अमेरिका भारत समेत दुनिया के कई देशों के अंदरूनी मामलों में बयानबाजी करता रहता है. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया आई थी, लेकिन इस बार भारत ने अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब दिया है. दरअसल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जा रहा है, इसको लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ट्रंप पर चल रहे केस पर हमारी भी नजर है.
विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो ट्रंप के इस आपराधिक मामले पर नजर रखे हुए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने ट्रंप के इस कानूनी मामले पर गौर किया है. इससे जुड़े घटनाक्रमों पर हमारी नजर है. यह मामला पूरी तरह से अमेरिकी अदालत के अधीन है और अमेरिकी कानून के अनुरूप इस पर आगे कार्यवाही होगी.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर चुनाव प्रचार अभियान के दौरान पोर्न स्टार को सीक्रेट तौर पर पेमेंट देने समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. वह अमेरिका के पहले पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं, जिन पर आपराधिक मामला चलाया जा रहा है. ट्रंप पर आरोप है कि पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को एक लाख 30 हजार डॉलर की सीक्रेट पेमेंट किया. मैनहट्टन कोर्ट में ट्रंप पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2016 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पोर्न स्टार को पैसे देकर चुनाव नियमों का उल्लंघन किया.
ऐसा पहली बार नहीं जब भारत की ओर से अमेरिका या यूरोप को करारा जवाब मिला है. इससे पहले जब अमेरिका और जर्मनी की ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर प्रतिक्रिया आई थी तो भी भारत की ओर से उन्हें जवाब दिया गया.
राहुल गांधी को लेकर अमेरिका ने क्या कहा था?
राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने को लेकर अमेरिका की ओर से कहा गया था कि भारतीय अदालतों में चल रहे राहुल गांधी के मामलों पर हमारी नजर है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था, "कानून और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान किसी भी लोकतंत्र की आधारशिला है. भारतीय अदालतों में चल रहे राहुल गांधी के मामलों पर हमारी नजर है."
जर्मनी ने क्या टिप्पणी की थी?
जर्मनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा था कि राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं. इसके बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या फैसला कायम रहेगा. यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता बर्खास्त करने का कोई आधार है या नहीं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि राहुल गांधी पर कार्रवाई करते समय न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत के अधिकारों को ध्यान रखा जाएगा.
भारत ने दिया ये जवाब
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "हम समय-समय पर देखते हैं कि कुछ देश भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणियां करते हैं. जर्मनी इसका ताजा उदाहरण है. मुझे नहीं पता कि वो इस तरह की टिप्पणियों से क्या हासिल करना चाहते हैं, लेकिन भारत उनके विचारों की प्रतीक्षा नहीं कर रहा है और न ही इस तरह की टिप्पणियों से भारतीय संस्थानों के कामकाज पर कोई असर पड़ता है."
इससे पहले भी कई बार विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंच से ही अमेरिका और पश्चिम देशों की पोल खोली है, इसमें सबसे ज्यादा चर्चा यूक्रेन युद्ध के समय रूस से कच्चा तेल खरीदने पर दिए गए जवाब पर होती है. दरअसल यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे. उसके बाद भारत पर दबाव बनाया गया कि रूस से कच्चे तेल की खरीद को बंद किया जाए, लेकिन भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात और बढ़ा लिया था.
रूस से कच्चा तेल खरीदने पर दिया था जवाब
इसको लेकर जब अमेरिका में रक्षा मंत्री और विदेशी मंत्री की 2+2 स्तर की वार्ता में एक पत्रकार ने रूस से भारत के तेल खरीदने पर सवाल पूछा था. इसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा था, ''आप भारत के तेल खरीदने से चिंतित हैं, लेकिन यूरोप जितना तेल एक दोपहर में खरीदता है, उतना भारत एक महीने में भी नहीं खरीदता है. इसलिए अपनी चिंता उधर कर लें.''
मानवाधिकार पर भी बोले जयशंकर
इसके बाद इसी बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत में 'मानवाधिकारों के हनन' का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर उनकी नज़र है. इसको लेकर बाद में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि अमेरिका समेत बाकी देशों में मानवाधिकारों की क्या स्थिति है, इसको लेकर हमारी भी नजर बनी हुई है.
वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हुई F-16 विमानों को लेकर हुई डील के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि सभी को पता है कि एफ-16 विमानों का इस्तेमाल कहां और किसके लिए होता है. जयशंकर ने आगे कहा कि इस तरह की बात कहकर आप किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं.
पाकिस्तान को अमेरिका ने दिए 450 मिलियन डॉलर
अमेरिका ने पाकिस्तान को 450 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता को मंजूरी दी थी. अमेरिका का कहना था कि यह सहायता पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट फ्लीट समेत अन्य सुरक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए दी गई है. अमेरिका की ओर से कहा गया कि इस आर्थिक पैकेज में किसी भी तरह का नया हथियार या सुरक्षा मजबूती शामिल नहीं है. इसको लेकर अमेरिका की ओर से सफाई भी दी गई कि यूएस की ओर से पाकिस्तान को यह मदद, भारत को किसी तरह का संदेश देने के लिए नहीं की गई थी क्योंकि उसके रूस के साथ संबंध हैं.