ओपेक प्लस के तेल उत्पादन कटौती के फैसले पर अमेरिका की नाराजगी झेल रहे सऊदी अरब को अब भारत ताकत देने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में चर्चा है कि पुणे बेस्ड कंपनी कल्यानी स्ट्रैटेजिक ने 12 हजार करोड़ के ऑर्डर को स्वीकार करते हुए एक डील फाइनल की है. इस डील के तहत स्वदेशी 155mm आर्टिलरी गन सप्लाई की जाएंगी.
हालांकि, कंपनी की ओर से अभी तक ना तो सऊदी अरब का नाम लिया गया है और न यह बताया गया है कि कितनी संख्या में यह हथियार सप्लाई किया जाएगा. लेकिन फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के हवाले से यह बात कही जा रही है कि पुणे बेस्ड कंपनी का सऊदी अरब के साथ ही करार हुआ है.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीसीई) को जानकारी देते हुए कल्यानी ग्रुप ने बिना सऊदी अरब का नाम बताए कहा कि कंपनी को यह ऑर्डर एक ऐसे देश की ओर से मिला है जो किसी संघर्ष या युद्धरत क्षेत्र में शामिल नहीं है. इस ऑर्डर को तीन वर्षों के अंदर पूरा करना होगा.
कंपनी के अनुसार, इस डील से मेड इन इंडिया हथियारों के निर्यात में मजबूती आएगी और बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत के एजेंडे के अनुरूप भी होगा.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब से ही इस कंपनी की बातचीत चल रही थी और हथियारों की ये डील सऊदी अरब के साथ की गई है.
कंपनी ने नहीं लिया सऊदी अरब का नाम, फिर भी जोरों पर चर्चा
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में कल्यानी ग्रुप ने दो भारत 52 ए 155 एमएम, 52 कैलिबर टोव्ड होवित्जर को ट्रायल के लिए सऊदी अरब भेजा था. कंपनी ने अब बीएसई को दी सूचना में किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन इंडस्ट्री सूत्रों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यह हथियार सऊदी अरब ही भेजे जा सकते हैं.
यह खबर ऐसे मौके पर आई है, जब एक तरफ भारत अपना हथियारों का बाजार निर्यात के लिए बड़ा करना चाहता है, तो दूसरी ओर सऊदी अरब का मुख्य हथियार सप्लायर अमेरिका नाराज चल रहा है. यहां तक कि अमेरिका के कई सांसद तो सऊदी अरब को हथियार सप्लाई रोकने का प्रस्ताव भी दे चुके हैं.
विदेशी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में भारत
पहले भारत की बात की जाए, जो इस समय विदेशी बाजार में हथियारों के मामले में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. भारत का लक्ष्य है कि साल 2025 तक हथियार और सुरक्षा उपकरणों का निर्यात कम से कम 5 अरब डॉलर पहुंचा दिया जाए. हाल ही में फिलीपींस और अर्मेनिया के साथ हथियारों के सेक्टर में भारत की बड़ी फाइनल हुई है.
साल 2014 से लेकर अभी तक भारत करीब 30 हजार करोड़ के हथियारों का निर्यात कर चुका है. इसमें साल 2022 यानी वर्तमान साल की पहली दो तिमाही में ही 8 हजार करोड़ का निर्यात किया गया है.
वित्तीय साल 2021-22 में भारत का हथियारों के सेक्टर में निर्यात सबसे उच्च स्तर पर रहा. इस दौरान करीब 13 हजार करोड़ के हथियारों का निर्यात किया गया. सबसे खास बात है कि इन हथियारों में करीब 70 फीसदी वो थे, जिन्हें प्राइवेट कंपनियों ने बनाया है.
अमेरिका और सऊदी के बीच नाराजगी के बीच 'हथियार' मुद्दा
मिड टर्म चुनावों से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बिल्कुल भी यह उम्मीद नहीं कर रहे थे कि अमेरिका का खास दोस्त सऊदी अरब तेल उत्पादन में कटौती के फैसले में बड़ी भूमिका निभाएगा. जो बाइडन तेल उत्पादन में कटौती को रोकने के लिए लगातार सऊदी अरब से बातचीत कर रहे थे.
ऐसे में जब ओपेक प्लस ने यह फैसला किया तो अमेरिका बुरी तरह भड़क गया. अमेरिका की ओर से कहा गया कि सऊदी अरब ने यह फैसला यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को फायदा पहुंचाने के लिए किया है. हालांकि, सऊदी अरब ने सफाई देते हुए बताया कि यह फैसला पूरी तरह आर्थिक तौर पर लिया गया. इसके बावजूद अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में खटास देखने को मिली.
सऊदी अरब का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर भी अमेरिका ही है. हाल ही में अमेरिका के कई सांसदों ने यह मांग भी कि दोनों देशों के बीच हथियारों की सप्लाई को रोक दिया जाए.
सांसदों ने कहा कि अमेरिका अपनी ओर से सऊदी को सप्लाई किए जाने वाले सभी तरह के सुरक्षा उपकरणों पर रोक लगा दे. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने ऐसा कर दिया तो सऊदी अरब की वायु सेना एक महीने के भीतर ही जमीन पर आ जाएगी.