चीन सीमा के पास तैनात भारतीय सैनिकों ने भारत-चीन और म्यामांर के ट्राइजंक्शन के पास अपनी गश्त बढ़ा दी है, ताकि डोकलाम की तरह किसी भी गतिरोध को रोका जा सके. सेना के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि तिब्बत क्षेत्र के पास वालोंग से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित ट्राइजंक्शन नजदीकी पहाड़ी दर्रे और अन्य इलाकों में अपना प्रभुत्व बरकरार रखने के लिहाज से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'डोकलाम गतिरोध के बाद ट्राइजंक्शन पर हमने भारत की मौजूदगी बढ़ा दी है क्योंकि सामरिक दृष्टिकोण से यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा, 'चीनी फौज ट्राइजंक्शन में अकसर नहीं घुसती, लेकिन इसने इलाके के आस-पास सड़कें बना ली हैं, जहां जरूरत पड़ने पर सैनिकों को सुगमता से पहुंचाया जा सकता है.'
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बता दें, लोहित नदी के किनारे स्थित वालोंग में 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने काफी बहादुरी का परिचय दिया था. चीन और म्यांमार के बीच सैन्य संबंध बढ़ना भी ट्राइजंक्शन पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी बढ़ाने का कारण है.
सेना के अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के सैनिक भी ट्राइजंक्शन पर गश्त नहीं करते है. उन्होंने कहा, 'सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में ट्राइजंक्शन के बाद भारत-चीन सीमा पर यह सबसे महत्वपूर्ण ट्राइजंक्शन है.'
दरअसल, पिछले वर्ष 16 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में गतिरोध शुरू हुआ था जो 28 अगस्त तक यानी 73 दिनों तक चला था. डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ लगते तिब्बती क्षेत्र में भारत ने सैनिकों की सीमा के पास गश्त बढ़ा दी है.
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सेना के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत ने ट्राइजंक्शन के पास लोहित घाटी के सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है. उन्होंने कहा, 'इलाके में 18 पहाड़ी दर्रे हैं और इन दर्रों पर हम नियमित रूप से लंबा गश्त करते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम नियमित रूप से युद्ध का अभ्यास करते हैं. लाभदायक स्थिति में रहने के लिए आपको आक्रामक बने रहना आवश्यक है.'
भारत के साथ लगती 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर चीन नई सड़कें बना रहा है और आधारभूत ढांचे में सुधार ला रहा है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने कहा था कि चीन ने डोकलाम के पास हेलिपैड, संतरी पोस्ट और सैनिकों के लिए बंकर बनाए हैं.
सूत्रों ने बताया कि चीन ने उत्तर डोकलाम में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और विवादित इलाके में आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रहा है. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने जनवरी में कहा था कि समय आ गया है कि भारत अपना ध्यान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा से हटाकर चीन के साथ लगती सीमाओं पर लगाए. उनका यह बयान स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है.