पिछले महीने यूरोरीय संघ ने भारत को प्रतिबंधित रूसी तेल खरीदकर यूरोपीय देशों को बेचने पर चेतावनी दी थी. इसी बीच खबर है कि यूरोप को भारत के ईंधन निर्यात में भारी तेजी आई है. जनवरी 2022 में यूरोप को भारत का ईंधन निर्यात 11 लाख बैरल था जो इस साल अप्रैल में बढ़कर 74 लाख बैरल हो गया है. यूरोप को भारत के ईंधन निर्यात में यह तेजी रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी के बीच आई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत यूरोप को भारी मात्रा में जेट ईंधन और डीजल जैसे ईंधन निर्यात कर रहा है. भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद कर उसे अपने रिफाइनरियों में रिफाइनिंग के बाद यूरोप को बेच रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले जहां भारत रूस से बेहद कम मात्रा में तेल खरीदता था, अब रूस भारत का शीर्ष कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से भारत का तेल आयात 17 लाख बैरल से बढ़कर 6.33 करोड़ बैरल हो गया है.
यूरोपीय यूनियन ने दी थी भारत को चेतावनी
यूरोपीय यूनियन के विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने हाल ही में कहा था कि भारत रूसी तेल खरीदकर उसके रिफाइन उत्पादों को यूरोपीय देशों को बेच रहा है जो सीधे तौर पर रूस पर लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन है. हमें इस पर कार्रवाई करनी होगी.
उन्होंने कहा था, 'अगर यूरोप में रूसी तेल से बना डीजल और गैसोलीन भारत से आ रहा है तो यह सीधे तौर पर रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन है. इसके खिलाफ सदस्य देशों को कार्रवाई करनी होगी. भारत रूस से तेल खरीदता है, यह नॉर्मल है. हमारे प्रतिबंधों की वजह से भारत रूसी तेल को और सस्ता खरीद सकता है...रूस को जितना कम पैसा मिलेगा, उतना बेहतर है. लेकिन अगर वो (भारत) उस रूसी तेल को रिफाइन कर हमे बेचता है तो हमें कार्रवाई करनी होगी.'
रूस के कारण मिला भारत को बड़ा अवसर
युद्ध शुरू होने से पहले रूस यूरोप का शीर्ष ईंधन आपूर्तिकर्ता था लेकिन अमेरिका के साथ मिलकर यूरोपीय देशों ने रूस और उसके तेल पर प्रतिबंध लगा दिया है. यूरोपीय संघ ने दिसंबर 2022 में रूसी तेल पर एक प्राइस कैप लगाकर उसकी एक कीमत तय कर दी थी जिसके मुताबिक, रूसी तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक नहीं होगी. इसके कुछ समय बाद यूरोपीय संघ ने रूस के रिफाइन पेट्रोलियम उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगा दिया.
यूरोप रूस से अपने इस्तेमाल का 30 फीसद तेल खरीदता था और प्रतिबंधों के बाद यूरोप में पेट्रोलियम उत्पादों की कमी हो गई. भारत ने इसे एक बड़े अवसर के तौर पर लिया और यूरोपीय देशों को अपना ईंधन बेचना शुरू कर दिया. भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी और उसी तेल को रिफाइन कर यूरोपीय देशों और अमेरिका को बेच रहा है.
भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज और रूसी कंपनी Roseneft के स्वामित्व वाली नायरा मुख्य रूप से यूरोपीय संघ और अमेरिका को रिफाइन ईंधन निर्यात कर रही हैं.
घरेलू बाजार में ईंधन आपूर्ति के लिए भारत सरकार की कोशिशें
घरेलू बाजार के लिए रिफाइन ईंधन की कमी न हो, इसके लिए भारत ने इस साल अप्रैल में डीजल और गैसोलीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत ने पिछले साल रिफाइंड ईंधन के निर्यात पर बहुत अधिक कर लगा दिया था और यह अनिवार्य कर दिया था कि चालू वित्त वर्ष में 31 मार्च तक कंपनियां अपने गैसोलीन निर्यात का 50% और डीजल निर्यात का 30% घरेलू बाजार में ही बेचें.
भारत ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि रूस से कच्चा तेल खरीदने वाली प्राइवेट कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ईंधन के घरेलू मांग को पूरा करने के बजाए यूरोप को ईंधन बेचकर भारी मुनाफा कमाना शुरू कर दिया था.
इस कारण सरकारी रिफाइनरियों को सरकार द्वारा निर्धारित कम कीमत पर ईंधन बेचकर घरेलू मांग को पूरा करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
यूरोप का सबसे बड़ा रिफाइन पेट्रोलियम आपूर्तिकर्ता बना भारत
मई के महीने में ही ऐसी खबरें आई थीं कि भारत रिफाइंड पेट्रोलियम का यूरोप का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है. एनालिटिक्स फर्म केप्लर ने कहा था कि भारत से यूरोप का रिफाइंड ईंधन आयात प्रतिदिन 360,000 बैरल से अधिक होने वाला है.
रूस से तेल खरीदने को लेकर शुरू में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने सख्त आपत्ति जताई लेकिन भारत ने सभी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद को जारी रखा. भारत का कहना रहा है कि वो देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा.
भारत शीर्ष तेल आयातक देशों में शामिल है. साथ ही यह दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल रिफाइनिंग करने वाले देशों की सूची में आता है. भारत की रिफाइनिंग कंपनियां घरेलू मांग से अधिक तेल रिफाइन करती हैं. अप्रैल 2022 से लेकर जनवरी 2023 के बीच भारत ने यूरोप को 1.16 करोड़ टन रिफाइंड पेट्रोलियम का निर्यात किया है.