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ताइवान के सांसदों की मेजबानी कर 'आग से खेल रहा भारत': चीनी मीडिया

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली की मैगजीन ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि इस दल की मेजबानी करके भारत "आग के साथ खेल रहा है."

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ताइवान के सांसदों के भारत दौरे पर भड़का चीनी मीडिया
ताइवान के सांसदों के भारत दौरे पर भड़का चीनी मीडिया

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ताइवान के साथ भारत के बढ़ते रिश्ते चीन को रास नहीं आ रहे हैं. चीन की सरकारी मीडिया ने ताइवान की महिला सांसदों की एक टीम के भारत दौरे पर ऐतराज जताया है. ये दौरा दोनों देशों के बीच दिसंबर 2016 में बने संसदीय मित्रता फोरम के तहत रिश्ते सुधारने की कवायद का हिस्सा है.

'आग से खेल रहा भारत'
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली की मैगजीन ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि इस दल की मेजबानी करके भारत "आग के साथ खेल रहा है."

मैगजीन में छपे लेख के मुताबिक, "ऐसे वक्त में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को ताइवान के सवाल पर चुनौती देना बंद कर दिया है, भारत की ये हरकत उकसाने वाली है."

लेख में दी गई धमकी
लेख में आगे टिप्पणी की गई है- "कुछ भारतीय ताइवान को चीन की दुखती रग मानते हैं. भारत लंबे वक्त से ताइवान, दक्षिण चीन सागर और दलाई लामा के मसलों को चीन के साथ मोलभाव के लिए इस्तेमाल करना चाहता है. ताइवान में आजादी का समर्थन करने वाली ताकतें दुनिया भर में अलग-थलग पड़ी हैं. ऐसे में चीन को रोकने के लिए ताइवान का इस्तेमाल करने वाले देशों को नुकसान उठाना पड़ेगा.

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'आर्थिक सहयोग पर हो सकता है खतरा'
लेख में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के कब्जे से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के मद्देनजर पीएम मोदी को ताइवान कार्ड के इस्तेमाल की सलाह दी गई . भारत 'वन चाइना' नीति के एवज में बीजिंग से 'वन इंडिया' नीति का भरोसा चाहता है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक ताइवान का निवेश भारत के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए अहम है. लेकिन चीन भारत के सबसे अहम कारोबारी साझीदारों में से एक है. ऐसे सियासी झगड़ों से दोनों देशों में आर्थिक सहयोग कठिन होगा.

पुराना है चीन-ताइवान का झगड़ा
ताइवान में साई इंग-वेन की अगुवाई में बनी नई सरकार भारत के साथ कूटनीतिक रिश्तों को खास तौर पर तरजीह दे रही है. दुनिया के कई देशों की तरह भारत के ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक रिश्ते नहीं हैं. भारत 'वन चाइना' नीति को मानता आया है. इंडिया-ताइपे एसोसिएशन के जरिये ही दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कारोबारी रिश्ते कायम हैं. ताइवान के सांसदों का ये दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत सरकार के अधिकारी ताइवान के सरकारी दौरे पर नहीं जाते हैं.

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने एक प्रांत के तौर पर देखती है. हालांकि ताइवान में लोगों की अच्छी-खासी तादाद आजादी के हक में है. वहां की मौजूदा सरकार को इस मांग का समर्थक माना जाता है.

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