यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. रूस के तेल और गैस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है जिस कारण रूस भारत को कम कीमत पर ईंधन तेल ऑफर कर रहा है. भारत को इस बीच ये आशंका थी कि अगर वो रूस से तेल खरीदता है तो उसे भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा लेकिन अमेरिका ने अब स्थिति साफ कर दी है.
अमेरिका ने कहा है कि भारत का यूक्रेन संकट के बीच रूस से तेल खरीदना रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही अमेरिका ने भारत को एक नसीहत भी दे डाली.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से कहा, 'किसी भी देश के लिए हमारा संदेश ये है कि वो उन प्रतिबंधों का पालन करें जो हमने लगाए हैं.
इस टिप्पणी पर उनसे पूछा गया कि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चे तेल की पेशकश की है, इस खबर को लेकर अमेरिका भारत को क्या संदेश देना चाहेगा?
जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ये प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा. लेकिन ये भी सोचें कि जब इस दौर को लेकर इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी तो आप कहां खड़े होना चाहते हैं. रूसी नेतृत्व का समर्थन एक आक्रमण का समर्थन है. एक ऐसा आक्रमण जो स्पष्ट रूप से विनाशकारी साबित हो रहा है.'
भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का समर्थन नहीं किया है. भारत लगातार दोनों पक्षों से कहता रहा है कि कूटनीतिक बातचीत के जरिए मतभेद को खत्म किया जाए. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ सभी प्रस्तावों पर वोटिंग से अब तक दूरी बनाए रखी है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की निष्पक्ष स्थिति को अमेरिका ने अब तक समझा है. अमेरिकी सांसद कह चुके हैं कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत हद तक रूस पर निर्भर है और ऐसे में रूस पर उसकी स्थिति समझ में आती है.
हालांकि, भारतीय-अमेरिकी सांसद डॉ अमी बेरा ने इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि भारत भारी छूट वाली दर पर रूसी तेल खरीदने पर विचार कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'यदि रिपोर्ट सही है और भारत रियायती मूल्य पर रूसी तेल खरीदने का यह निर्णय लेता है, तो इससे साफ होगा कि भारत ने इतिहास के एक महत्पूर्ण दौर में व्लादिमीर पुतिन के साथ रहना पसंद किया जब दुनिया भर के देश यूक्रेनी लोगों के समर्थन में और रूसी आक्रमण के खिलाफ एकजुट हैं.'
बेरा ने एक बयान में कहा, 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और क्वाड के नेता के रूप में भारत की जिम्मेदारी है कि वो ये सुनिश्चित करे कि उसके काम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पुतिन और उनके आक्रमण का समर्थन न करें.'