विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जेनेवा में चल रहा है जहां भारत ने सोमवार को कोविड टीकों, दवाओं और उपकरणों पर पेटेंट छूट के प्रस्ताव को सीमित करने और बाद में उसे प्रतिबंधित करने पर निराशा जताई है. सम्मेलन में भारत का नेतृत्व कर रहे वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रस्ताव को पास करने में बड़ी दवा कंपंनियों का हित देखा गया है. उन्होंने कहा कि महामारी से पूरी दुनिया प्रभावित हुई और करोड़ों लोगों की जान गई लेकिन प्रस्ताव को पास करते समय बस कुछ बड़ी दवा कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया है.
कोविड टीकों और दवाओं में पेटेंट छूट के प्रस्ताव को भारत और दक्षिण अफ्रीका की तरफ से पेश किया गया था जिसके समर्थन में 100 देश थे. वहीं 65 देश इस प्रस्ताव के को-स्पॉन्सर थे.
भारत का कहना था कि कोविड टीकों, दवाओं और मेडिकल उपकरणों के IPR (Intellectual Property Rights) में छूट दी जाए. साथ ही आने वाली भविष्य की महामारी से जूझने में गरीब देशों को हर तरह की सहायता दी जाए.
पीयूष गोयल ने डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्यों और महानिदेश की अध्यक्षता वाले एक सत्र में प्रस्ताव पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'चर्चा के दौरान, यह संकेत दिया गया है कि विकासशील देशों पर एहसान किया जा रहा है. मुझे लगता है कि इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं की गई कि महामारी से करोड़ों लोग प्रभावित हुए और लाखों मारे गए. ये दुख की बात है कि कुछ बड़ी दवा कंपंनियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाने के लिए विश्व की भलाई की बात को नजरअंदाज किया जा रहा है.'
खाद्य सुरक्षा के प्रस्ताव पर भारत की आपत्ति
विश्व व्यापार संगठन के कृषि मसौदे पर भी भारत सहित कई देशों ने आपत्ति जताई. मसौदे में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग का उल्लेख नहीं किया गया जिस पर भारत ने विरोध दर्ज किया. पीयूष गोयल ने सदस्य देशों के समक्ष भारत के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम और सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग के महत्व को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, 'लगभग तीन वर्षों की महामारी के दौरान भारत ने अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से लगभग 10 करोड़ टन खाद्यान्न वितरित किया. सार्वजनिक स्टॉक का धन्यवाद, जिसकी मदद से हमने लगभग 25 महीनों तक 80 करोड़ गरीब और कमजोर लोगों को खाद्यान्न वितरित किया. इसकी मदद से हम अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत समाज के कमजोर वर्गों को दोगुना खाद्यान्न वितरित कर पाए.'
उन्होंने आगे कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई रिपोर्टें बताती हैं कि इससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असमानता को कम करन में मदद मिली है. यह केवल मजबूत सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग कार्यक्रम के कारण ही संभव था, जिसे भारत चलाता है.'
स्टॉक होल्डिंग और सब्सिडी को लेकर विश्व व्यापार संगठन के नियम काफी सख्त हैं. WTO कहता है कि खाद्यान्नों पर गरीबों को सब्सिडी उनके उत्पादन का 10 प्रतिशत दिया जाना चाहिए. भारत इसकी खिलाफत करता है और लगातार कहता है कि इसमें बदलाव किया जाए क्योंकि यहां गरीबों को कम दाम में अनाज उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं.