्ट शामिल हैं. जबकि भारत इन्हीं उत्पादों का सबसे ज्यादा निर्यात करता है.
मामले से जुड़े एक उच्च अधिकारी का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर यूरोपीय यूनियन CBAM के माध्यम से हमारे व्यापार में बाधा डाल रहा है, जो न केवल भारतीय निर्यात को बल्कि कई अन्य विकासशील देशों को भी प्रभावित करेगा.
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ईयू के इस कार्बन टैक्स मैकेनिज्म को भारत भेदभावपूर्ण और व्यापार में रुकावट के तौर पर देखता है. WTO में भारत इस मैकेनिज्म की वैधता पर भी सवाल उठा रहा है क्योंकि भारत पहले से ही संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते में दिए गए प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है.
यूरोपीय यूनियन के साथ भारत का व्यापार उच्चमत स्तर पर (India-EU trade)
वित्तीय वर्ष 2022 में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच व्यापार उच्चतम स्तर पर रहा. यूरोपियन कमीशन की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में भारत और ईयू के बीच 120 अरब यूरो का रिकॉर्ड व्यापार हुआ है. जबकि 2021 में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच सिर्फ 40 अरब यूरो का व्यापार हुआ था.
इसमें से 17 बिलियन यूरो का व्यापार डिजिटल प्रोडक्ट और सेवाओं में हुआ है. यूरोपीय यूनियन भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. जबकि भारत ईयू का दसवां सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. 2022 में भारत ने कुल व्यापार का लगभग 11 प्रतिशत व्यापार यूरोपीय यूनियन के साथ किया है. वहीं, ईयू ने कुल व्यापार का लगभग 2 प्रतिशत व्यापार भारत के साथ किया है.
New Beginnings 🇮🇳🇪🇺
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 16, 2023
Addressed the media after the conclusion of the 1st India-EU Trade & Technology Council meeting.
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भारत सरकार ने किया था विरोध
मई में ब्रसेल्स में आयोजित इंडिया-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी की बैठक में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि CBAM मैकेनिज्म को यूरोपीय यूनियन ने प्रस्तावित किया है. हम इस पर विचार कर रहे हैं. मैं यह मानता हूं कि व्यापार से जुड़े किसी भी मैकेनिज्म का उद्देश्य व्यापार में रुकावट पैदा नहीं करना होता है बल्कि व्यापार को आगे बढ़ाना होता है.